सुप्रीम कोर्ट ने 103 साल के एक शख्स को अंतरिम जमानत दी है. ये शख्स अपने ही भाई की हत्या का दोषी है. 36 सालों से जेल में था. जल्दी ही 104 साल का होने वाला है. अब कोर्ट ने उसकी उम्र देखते हुए उसे रियायत दी है ताकि वो अपना 104वां जन्मदिन मना सके और अपने जीवन का अंतिम समय परिवार के साथ गुजार सके.
68 साल की उम्र में जेल हुई, अब 104वें जन्मदिन से पहले जमानत मिली है
इस बुजुर्ग का नाम रसिक चंद्र मंडल है. उनका जन्म साल 1920 में हुआ था. 1988 में एक जमीनी विवाद के चलते रसिक चंद्र ने अपने छोटे भाई सुरेश की गोली मारकर हत्या कर दी थी.
इंडिया टुडे से जुड़े मिल्टन पॉल की रिपोर्ट के मुताबिक इस बुजुर्ग का नाम रसिक चंद्र मंडल है. उनका जन्म साल 1920 में हुआ था. 1988 में एक जमीनी विवाद के चलते रसिक चंद्र ने अपने छोटे भाई सुरेश की गोली मारकर हत्या कर दी थी. इसके बाद सुरेश की पत्नी ने रसिक चंद्र समेत 18 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज कराई थी. पुलिस ने सभी के खिलाफ IPC की धारा 302 और धारा 34 के तहत मामला दर्ज किया था. मुकदमे की प्रक्रिया शुरू हुई और साल 1994 में कोर्ट ने रसिक चंद्र और जितेंद्र तांती नाम के एक और शख्स को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. उस समय रसिक चंद्र की उम्र 68 साल थी.
साल 2018 में रसिक चंद्र ने निचली अदालत के फैसले को कलकत्ता हाई कोर्ट में चुनौती दी. वहां उनकी जमानत अर्जी खारिज कर दी गई. इसके बाद साल 2020 में 99 साल की उम्र में रसिक चंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका दायर की. चार सालों बाद उनकी कोशिश कामयाब हुई. बीती 29 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार ने मामले पर सुनवाई की जिसके बाद रसिक चंद्र को जमानत दे दी गई.
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रसिक चंद्र के बेटे उत्तम ने बताया कि उनके पिता 103 साल के हैं और कुछ ही दिनों में 104 साल के हो जाएंगे. उन्होंने कहा कि पिता को उम्र के हिसाब से जेल में रखना ठीक नहीं है. यह भी बताया कि रसिक चंद्र बीमार हैं और ठीक से चल भी नहीं पाते हैं. ऐसे समय में उनकी रिहाई से परिवार बहुत खुश है.
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