विवाद से घिरे इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) के जस्टिस शेखर यादव (Justice Shekhar Yadav) को लेकर एक और खबर आई है. विश्व हिंदू परिषद (VHP) के एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा था कि ‘देश बहुसंख्यकों के हिसाब से चलेगा’. उनके इस बयान का विरोध विपक्षी नेताओं ने तो किया ही था. सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले पर स्वत: संज्ञान लिया था. अब खबर आई है कि सुप्रीम कोर्ट ने उनको ‘हिदायत’ दी है. खबरों के मुताबिक कॉलेजियम ने उन्हें कहा कि ऐसे बयानों से बचा जा सकता था.
जस्टिस शेखर यादव को सुप्रीम कोर्ट ने हिदायत दी, मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं!
Justice Shekhar Yadav ने अपने भाषण के बारे में सफाई दी. उन्होंने अपने भाषण के अर्थ और संदर्भ के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि मीडिया ने विवाद पैदा करने की वजह से उनके भाषण के कुछ ही अंश दिखाए.
इंडिया टुडे ने सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट किया है कि 17 दिसंबर को जस्टिस यादव सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के समक्ष पेश हुए थे. CJI संजीव खन्ना की अगुवाई वाली कॉलेजियम में कुल 5 जज शामिल थे. खबर है कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस शेखर यादव से कहा है कि उन्हें अपने संवैधानिक पद की गरिमा का ध्यान रखना चाहिए. उन्होंने कहा है कि जस्टिस यादव जब भी भाषण दें तो अतिरिक्त सावधानी बरतें. 30 मिनट से अधिक तक चली इस बैठक में क्या-क्या हुआ? पब्लिक डोमेन में इस बारे में विस्तार से जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई है.
CJI के अलावा कॉलेजियम में जस्टिस बी आर गवई, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस एस ओक शामिल थे. सूत्रों की मानें तो कॉलेजियम जस्टिस शेखर यादव के जवाब से संतुष्ट नहीं था. जस्टिस यादव ने अपने भाषण के बारे में सफाई दी. उन्होंने अपने भाषण के अर्थ और संदर्भ के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि मीडिया ने विवाद पैदा करने की वजह से उनके भाषण के कुछ ही अंश दिखाए.
ये भी पढ़ें: मुसलमानों पर बोलने वाले जस्टिस शेखर यादव को हटाने की तैयारी, राज्यसभा में महाभियोग नोटिस आया
राज्यसभा में विपक्षी दल जस्टिस यादव के खिलाफ महाभियोग चलाने की कोशिश कर रहे हैं. उन पर “नफरत फैलाने वाले भाषण” देने और “सांप्रदायिक सद्भावना को खराब” करने के आरोप लगे हैं. उनके खिलाफ लाए गए प्रस्ताव पर राज्यसभा में 55 सांसदों ने हस्ताक्षर कर दिया है. ये जरूरी 50 सांसदों के हस्ताक्षर से ज्यादा है. ऐसे में सबकी नजरें राज्यसभा के सभापति पर टिकी है.
क्या है पूरा मामला?8 दिसंबर को विश्व हिंदू परिषद की लीगल शाखा की तरफ से प्रयागराज में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था. ये कार्यक्रम हाई कोर्ट परिसर के भीतर लाइब्रेरी हॉल में आयोजित किया गया था. यहीं पर जस्टिस शेखर यादव ने कहा था,
“ये कहने में बिल्कुल गुरेज नहीं है कि ये हिंदुस्तान है. हिंदुस्तान में रहने वाले बहुसंख्यक के अनुसार ही देश चलेगा. यही कानून है. आप यह भी नहीं कह सकते कि हाई कोर्ट के जज होकर ऐसा बोल रहे हैं. कानून तो भईया बहुसंख्यक से ही चलता है. परिवार में भी देखिए, समाज में भी देखिए. जहां पर अधिक लोग होते हैं, जो कहते हैं उसी को माना जाता है.”
जस्टिस शेखर ने ये भी कहा था कि 'कठमुल्ले' देश के लिए घातक हैं. उन्होंने कहा था,
“जो कठमुल्ला हैं, शब्द गलत है लेकिन कहने में गुरेज नहीं है, क्योंकि वो देश के लिए घातक हैं. जनता को बहकाने वाले लोग हैं. देश आगे न बढ़े इस प्रकार के लोग हैं. उनसे सावधान रहने की जरूरत है.”
इस बीच इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने नए रोस्टर में जस्टिस शेखर यादव के कामकाज को सीमित कर दिया है. 16 दिसंबर से लागू रोस्टर के अनुसार, जस्टिस यादव अब निचली अदालत के फैसलों के खिलाफ दायर की गई प्रथम अपीलों की ही सुनवाई करेंगे. इनमें भी वो उन्हीं अपील की सुनवाई करेंगे, जो 2010 के पहले दायर की गई हों.
वीडियो: सीएम योगी ने विवादित बयान से घिरे जस्टिस शेखर यादव का समर्थन किया है