वाराणसी के पुराने कालभैरव मंदिर में केक काटना बैन कर दिया गया है. एक महिला इन्फ्लुएंसर का मंदिर के गर्भगृह में केक काटने का वीडियो वायरल हुआ था. इससे मंदिर प्रबंधकों और पुजारियों पर कई तरह के सवाल उठने लगे. अब मंदिर के प्रबंधको ने एक्शन लेते हुए यहां केक काटने पर पूरी तरह से रोक लगा दी है. साथ ही गर्भगृह में फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी और रील बनाने पर भी प्रतिबंध (Cake Cutting Banned) लगा दिया गया है .
वाराणसी के कालभैरव मंदिर में महिला ने काटा था बर्थडे केक, अब कोई भी नहीं काट पाएगा
उत्तर प्रदेश के Varanasi में पुराने Kal Bhairav मंदिर से एक रील वायरल हुई. इस रील को एक महिला इन्फ्लुएंसर ने सोशल मीडिया पर अपलोड किया था. वीडियो में महिला मंदिर के गर्भगृह में केक काट रही है. इस वीडियो को लेकर लोगों ने मंदिर के मैनेजमेंट पर कई सवाल उठाए थे.
इंडिया टुडे से जुड़े रौशन राज ने मंदिर के व्यवस्थापक नवीन गिरि से बात की. उनकी रिपोर्ट मुताबिक शनिवार, 30 नवंबर के दिन भैरवअष्टमी के मौके पर एक महिला इन्फ्लुएंसर ने मंदिर में केक चढ़ाने की परमिशन मांगी थी. मंदिर में पहले से केक काटने का चलन रहा है. इसलिए मंदिर के पुजारियों ने महिला श्रद्धालु का सम्मान करते हुए गर्भगृह में केक काटने की परमिशन दे दी. लेकिन कथित तौर पर उन्हें यह जानकारी नहीं थी कि महिला वीडियो भी शूट कर रही है. बताया गया कि उस दिन महिला का बर्थडे भी था.
बाद में महिला इन्फ्लुएंसर ने इस वीडियो को अपलोड किया जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. इसके बाद मंदिर प्रबंधन और पुजारियों पर पैसे लेकर विशेष दर्शन कराने और सनातन परंपराओं को ठेस पहुंचाने जैसे आरोप लगने लगे. देखिए वीडियो.
तमाम आरोप लगने के बाद मंदिर के प्रबंधकों और पुजारियों ने निर्णय लिया कि मंदिर परिसर में अब से किसी भी अवसर पर केक नहीं काटा जाएगा. चाहे यह भैरवअष्टमी जैसे धार्मिक पर्व हो या किसी श्रद्धालु का बर्थडे. केक काटने पर रोक लगाकर उसकी जगह लड्डू और दूसरे प्रसाद चढ़ाने की परंपरा शुरू करने की बात कही गई है.
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वहीं ‘पैसे लेकर’ दर्शन कराने के आरोप पर मंदिर के व्यवस्थापक नवीन गिरि ने आजतक को बताया कि विशेष पूजा कराने के लिए श्रद्धालुओं से दक्षिणा ली जाती है, क्योंकि उसमें काफी सामग्री लगती है. उन्होंने बताया कि मंदिर के गर्भगह में फोटो खींचने और रील बनाने पर भी पूरी तरह से रोक लगा दी गई है.
काशी विद्वत परिषद ने मंदिर प्रबंधन के इस निर्णय का स्वागत किया है. परिषद के महामंत्री प्रोफेसर रामनारायण द्विवेदी ने कहा कि यह घटना ‘अक्षम्य’ थी, अब मंदिर प्रबंधन का कदम सराहनीय है.
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