पहलगाम हमले के बाद से भारत-पाकिस्तान के रिश्तों में तल्खी काफी बढ़ गई है. एक तरफ भारत ने जहां पाकिस्तान से व्यापार रोकने, सभी पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रोकने और सिंधु जल समझौते पर रोक लगाने जैसे फैसले किए हैं. वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान ने भी जवाब में इससे मिलते-जुलते कई कदम उठाए हैं. जिसमें भारत के लिए अपना एयर स्पेस बंद करना. और शिमला समझौता स्थगित करने जैसे फैसले भी शामिल हैं.
शिमला समझौता क्या है, जिसे पाकिस्तान ने होल्ड पर डाल दिया; इससे फर्क क्या पड़ेगा?
Shimla Pact Under Suspension: भारत और Pakistan एक दूसरे पर Shimla Agreement के उल्लंघन का आरोप लगाते रहे हैं. लेकिन दोनों देशों में से किसी ने इससे पीछे हटने जैसे कदम नहीं उठाए थे. लेकिन पहलगाम अटैक के बाद भारत के लिए फैसले के बाद पाकिस्तान ने इस समझौते को स्थगित करने का फैसला किया है.

भारत ने मिलिट्री हस्तक्षेप कर मार्च 1971 में पूर्वी पाकिस्तान को पाकिस्तान से अलग कर बांग्लादेश के नाम से एक नया देश स्थापित कर दिया. इस युद्ध में पाकिस्तान की सेना ने बांग्लादेश में भारत की सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था. भारत ने इस युद्ध में करीब 90 हजार से अधिक पाकिस्तानियों को युद्ध बंदी बनाया. जिनमें से अधिकांश सैनिक थे. इसके अलावा पश्चिमी पाकिस्तान के करीब पांच हजार वर्ग मील इलाके पर भी भारत का कब्जा हो गया था.
1971 के युद्ध के बाद भारत और पाकिस्तान दोनों देशों ने भविष्य के संघर्षों को रोकने और आपसी चिंताओं को दूर करने के लिए एक फ्रेमवर्क बनाने पर सहमत हुए. युद्ध के करीब 16 महीने बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो शिमला में मिले. जुल्फिकार अली भुट्टो अपनी बेटी बेनजीर भुट्टो के साथ 28 जून 1972 को शिमला पहुंचे थे. दोनों नेताओं ने दो जुलाई 1972 को यहां एक समझौते पर दस्तखत किया. इस समझौते को हम 'शिमला समझौता' के नाम से जानते हैं. इस समझौते के तहत दोनों देशों ने शांतिपूर्ण तरीकों से बातचीत के जरिए अपने मतभेद सुलझाने की प्रतिबद्धता जताई. इसका मकसद शांति बनाए रखना और रिश्ते सुधारना था.
द्विपक्षीयता का सिद्धांत (Bilateralism) : भारत और पाकिस्तान ने यह स्वीकार किया कि वो अपने सभी विवाद आपसी बातचीत के माध्यम से सुलझाएंगे.इसमें किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को स्वीकार नहीं किया जाएगा. इससे पहले भारत और पाकिस्तान कश्मीर को लेकर संयुक्त राष्ट्र (यूएन) जा चुके थे.
नियंत्रण रेखा (LOC) को परिभाषित किया गया : जम्मू और कश्मीर में सीजफायर लाइन को लाइन ऑफ कंट्रोल (LOC) निर्धारित किया गया. दोनों देशों ने इसमें एकतरफा बदलाव नहीं करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की.
कैदियों की रिहाई : भारत ने पाकिस्तान के 90 हजार से ज्यादा युद्धबंदियों को बिना किसी शर्त के रिहा करने पर सहमति व्यक्त की. और पश्चिमी पाकिस्तान की कब्जाई गई ज़मीन भी लौटाने पर राजी हो गया.
बांग्लादेश को मान्यता : पाकिस्तान ने भारत के साथ संबंधों को सामान्य बनाने और बांग्लादेश की संप्रभुता को मान्यता देने की प्रतिबद्धता व्यक्त की.
इन प्रावधानों का उद्देश्य दोनों देशों के बीच स्थायी शांति, आपसी भरोसे और सम्मान की नींव रखना था.
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शिमला समझौते का प्रभाव और विरासतद्विपक्षीय ढांचा (Bilateral Framework) : इस समझौते ने द्विपक्षीय बातचीत के माध्यम से मुद्दों को सुलझाने और किसी तीसरे देश या संस्था के हस्तक्षेप को सीमित करने में अहम भूमिका निभाई है. इस समझौते ने पाकिस्तान को कश्मीर के मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर ले जाने से रोका.
कश्मीर में स्थिरता : इस समझौते के बाद से नियंत्रण रेखा को वास्तविक सीमा मान लिया गया, जिससे बड़े पैमाने पर संघर्ष कम हो गया.
राजनयिक संबंध : इस समझौते ने दोनों देशों के बीच भविष्य के वार्ता और आपसी विश्वास के बहाली का रास्ता साफ किया.
भारत और पाकिस्तान एक दूसरे पर शिमला समझौते के उल्लंघन का आरोप लगाते रहे हैं. लेकिन दोनों देशों में से किसी ने इससे पीछे हटने जैसे कदम नहीं उठाए थे. लेकिन पहलगाम अटैक के बाद भारत के कदमों के जवाब में पाकिस्तान ने इस समझौते को स्थगित कर दिया है.
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