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लड़की से संबंध के चलते हुआ मुस्लिम युवक का मर्डर, केस बना गैर-इरादतन हत्या का, SC ने सबको सीधा कर दिया

आरोप है कि मृतक को उसकी एक दोस्त के घरवालों ने इसलिए पीट-पीट कर मार डाला था, क्योंकि वो दूसरे धर्म से ताल्लुक रखता था. पुलिस ने आरोपियों पर गैर-इरादतन हत्या के आरोप के तहत केस दर्ज किया था. हैरानी की बात ये कि ट्रायल कोर्ट और हाई कोर्ट ने भी इसे गैर-इरादतन हत्या का मामला माना

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सांकेतिक तस्वीर. (India Today)

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में एक मुस्लिम युवक की हत्या के मामले में यूपी पुलिस को अहम निर्देश दिए हैं. जस्टिस संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने यूपी सरकार को आदेश दिया है कि वह 26 वर्षीय जिया-उर-रहमान के पिता अय्यूब अली की सहमति से एक विशेष लोक अभियोजक (SPP) नियुक्त करे, जो सहारनपुर की अदालत में मुकदमे की पैरवी करेगा.

आरोप है कि मृतक को उसकी एक दोस्त के घरवालों ने इसलिए पीट-पीट कर मार डाला था, क्योंकि वो दूसरे धर्म से ताल्लुक रखता था. पुलिस ने आरोपियों पर गैर-इरादतन हत्या के आरोप के तहत केस दर्ज किया था. हैरानी की बात ये कि ट्रायल कोर्ट और हाई कोर्ट ने भी इसे गैर-इरादतन हत्या का मामला माना. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आरोपी परिवार के खिलाफ केवल गैर-इरादतन हत्या (धारा 304) का मामला दर्ज करना गलत है. कोर्ट ने साफ कहा कि यह सीधा-सीधा हत्या का मामला है और आरोपियों पर धारा 302 के तहत मुकदमा चलेगा.

क्या था मामला?

खबर के मुताबिक वारदात वाले दिन लड़की के घरवालों ने जिया-उर-रहमान को उसके साथ देख लिया था. लड़की के परिवार ने उन्हें साथ पकड़ा और दोनों को बेरहमी से पीटा. आरोप है कि रहमान को उन्होंने लोहे की रॉड और लकड़ी के डंडों से इतना पीटा कि बाद में उसकी मौत ही हो गई.

लेकिन हैरानी की बात ये कि ट्रायल कोर्ट और हाई कोर्ट ने इस मामले को हत्या की बजाय सिर्फ गैर-इरादतन हत्या का माना. कहा गया इसमें कोई हथियार (गन आदि) इस्तेमाल नहीं हुआ और आरोपियों की मंशा या जानकारी नहीं थी कि उनकी हरकत से युवक की मौत हो जाएगी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सख्त टिप्पणी की है. उसने कहा है,

“यह पूरी तरह से हत्या का मामला है. ऑनर किलिंग है. सिर्फ इसलिए कि वह लड़का दूसरे धर्म का था, उसे मार डाला गया… शरीर पर 10 गंभीर चोटें थीं.”

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि धारा 302 (हत्या) के तहत अब मुकदमा चलेगा. इसमें उम्रकैद या फांसी की सजा हो सकती है. इसके अलावा यूपी सरकार को SPP नियुक्त करने को कहा गया है. साथ ही आरोपियों को भी नई ज़मानत याचिका दाखिल करने को कहा गया है. हालांकि, जब तक उनकी ज़मानत याचिका पर फैसला नहीं होता, उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जाएगा.

गौरतलब है कि अय्यूब अली ने पहले भी आरोपियों पर हत्या का केस चलाने के लिए याचिका दायर की थी, लेकिन पहले ट्रायल कोर्ट और फिर हाई कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया था. अब सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को पलट दिया है.

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