तहव्वुर राणा, मुंबई में हुए 26/11 आतंकी हमलों का प्रमुख साजिशकर्ता. पाकिस्तानी मूल का ये कनाडाई नागरिक, भारत के लिए एक विवादास्पद और महत्वपूर्ण शख्स बन गया है. काफी सालों से भारत उसके प्रत्यर्पण के लिए प्रयास कर रहा था. मगर कानूनी दांवपेंच का सहारा लेकर राणा खुद को भारत भेजे जाने से बचता आ रहा था. मगर भारतीय जांच एजेंसियों ने अपने तरकश से सबूतों के 5 ऐसे तीर निकाले, जो अमेरिकी अदालतों में एकदम सटीक निशाने पर लगे. नतीजा, राणा के प्रत्यर्पण पर अमेरिकी अदालत की मुहर लगी और वो आतंकी अब भारतीय एजेंसियों के हवाले कर दिया गया. इस खबर में हम उन्हीं 5 सबूतों पर चर्चा करेंगे…
तहव्वुर राणा के खिलाफ वो 5 दमदार सबूत, जिनके चलते भारत आने को मजबूर हुआ 26/11 का आरोपी
Tahawwur Rana Extradition: भारतीय जांच एजेंसियों ने अमेरिका को ऐसे कई साक्ष्य दिये, जिससे पता चलता है कि मुंबई आतंकी हमलों से पहले राणा 8 बार भारत आया. राणा ने मुंबई के अलावा कोच्चि, अहमदाबाद, दिल्ली और आगरा का भी दौरा गिया. राणा जिन-जिन जगहों पर ठहरा, उसकी पूरी लिस्ट सबूत के साथ अमेरिका को सौंपा गया.

2008 में हुए मुंबई हमलों को भारत एक काले दिन के रूप में याद करता है. इस हमले में पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों ने मुंबई की प्रमुख जगहों पर हमला किया, जिसमें 170 से अधिक लोग मारे गए और 300 से अधिक घायल हुए. तहव्वुर राणा पर आरोप है कि उसने इन आतंकवादी हमलों की योजना बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. भारतीय सुरक्षा एजेंसियों का दावा है कि राणा ने आतंकवादियों को भारत में घुसने और हमले को अंजाम देने के लिए लॉजिस्टिक सपोर्ट प्रदान किया था. इसके समर्थन में जांच एजेंसियों कई इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य भी अमेरिकी कोर्ट को दिए.
पाकिस्तान और लश्कर-ए-तैयबा के साथ संबंधतहव्वुर राणा के पाकिस्तान और लश्कर-ए-तैयबा से संबंध साबित होते हैं. भारत का आरोप है कि राणा ने पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से सांठ-गांठ करके भारतीय धरती पर आतंकवादी हमलों की साजिश रची. इसके अलावा, राणा पर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी के साथ सांठ-गांठ करने और आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष में भारत को कमजोर करने के प्रयासों का आरोप है. इन संबंधों को लेकर भारतीय जांच एजेंसियां ने काफी सारा डेटा अमेरिकी एजेंसियों को सौंपा.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की रिपोर्ट में भी यह माना गया है कि राणा पाकिस्तान में रहते हुए आतंकवादी गतिविधियों में शामिल था और उसे पाकिस्तानी सरकार से समर्थन प्राप्त था. भारत इस रिपोर्ट को एक महत्वपूर्ण दस्तावेज मानता है, जो राणा की भूमिका को स्पष्ट करता है. इस रिपोर्ट में राणा की संलिप्तता को एक साजिश के रूप में पेश किया गया है, जिसे भारत द्वारा प्रस्तुत किया गया है.
मुंबई हमलों से पहले 8 बार भारत आयाभारतीय जांच एजेंसियों ने अमेरिका को ऐसे कई साक्ष्य दिये, जिससे पता चलता है कि मुंबई आतंकी हमलों से पहले राणा 8 बार भारत आया. राणा ने मुंबई के अलावा कोच्चि, अहमदाबाद, दिल्ली और आगरा का भी दौरा गिया. राणा जिन-जिन जगहों पर ठहरा, उसकी पूरी लिस्ट सबूत के साथ अमेरिका को सौंपा गया. रेकी के दौरान राणा ने जो सूचनाएं ईमेल के जरिए पाकिस्तान भेजीं, वो मेल भी जांच एजेंसियों ने बतौर सबूत अमेरिका को दिया है.
हेडली के साथ संपर्कतहव्वुर राणा ने मुंबई हमलों की रेकी करने वाले एक और आरोपी डेविड हेडली के साथ 231 बार फोन पर बात की. ये बातचीत उस दौरान हुई, जब राणा रेकी के लिए भारत आया हुआ था. हेडली ने खुद अमेरिकी अदालत में अपना जुर्म कबूल किया. जिसके बाद राणा की असलियत भी खुद ब खुद उजागर हो गई.
अमेरिकी एजेंसियों ने जिस दिन डेविड हेडली और तहव्वुर राणा को गिरफ्तार किया, उसी दिन से भारतीय एजेंसियों ने राणा के खिलाफ सबूत जुटाने शुरू कर दिये. राणा का भारत आना उन्हीं कोशिशों की कामयाबी है.
वीडियो: दी लल्लनटॉप शो: 26/11 आतंकी हमले के आरोपी तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण की पूरी कहानी