उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती ज़िले में बेसिक शिक्षा विभाग ने मनोहर यादव नाम के रिक्शा ड्राइवर को भेजा अपना नोटिस वापस ले लिया है. नोटिस में मनोहर के फ़र्ज़ी शिक्षक बनकर वेतन लेने और 51 लाख रुपये की रिकवरी की बात कही गई थी. आरोप लगाया गया कि उसने ये पैसे वेतन के रूप में लिये थे. नोटिस के बाद मनोहर यादव का रोते हुए एक वीडियो सामने आया, जिसमें वो कह रहा था कि इतने पैसे वो कहां से चुकाएगा. ख़बर फ़ैली और विभाग की लानत-मलानत हुई. और अब, ये नोटिस वापस ले लिया गया है (Shravasti notice to rickshaw driver).
रिक्शेवाले को बताया फर्जी शिक्षक, थमा दिया 51 लाख का रिकवरी नोटिस, बाद में बहुत कुछ हुआ
Shravasti Rickshaw Driver Notice: नोटिस भेजकर मनोहर के फ़र्ज़ी शिक्षक बनकर वेतन लेने और 51 लाख रुपये की रिकवरी की बात कही गई थी. बाद में बेसिक शिक्षा विभाग ने कहा, 'नोटिस किसी और को भेजा गया था, पहुंच कहीं और गया.'
नोटिस को वापस लेते हुए एक लेटर जारी किया गया. इसमें विभाग ने कहा,
फ़र्ज़ी शिक्षक सुरेंद्र प्रताप सिंह (नाम भी फ़र्ज़ी) को वेतन के रूप में भुगतान किया गया था, जिन्हें बर्खास्त कर दिया गया है. उस भुगतान की वसूली के लिए मनोहर यादव को नोटिस भेज दिया गया था. लेकिन सुरेंद्र का असली नाम देवमणि है. ऐसे में मनोहर यादव को भेजा गया नोटिस निरस्त किया जाता है.
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हुआ क्या था?दरअसल, श्रावस्ती ज़िले में फ़र्ज़ी शिक्षकों के कई मामले सामने आए थे. आरोप लगाए गए कि उन शिक्षकों ने नकली डॉक्यूमेंट्स बनाए और उसके आधार पर शिक्षक की नौकरी कर रहे थे. इस दौरान, वो सरकारी वेतन लेते रहे. दैनिक भास्कर की ख़बर बताती है कि बाद में शिक्षा विभाग ने जांच बैठाई. जांच के बाद ऐसे फ़र्ज़ी शिक्षकों की नियुक्तियां रद्द कर दी गईं और उनके ख़िलाफ़ FIR दर्ज की गई.
वेतन की रिकवरी के लिए नोटिस भी भेजा गया. ऐसा ही एक नोटिस रिक्शा ड्राइवर मनोहर लाल यादव के घर भी पहुंचा. मनोहर श्रावस्ती ज़िले में भिनगा थाना के गोड़पुरवा गांव का रहने वाला है. नोटिस मिलने के बाद मनोहर और उनके परिवार वाले परेशान हो गए कि 51.63 लाख पैसे कैसे चुकाए जाएं. वो भी तब, जब इसमें उनकी कोई ग़लती नहीं थी. मनोहर ने मीडिया के साथ बातचीत की. इस बातचीत में उन्होंने बताया,
शिक्षा विभाग से नोटिस मिला है. हम इतना पैसा कहां से भरेंगे. रिक्शा चलाकर जीवन चल रहा है. हाथ में गट्ठे भी आ गए हैं. जब से नोटिस मिला है, तब से हमने खाना नहीं खाया. मेरे पास कुछ नहीं है. मैं ये पैसे नहीं भर पाऊंगा.
बातचीत के दौरान मनोहर रो भी पड़े. एक न्यूज़ पॉर्टल ने इस घटना का वीडियो अपने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X पर शेयर किया है. बताया गया कि मनोहर दिल्ली में रिक्शा चलाते हैं और परिवार का भरण-पोषण करते हैं. अब नोटिस निरस्त कर दिया गया है. बताते चलें, फ़र्ज़ी शिक्षक सुरेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर नोटिस था. नोटिस के मुताबिक़, आरोपी फ़र्ज़ी शिक्षक अंबेडकर नगर का रहने वाला है. वो नौवापुरवा के एक स्कूल में शिक्षक बनकर पढ़ाता था.
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