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जज यशवंत वर्मा पर अभी नहीं होगी FIR... सुप्रीम कोर्ट ने अब खुद बताई इसके पीछे की वजह

याचिकाकर्ता ने Supreme Court से कहा, "इस मामले में आम आदमी कई सवाल पूछ रहा है. 14 मार्च को जब नकदी बरामद हुई, उस दिन FIR क्यों नहीं दर्ज की गई? लिखित रिपोर्ट क्यों नहीं तैयार की गई? एक सप्ताह तक इस घोटाले को क्यों छिपाया गया?"

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(फाइल फोटो: PTI/इंडिया टुडे)

दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा (Justice Yashwant Varma) के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग उठी थी. इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी. 28 मार्च को उच्चतम न्यायालय ने इस रिट याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया. जस्टिस वर्मा के सरकारी आवास से कथित तौर पर भारी मात्रा में नकदी मिली थी.

जस्टिस अभय ओका और जस्टिस उज्जल भुयान की बेंच ने कहा कि ये याचिका उचित समय से पहले दायर की गई है. भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) के निर्देश पर तीन न्यायाधीशों की इन-हाउस कमेटी इस मामले की जांच कर रही है. याचिकाकर्ता ने इस जांच को भी चुनौती दी थी.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, मैथ्यूज जे नेदुपमारा नाम के अधिवक्ता ने ये याचिका दायर की थी. जस्टिस ओका ने उनसे कहा,

आंतरिक जांच समाप्त होने के बाद, कई विकल्प खुले हैं. रिपोर्ट आने और उसकी जांच के बाद CJI की ओर से FIR दर्ज करने के निर्देश दिए जा सकते हैं. या मामले को संसद में भेज सकते हैं. आज इस याचिका पर विचार करने का सही समय नहीं है.

इन-हाउस कमेटी पर उठाए सवाल

याचिकाकर्ता ने कहा,

इस मामले में आम आदमी कई सवाल पूछ रहा है. 14 मार्च को जब नकदी बरामद हुई, उस दिन FIR क्यों नहीं दर्ज की गई? लिखित रिपोर्ट क्यों नहीं तैयार की गई? एक सप्ताह तक इस घोटाले को क्यों छिपाया गया? आपराधिक कानून को लागू करने की प्रक्रिया शुरू क्यों नहीं की गई?

उन्होंने आगे कहा कि जांच करने का काम कोर्ट का नहीं है. इसे पुलिस पर छोड़ देना चाहिए. इन-हाउस कमेटी एक वैधानिक प्राधिकरण नहीं है. और ये एजेंसियों द्वारा की जाने वाली आपराधिक जांच का विकल्प नहीं हो सकती है. जस्टिस ओका ने फिर से अपनी बात दोहराई. उन्होंने कहा कि इस मामले में हस्तक्षेप करने का ये सही समय नहीं है.

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बीती 14 मार्च को जस्टिस वर्मा के आवास में स्थित स्टोर रूम में आग लग गई थी. इसे बुझाने के दौरान कथित तौर पर भारी मात्रा में कैश मिला था. ये जानकारी सामने आने के बाद भारी बवाल मचा. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने जस्टिस वर्मा के ट्रांसफर का ऑर्डर दिया. अब उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट भेजने का फैसला लिया गया है. 

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