यूक्रेन ने रूस के ब्रांस्क क्षेत्र में अमेरिका में निर्मित लंबी दूरी की 6 मिसाइलें दागी हैं. रूस ने इसे लेकर बयान जारी किया है. विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा है कि यह इस बात का संकेत है कि अमेरिका संघर्ष को बढ़ाना चाहता है. इससे पहले रूस के रक्षा मंत्रालय ने कहा था कि उनकी सेना ने यूक्रेन की 5 मिसाइलों को मार गिराया, जबकि एक अन्य मिसाइल को गंभीर नुकसान पहुंचाया गया. हालांकि, इस हमले में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है.
यूक्रेन ने रूस पर अमेरिका में बनी लंबी दूरी की मिसाइलें दाग दीं, पुतिन ने परमाणु नीति बदल दी
रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि यह इस बात का संकेत है कि अमेरिका संघर्ष को बढ़ाना चाहता है. इससे पहले रूस के रक्षा मंत्रालय ने कहा था कि उनकी सेना ने यूक्रेन के 5 मिसाइलों को मार गिराया, जबकि एक अन्य मिसाइल को गंभीर नुकसान पहुंचाया गया.
ब्राजील की राजधानी रियो डी जेनेरियो में जी20 समिट के दौरान रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने पत्रकारों को संबोधित किया. समाचार एजेंसी ‘रॉयटर्स’ के मुताबिक, इस दौरान उन्होंने यूक्रेन के मिसाइल हमले पर अपना पक्ष रखा. कहा,
“यह सही है कि ब्रांस्क इलाके में रात को कई बार आर्मी टेक्टिकल मिसाइल सिस्टम (ATACMS) का इस्तेमाल किया गया. इससे शर्तिया पता चलता है कि यह एक इशारा है कि वे (अमेरिका) तनाव को बढ़ाना चाहते हैं. अमेरिका की मदद के बिना इस उच्च तकनीक वाली मिसाइलों का उपयोग करना असंभव है.”
लावरोव ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि रूस की परमाणु नीति में बदलाव को गंभीरता से लिया जाएगा.
पुतिन ने परमाणु नीति में क्या बदलाव किए?हाल ही में अमेरिका ने यूक्रेन को लंबी दूरी की मिसाइलों के इस्तेमाल की अनुमति दी. इसके बाद रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 19 नवंबर को अपनी परमाणु नीति में बदलाव करने का दावा किया. इन बदलावों को अमेरिका के लिए चेतावनी के तौर पर देखा जा रहा है. मोटे तौर पर इन बदलावों में तीन बातें महत्वपूर्ण हैं.
1. इस बदलाव के तहत रूस ने परमाणु हमले के इस्तेमाल की बाधाओं को कम कर दिया है.
2. अगर किसी नॉन-न्यूक्लियर देश ने किसी परमाणु संपन्न देश की मदद से रूस पर हमला किया, तो रूस इसको संयुक्त हमले के तौर पर देखेगा.
3. अगर कोई देश मिसाइल, ड्रोन या फाइटर जेट्स का इस्तेमाल करता है तो रूस उस हमले को न्यूक्लियर रेस्पॉन्स के जस्टिफिकेशन के तौर पर देख सकता है.
रूस पिछले कई महीनों से अपनी परमाणु नीति बदलने पर विचार कर रहा था. इसकी घोषणा सितम्बर के महीने में ही कर दी गई थी.
घटनाक्रम की शुरुआत कहां से हुई?फरवरी 2022 से रूस और यूक्रेन के बीच लगातार जारी युद्ध में कई उतार चढ़ाव देखे गए. जंग में पलड़ा रूस का ही भारी रहा, लेकिन यूक्रेन से उसे टक्कर मिली है. महीनों से यूक्रेन मांग कर रहा था कि उसे रूस के अंदर तक हमला करने की इजाज़त दी जाए. उसे लंबी दूरी की मिसाइल इस्तेमाल करनी है. नेटो के देश, खासतौर पर अमेरिका इसके लिए तैयार नहीं था. लेकिन अब रिपोर्ट्स आई हैं कि यूक्रेन को इसकी इजाज़त मिल गई है.
17 नवंबर को अमेरिकी अखबारों ने दावा किया कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने यूक्रेन को लॉन्ग रेंज की मिसाइलों के इस्तेमाल की मंज़ूरी दे दी है. हालांकि, अमेरिका ने अब तक इसकी आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं की है. यूक्रेन को इसकी इजाज़त मिलने के पीछे की वजह है रूस में नार्थ कोरियाई सैनिकों की तैनाती. अक्टूबर महीने से ख़बर आ रही है कि नॉर्थ कोरिया के लगभग 10 हज़ार सैनिक रूस का साथ देने पहुंचे हैं. यूक्रेन तो दावा कर रहा है कि वो कुर्स्क क्षेत्र में यूक्रेन के ख़िलाफ़ लड़ भी रहे हैं. अमेरिकी अखबारों के अनुसार, यूक्रेन को ये इजाज़त नार्थ कोरियाई सैनिकों की तैनाती के जवाब में दी गई है.
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ATACMS कैसे काम करता है?ये एक सरफ़ेस टू सरफ़ेस मिसाइल है. अमेरिका में बनती है. लंबी दूरी के टारगेट को साधने में इसका इस्तेमाल किया जाता है. ये लगभग 300 किलोमीटर तक का निशाना भेद सकती है. ATACMS का इस्तेमाल यूक्रेन, रूस के क़ब्ज़े वाली ज़मीन पर करता रहा है. लेकिन उसे रूसी धरती पर इसका इस्तेमाल करने की इजाज़त अब मिली है.
न्यूज एजेंसी ‘द एसोसिएटेड प्रेस’ की रिपोर्ट के अनुसार, रूस के रक्षा मंत्रालय ने 18 नवंबर को 5 ATACMS को मार गिराने और एक के सिस्टम को नष्ट करने का दावा किया है. रिपोर्ट के मुताबिक, यूक्रेन ने भी 18 नवंबर को ब्रांस्क में एक रूसी सैन्य हथियार डिपो पर हमला करने का दावा किया है. लेकिन उसने यह स्पष्ट नहीं किया कि इस दौरान कौन से हथियार इस्तेमाल किए गए.
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