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'वंदे भारत ट्रेनों में पहला डिब्बा कमजोर', रेलवे सुरक्षा आयोग की रिपोर्ट डराने वाली है

रिपोर्ट में इस बात पर विशेष चिंता जताई गई है कि Vande Bharat Express की तेज स्पीड से जानवरों से टकराने से गंभीर हादसे हो सकते हैं. यह चेतावनी ऐसे समय में आई है, जब रेलवे कई रूट्स पर 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से वंदे भारत ट्रेनें चलाने की योजना बना रहा है.

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ये रिपोर्ट नागरिक उड्डयन मंत्रालय के रेलवे सुरक्षा आयोग ने तैयार की (फोटो: आजतक)

भारतीय रेलवे की सेमी हाई-स्पीड ट्रेन वंदे भारत एक्सप्रेस (Vande Bharat Train) में जानवरों से टकराने पर गंभीर हादसा होने का खतरा बना रहता है. ये दावा रेलवे सुरक्षा आयोग की एक रिपोर्ट में किया गया. रिपोर्ट में कहा गया है कि वंदे भारत ट्रेन का अगला डिब्बा, सामान्य रेलगाड़ियों के इंजन यानी पहले डिब्बे की तुलना में काफी हल्का होता है. जिससे तेज स्पीड में मवेशी से टकराने पर भी गंभीर दुर्घटना हो सकती है.

रिपोर्ट में क्या कहा गया?

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, ये रिपोर्ट नागरिक उड्डयन मंत्रालय के रेलवे सुरक्षा आयोग ने तैयार की. इस रिपोर्ट में इस बात पर विशेष चिंता जताई गई है कि तेज स्पीड से मवेशियों से टकराने से गंभीर दुर्घटनाएं हो सकती हैं. यह चेतावनी ऐसे समय में आई है, जब रेलवे कई रूट्स पर 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से वंदे भारत ट्रेनें चलाने की योजना बना रहा है. रिपोर्ट में रेल मंत्रालय को निर्देश देते हुए कहा गया कि इंसानों और जानवरों के प्रवेश को रोकने के लिए मजबूत बाड़ लगाई जाए. क्योंकि ये रेलगाड़ियों के लिए खतरा पैदा करते हैं. 

रेलवे सुरक्षा आयोग की रिपोर्ट में कहा गया कि उन रूट्स पर लेवल क्रॉसिंग गेटों को खत्म किया जाना चाहिए, जहां रेलगाड़ियां 160 किमी प्रति घंटे की स्पीड से चलती हैं. साथ ही रेलवे को नियमित रूप से भीड़ या मवेशियों के प्रवेश वाले स्थानों की पहचान करनी चाहिए और वहां पर रेलवे सुरक्षा बल (RPF) के जवानों की तैनाती करनी चाहिए. इसके अलावा ये भी कहा गया कि रेलवे को किसानों को अपने जानवरों के साथ पार करने के लिए भूमिगत मार्ग उपलब्ध कराने जैसी व्यवस्था करनी चाहिए.

रेलवे सुरक्षा आयोग की रिपोर्ट में 5 अहम सुझाव दिए गए हैं,

  • हादसे की स्थिति में फटाफट बाहर निकलने का सिस्टम:ट्रेन में ऐसा इंतज़ाम होना चाहिए कि अगर कोई हादसा हो जाए, तो यात्री आसानी से और जल्दी बाहर निकल सकें.
  • आपातकाल में अपने आप खुलने वाले दरवाज़े: अगर ट्रेन में आग लग जाए या कोई इमरजेंसी हो, तो दरवाज़े अपने आप खुल जाएँ — ताकि बचाव में देर न हो.
  • "फायर सर्वाइवल" केबल से दरवाज़े पर पूरा कंट्रोल: केबिन (ड्राइवर के कंट्रोल रूम) से दरवाज़ों को चलाने के लिए ऐसी खास केबल हो जो आग लगने पर भी काम करती रहे.
  • आपातकालीन सीढ़ियों से उतरना असुविधाजनक: इमरजेंसी में जो सीढ़ियाँ दी गई हैं, उनसे चढ़ना-उतरना मुश्किल है — इन्हें और बेहतर बनाना ज़रूरी है.
  • दरवाज़ों के बाहर मज़बूत पकड़ने की जगह (हैंडल) होनी चाहिए:जैसे राजधानी एक्सप्रेस में बाहर मजबूत "ग्रैब हैंडल" लगे होते हैं, वैसे ही वंदे भारत या दूसरी ट्रेनों में भी हों — ताकि बाहर निकलते वक्त पकड़ने में सहूलियत हो.

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वंदे भारत एक्सप्रेस के शुरू होने के बाद से कई गायों के टकराने की घटनाएं हुई हैं, जिससे आगे के कोच को नुकसान पहुंचा है. हालांकि, ICF के पूर्व प्रिंसिपल चीफ मैकेनिकल इंजीनियर शुभ्रांशु का कहना है कि इन ट्रेनों के फ्रंट नोज कोन को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि वे टकराने वाली ऊर्जा को झेल सकें. इसके अलावा, आगे की तरफ कैटल गार्ड को अवरोध को दूर करने और उसे हटाने के लिए बनाया गया है. बता दें कि 26 दिसंबर 2024 तक रेलवे नेटवर्क पर कुल 136 वंदे भारत ट्रेन सेवाएं चल रही हैं. अकेले 2024 में 62 वंदे भारत ट्रेन सेवाएं शुरू की गईं.

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