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मुर्शिदाबाद हिंसा: घर-घर जाकर लोगों को भड़का रहे थे SDPI के लोग!

पुलिस की छानबीन में पता चल रहा है कि SDPI सदस्यों ने पिछले कई दिनों से इलाके में मुस्लिम समाज के युवाओं भड़का रहे थे. दावा है कि घर-घर जाकर जाकर SDPI के सदस्य ऐसा कर रहे थे. पुलिस के साथ झड़प में गोली से जान गंवाने वाले एजाज़ के परिजनों ने भी इस बात की पुष्टि की है.

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अब तक 150 लोगों को किया जा चुका है गिरफ्तार. (फोटो- एजेंसी)
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अनुपम मिश्रा

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा के पीछे सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) का हाथ होने की बात सामने आई है. मामले की जांच कर रही बंगाल पुलिस को हिंसा के पीछे SDPI की संलिप्तता के पुख़्ता सबूत मिले हैं. इसके अलावा, हिंसा में बांग्लादेश से जुड़े चरमपंथी संगठनों की भूमिका की भी जांच की जा रही है. वहीं, 14 अप्रैल तक इस मामले में 150 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है.

आजतक से जुड़े अनुपम मिश्रा के इनपुट्स के मुताबिक, पुलिस की छानबीन में यह सामने आया है कि SDPI के सदस्य पिछले कई दिनों से इलाके में मुस्लिम समुदाय के युवाओं को भड़का रहे थे. दावा है कि SDPI के सदस्य घर-घर जाकर युवाओं से कह रहे थे कि सरकार वक्फ के नाम पर उनका सबकुछ छीन लेगी और इसके खिलाफ आंदोलन करना होगा.

इनपुट्स के अनुसार, पुलिस के साथ झड़प में गोली लगने से जान गंवाने वाले एजाज़ के परिजनों ने भी इस बात की पुष्टि की है. उनका दावा है कि SDPI की ओर से मुर्शिदाबाद में भड़काऊ मुहिम चलाई जा रही थी.

पुलिस के मुताबिक, एक समय पश्चिम बंगाल में स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) की सक्रियता सबसे ज़्यादा मुर्शिदाबाद में थी. बाद में SIMI के ही लोग पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) से जुड़ गए और धीरे-धीरे मुर्शिदाबाद, PFI का गढ़ बन गया. SIMI और PFI से जुड़े लोग ही अब SDPI से भी जुड़े हुए हैं.

मुर्शिदाबाद में SDPI का संगठन काफी मज़बूत माना जाता है. बता दें कि केंद्र सरकार ने UAPA के तहत SIMI और PFI दोनों संगठनों को प्रतिबंधित कर दिया है.

पूर्व नियोजित थी मुर्शिदाबाद हिंसा?

पुलिस के मुताबिक, हिंसा में स्थानीय लोगों के अलावा बड़ी संख्या में बाहर से भी लोग शामिल थे. दावा किया गया है कि यह हिंसा पहले से तय थी. शुक्रवार, 11 अप्रैल को जब यह घटना हुई, तो सबसे पहले मुर्शिदाबाद के सूती इलाके में विरोध प्रदर्शन के दौरान नेशनल हाईवे जाम किया गया. यहीं पर पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प शुरू हुई थी.

इसके ठीक बाद शमशेरगंज में भीड़ ने हिंसा और आगजनी शुरू कर दी. इनपुट्स के अनुसार, जब पुलिस सूती में प्रदर्शनकारियों से उलझी रही, तब वहां से महज़ 10 किलोमीटर दूर शमशेरगंज में भीड़ ने तांडव मचाना शुरू कर दिया था. सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया, और चुन-चुनकर दुकानों व घरों को निशाना बनाया गया. जंगीपुर से निकली बड़ी पुलिस फोर्स सूती में ही अटक गई और इस बीच शमशेरगंज में हिंसा जारी रही.

पुलिस के अनुसार, छानबीन में यह सामने आया है कि हिंसा के पीछे युवाओं और कई नाबालिग लड़कों की उन्मादी भीड़ शामिल थी. हिंसा में शामिल लोगों की उम्र 10 से 20 वर्ष के बीच थी. तस्वीरों में भी छोटी उम्र के बच्चों और युवाओं को इसमें भाग लेते देखा जा सकता है.

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