The Lallantop

PM आवास योजना के तहत दलितों को घर बनाने के पैसे दिए, अब कह रहे- खाली करो

UP News: इंद्र नगर के निवासियों के पास, सरकारी नोटिस की एक कॉपी है. इसमें लिखा है कि पुनर्वास की समस्या को सुलझाने के लिए ये जमीन उन्हें दी गई है. एक निवासी ने ये भी बताया कि वहां पहले एक तालाब हुआ करता था जो सूख गया था. अधिकारियों ने ही उसे भरा और उन्हें वहां बसने में मदद की.

post-main-image
हापुड़ डीएम का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है. (सांकेतिक तस्वीर: इंडिया टुडे)

उत्तर प्रदेश के हापुड़ (Hapur Eviction Notice) के इंद्र नगर में 'प्रधानमंत्री आवास योजना- शहरी' (PMAY-Urban) योजना के तहत 40 घर बनाए गए थे. केंद्र सरकार ने 2019 में इस योजना की शुरुआत की थी. इन घरों में रहने वाले दलित परिवारों के लिए एक मुसीबत आ गई है. ये लोग 1986 से यहां रह रहे हैं. अब इन लोगों को नगर परिषद से एक नोटिस मिला है. इसमें कहा गया है कि उस जमीन पर उनका कब्जा अवैध है. इसलिए उन्हें वो जगह खाली करने को कहा गया.

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 9 अप्रैल को यहां रहने वाले गंगाराम को एक नोटिस मिला. गंगाराम चॉकलेट और चिप्स की दुकान चलाते हैं. उन्हें पढ़ने नहीं आता. नोटिस पढ़ने के लिए उन्होंने अपने कुछ जानने वालों से मदद ली. पता चला कि नगर परिषद ने कहा है कि वो जमीन सरकार की है और तालाब वाली जमीन पर मकान बनाए गए हैं. इसलिए पंद्रह दिनों के भीतर उस जगह को खाली किया जाए और उसका स्वामित्व नगरपालिका को सौंपा जाए.

अवैध जमीन पर PMAY का लाभ कैसे मिला?

सवाल उठे कि अगर जमीन पर अवैध कब्जा था, तो केंद्र सरकार की एक अहम योजना (PMAY) के तहत लोगों को लाभ कैसे मिल गए? स्थानीय लोगों ने जिला प्रशासन से शिकायत की. हापुड़ डीएम प्रेरणा शर्मा ने कहा कि इस मामले की जांच हो रही है. उन्होंने बताया कि 15 अप्रैल को ये मामला उनके संज्ञान में आया. जांच में ये पता किया जाएगा कि लोगों के दावे सही हैं या नहीं. 

इसके साथ ही डीएम ने ये जानकारी भी दी कि PMAY के तहत घर बनाने से पहले जमीन के कागजों की असलियत की जांच नहीं की जाती. बस ये देखा जाता है कि ये वही व्यक्ति है या नहीं जिसका नाम जमीन के कागज पर है. आसान भाषा में, जमीन के पेपर देखे जाते हैं लेकिन ये चेक नहीं किया जाता कि वो पेपर सही हैं या नहीं.

ये भी पढ़ें: यूपी सरकार ने नोटिस के 24 घंटे के भीतर मकान गिराए, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- अंतरात्मा को ठेस पहुंची

"प्रशासन ने दी थी जमीन"

इंद्र नगर के निवासियों के अनुसार, वो गढ़मुक्तेश्वर के चौपला से इस इलाके में आए थे. उस समय ये इलाका गाजियाबाद जिले का हिस्सा था. इन लोगों के पास 18 जुलाई, 1986 को तत्कालीन स्थानीय प्रशासन द्वारा जारी किए गए नोटिस की एक कॉपी है. इसमें लिखा है,

पुनर्वास के उद्देश्य से प्रशासन को सामूहिक आवेदन दिया गया था. इसी आवेदन पर विचार करते हुए आपको 100 गज जमीन दी जाती है. ताकि पुनर्वास की समस्या हल हो जाए. आपको जमीन बेचने और ट्रांसफर करने का अधिकार नहीं होगा. आप और आपके परिवार के लोग इस जमीन का इस्तेमाल आवासीय उद्देश्यों के लिए करेंगे.

गंगाराम की पड़ोसी प्रकाश ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि जब उन्हें जमीन दी गई थी, तब वहां एक सूखा तालाब था. लेकिन नगर पालिका के अधिकारियों ने खुद ही इसे भर दिया और उन्हें वहां बसने में मदद की.

वीडियो: लॉ फर्म ने बॉलीवुड एक्टर के साथ ऐड बनाया, बार काउंसिल ने नोटिस भेज दिया