उत्तर प्रदेश के संभल में पिछले साल हिंसा भड़क गई थी. घटना शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के दौरान हुई थी. हिंसा में इस्तेमाल हथियारों को लेकर बैलिस्टिक जांच की रिपोर्ट (Sambhal Violence Ballistics Report) सामने आई है. रिपोर्ट में बताया गया है कि हिंसा में गोलीबारी के लिए अवैध हथियारों का इस्तेमाल किया गया था. ये भी कहा गया है कि इस दौरान पुलिस की ओर से कोई गोलीबारी नहीं हुई.
'संभल हिंसा में अवैध हथियारों का इस्तेमाल, पुलिस ने फायरिंग नहीं की', बैलिस्टिक रिपोर्ट में दावा
Sambhal Violence Update: चार लोगों की मौत जिन गोलियों से हुई, उनके बारे में स्पष्ट रिपोर्ट नहीं मिली है. क्योंकि गोलियां उनके शरीर से आर-पार हो गई थीं.

इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से इस मामले को रिपोर्ट किया है. चार लोगों की मौत जिन गोलियों से हुई, उनके बारे में स्पष्ट रिपोर्ट नहीं मिली है. क्योंकि गोलियां उनके शरीर से आर-पार हो गई थीं. पुलिस का कहना है कि गिरफ्तार किए आरोपियों के पास से इस्तेमाल किए गए हथियार बरामद किए गए. इसमें जिंदा और खाली कारतूस भी शामिल हैं. हिंसा के बाद घटनास्थल से भी खाली खोखे मिले थे. इन सबको फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया था.
हालांकि, फाइनल रिपोर्ट के लिए अभी हथियारों और कारतूसों का मिलान होना है. इसके बाद और अधिक जानकारी सामने आएगी.
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सर्वे के लिए पहुंची थी टीमपिछले साल 19 नवंबर को जामा मस्जिद का सर्वे शुरू हुआ था. सर्वे के लिए टीम पहुंची, तभी वहां भीड़ जुटने लगी. लोगों की संख्या देखकर सर्वे को बीच में रोक दिया गया. इसके बाद 24 नवंबर को टीम फिर से वहां पहुंची. इस बार भी बड़ी भीड़ जमा हो गई. इसी दौरान हिंसा भड़की. पुलिस के साथ भी झड़प हुई.
हिंसा में पुलिसकर्मियों समेत कई लोग घायल हुए. इस मामले में बारह FIR दर्ज हुई हैं. अब तक 81 लोगों की गिरफ्तारी हुई. पुलिस को अब भी 70 लोगों की तलाश है. ये लोग हिंसा में शामिल थे या नहीं? इस बात की जांच की जानी है.
23 मार्च को पुलिस ने जामा मस्जिद के सदर एडवोकेट जफर अली को गिरफ्तार किया था. उन पर हिंसा में शामिल होने का आरोप है. पुलिस ने बताया कि उनके पास इस बात के सबूत हैं कि जफर अली ने लोगों को भड़काने में भूमिका निभाई थी.
वीडियो: संभल हिंसा मामले में शाही मस्जिद के सदर जफर अली गिरफ्तार, भीड़ को भड़काने का लगा आरोप