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तलाक के केस में पत्नी को मिला 5 करोड़ का गुजारा भत्ता, सुप्रीम कोर्ट का आदेश

प्रवीण कुमार जैन और उनकी पत्नी अंजू जैन शादी के 6 साल बाद अलग हो गए थे. दोनों का एक बेटा है. अलग होने के बाद पति-पत्नी ने सालों तक तलाक नहीं लिया. करीब 20 साल बाद उन्होंने इसके लिए कोर्ट में आवेदन दिया.

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सुप्रीम कोर्ट ने 5 करोड़ का एकमुश्त गुजारा भत्ता तय किया (तस्वीर : इंडिया टुडे)

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार, 10 दिसंबर को तलाक के एक मामले में पति को पत्नी के लिए 5 करोड़ रुपये का एकमुश्त (एक बार में) भत्ता चुकाने का आदेश दिया. पति का नाम प्रवीण है. वो अपनी पत्नी अंजू से 20 साल से अलग रह रहे हैं.

इंडिया टुडे से जुड़े संजय शर्मा की रिपोर्ट के मुताबिक प्रवीण कुमार जैन और उनकी पत्नी अंजू जैन शादी के 6 साल बाद अलग हो गए थे. दोनों का एक बेटा है. अलग होने के बाद पति-पत्नी ने सालों तक तलाक नहीं लिया. करीब 20 साल बाद उन्होंने इसके लिए कोर्ट में आवेदन दिया. बाद में मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस प्रसन्ना बी. वराले की बेंच नेे इस केस की सुनवाई की.

प्रवीण की तरफ से आरोप लगाए गए कि अंजू ‘अतिसंवेदनशील’ थीं. वह उनके परिवार के साथ ‘उदासीनता’ से पेश आती थी. दूसरी ओर अंजू ने आरोप लगाया था कि प्रवीण का 'व्यवहार उनके प्रति अच्छा नहीं था’.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों की बात सुनी और इसे "irretrievably broken down" बताया, यानी इस रिश्ते को ठीक करने की कोई संभावना नहीं बची. कोर्ट ने साफ किया कि पति का कर्तव्य है कि वह अपने बेटे की देखभाल और सुरक्षा का भी इंतजाम करे. कोर्ट न इस ओर भी इशारा किया कि भले ही हिंदू विवाह अधिनियम के तहत अन्य मुद्दे उठाए गए हों, लेकिन इस शादी के टूटने के बाद स्थायी भत्ता (alimony) तय करना सबसे अहम मुद्दा है.  

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5 करोड़ का भत्ता

स्थायी भत्ते की राशि को तय करने के लिए कोर्ट ने कुछ पुराने केसों का जिक्र किया (जैसे- राजनेश बनाम नेहा (2021) और किरण ज्योत मैनी बनाम अनीश प्रमोद पटेल (2024) का केस). इन्हीं फैसलों की अहम बातों को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने कुछ बिंदु बताए जो भत्ते की राशि का आधार बने.

1. पति-पत्नी का सामाजिक और आर्थिक स्तर.
2. पत्नी और बच्चों की जरूरतें.
3. दोनों की योग्यताएं और रोजगार की स्थिति.
4. पत्नी की अपनी आय या संपत्ति.
5. शादी में पत्नी को जो जीवन स्तर मिला था.
6. परिवार के लिए पत्नी ने अपने करियर में क्या त्याग किया.
7. पत्नी के वकील की फीस और अन्य कानूनी खर्च.
8. पति की आर्थिक स्थिति, आय और जिम्मेदारियां.

कोर्ट ने कहा कि ये बिंदु सिर्फ गाइडलाइन हैं, कोई सख्त नियम नहीं. स्थायी भत्ता ऐसा होना चाहिए जो पत्नी को सम्मानजनक जीवन दे, लेकिन पति पर बेवजह का बोझ न बने.

कितनी है पति की कमाई?

लाइव लॉ में छपी रिपोर्ट के अनुसार प्रवीण एक विदेशी बैंक में मैनेजर के रूप में काम करते हैं जहां उनकी मासिक आय 10-12 लाख रुपये के करीब है. वहीं पत्नी अंजू जैन एक हाउसवाइफ हैं जिसके चलते उनके पास कोई नियमित आय नहीं है. इन तथ्यों को देखते हुए कोर्ट ने भत्ते की रकम 5 करोड़ रुपये तय की है. कोर्ट ने प्रवीण को उनके बेटे के पालन पोषण के लिए एक करोड़ रुपये की वित्तीय सुरक्षा देने का भी आदेश दिया है.

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