वक्फ बोर्ड कानून (Waqf Board Act 2025) पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इनकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि कानून में अच्छे प्रावधान शामिल हैं. ऐसे में इस पर पूरी तरह से रोक लगाना ठीक नहीं है. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत से कहा कि सरकार लोगों के प्रति जवाबदेह है. उसे बड़ी संख्या में ऐसे आवेदन मिले, जिनमें जमीन के बड़े हिस्सों या पूरे गांव को वक्फ की संपत्ति के रूप में दावा किया गया था. मेहता ने कहा कि ऐसे लाखों आवेदनों के जवाब में ये कानून लाया गया है. इस मामले का सार्वजनिक रूप से बहुत महत्व है. उन्होंने कोर्ट से कहा कि संशोधित कानून पर रोक लगाना कठोर कदम होगा.
वक्फ कानून पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, सरकार से 7 दिन में मांगा जवाब
Supreme Court on Waqf Amendment Act: सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ बोर्ड कानून पर पूरी तरह से रोक लगाने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि कानून में अच्छे प्रावधान भी हैं. ऐसे में पूर्ण रोक लगाना ठीक नहीं है. सीजेआई ने सरकार से इस पर 7 दिन में जवाब देने के लिए कहा है.
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मेहता ने कोर्ट से जवाब दाखिल करने के लिए एक हफ्ते का समय मांगा. उन्होंने कहा कि इस पर विचार विमर्श करने की जरूरत है. जल्दबाजी में इस पर फैसला नहीं लिया जा सकता. कोर्ट ने मेहता की बात को रेकॉर्ड में लिया और सरकार को इस पर जवाब दाखिल करने के लिए एक हफ्ते का समय दिया है. याचिकाकर्ता सरकार के जवाब पर 5 दिन के भीतर जवाब दाखिल कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि जब तक सरकार जवाब दाखिल नहीं करती है, तब तक कानून को लेकर यथास्थिति रहेगी.
एसजी मेहता ने कोर्ट को ये भी आश्वासन दिया कि सुनवाई की अगली तारीख तक वक्फ कानून 2025 के तहत बोर्ड और परिषदों में कोई नियुक्ति नहीं होगी. उन्होंने यह भी कहा कि अधिसूचना (Notification) या गजट द्वारा पहले से घोषित वक्फ बाय यूजर समेत वक्फ की स्थिति में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा. कोर्ट में कानून को लेकर 10 याचिकाएं दाखिल हैं. ऐसे में सीजेआई ने निर्देश दिया कि इसमें से सिर्फ 5 याचिकाएं ही अगली सुनवाई में लाई जाएं. उन्होंने कहा,
अगली सुनवाई से केवल 5 रिट याचिकाकर्ता अदालत में होंगे. हम यहां केवल 5 याचिकाएं चाहते हैं. आप 5 का चयन करें. अन्य को या तो आवेदन के रूप में माना जाएगा या निपटा दिया जाएगा.
कोर्ट ने कहा कि हम ऐसी याचिकाओं का नाम नहीं लेंगे. पक्षकार उन याचिकाओं की पहचान करेंगे जिन्हें मुख्य मामलों के रूप में माना जाएगा. कोर्ट ने कहा कि 1995 के वक्फ एक्ट और 2013 में किए गए संशोधन को चुनौती देने वाली रिट याचिकाओं को अलग से दिखाया जाना चाहिए. विशेष मामले के रूप में याचिकाकर्ताओं को आजादी है कि वे 2025 के मामले में रिट दायर कर सकते हैं.
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