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यूपी पुलिस ने फिर सिविल केस को क्रिमिनल बनाया, इस बार SC ने अधिकारियों का हिसाब कर दिया

इससे पहले, एक अन्य मामले में CJI ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा था, "यह गलत है! यूपी में क्या हो रहा है? रोज़ सिविल मामलों को आपराधिक मामलों में बदला जा रहा है. यह कानून के शासन का पूरी तरह से उल्लंघन है!"

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सुप्रीम कोर्ट ने लगाया यूपी पुलिस पर जुर्माना. (तस्वीर: इंडिया टुडे)

हाल में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी पुलिस के लिए तीखी आलोचना की थी. उसने कहा था कि उत्तर प्रदेश की पुलिस सिविल मामलों को क्रिमिनल केस में तब्दील करने में लगी हुई है. अब इसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी पुलिस के दो अधिकारियों पर 50-50 हजार रुपये का फाइन लगाया है. आरोप है कि इन पुलिस अधिकारियों ने प्रॉपर्टी से जुड़े एक सिविल केस को क्रिमिनल केस की तरह ट्रीट करते हुए FIR दर्ज कर दी थी.

हिन्दुस्तान टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक, CJI संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की अध्यक्षता वाली बेंच ने बुधवार, 16 अप्रैल को मामले की सुनवाई की. इस दौरान बेंच ने कहा कि कोर्ट ने ऐसे मामलों की बाढ़ आ चुकी है, जिनमें सिविल मामलों में FIR दर्ज करने को चुनौती दी जा रही है. शीर्ष अदालत ने साफ कहा, “सिविल मामलों को आपराधिक मामला बनाना न्यायिक फैसलों का उल्लंघन है.”

सुनवाई के दौरान अधिकारियों ने जुर्माना माफ करने की अपील भी की. लेकिन बेंच ने इससे इनकार करते हुए कहा, "आप (यूपी सरकार) 50,000 रुपये का जुर्माना भरें और इसे संबंधित अधिकारियों से वसूल करें."

क्या है मामला?

रिपोर्ट के मुताबिक, शिल्पी गुप्ता नाम की महिला ने कानपुर के रहने वाले रिखब बिरानी और साधना बिरानी के खिलाफ पैसों के लेन-देन के विवाद में FIR दर्ज कराई थी. शिल्पी ने इसे लेकर दो बार स्थानीय मजिस्ट्रेट के कोर्ट में जाकर FIR दर्ज कराने की कोशिश की, लेकिन दोनों बार कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया. कोर्ट ने यह माना कि यह मामला पूरी तरह सिविल है और इसमें आपराधिक जांच का कोई आधार नहीं बनता.

आरोप है कि इसके बाद भी यूपी पुलिस ने बिरानी दंपती के खिलाफ धोखाधड़ी और आपराधिक धमकी जैसी धाराओं में FIR दर्ज कर दी. उन्हें अदालत में पेश होने के लिए समन भेजा गया. इसके बाद बिरानी कपल ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में FIR रद्द करने की गुहार लगाई, लेकिन हाई कोर्ट ने इससे इनकार कर दिया और ट्रायल फेस करने की बात कही. आखिरकार दंपती ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. अब शीर्ष अदालत ने पुलिसकर्मियों पर जुर्माना ठोका है.

इससे पहले, एक अन्य मामले में CJI ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा था,

"यह गलत है! यूपी में क्या हो रहा है? रोज़ सिविल मामलों को आपराधिक मामलों में बदला जा रहा है. यह कानून के शासन का पूरी तरह से उल्लंघन है!"

CJI ने ये भी कहा,

"उत्तर प्रदेश में कानून का शासन पूरी तरह से टूट चुका है. सिविल मामलों को आपराधिक केस में बदलना बर्दाश्त नहीं किया जा सकता."

कोर्ट ने यूपी पुलिस के DGP को इस मामले में हलफनामा दाखिल करने का भी निर्देश दिया था.

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