‘विलफुल डिफ़ॉल्टर्स’ (Wilful Defaulters). बैंकिंग के क्षेत्र में यह शब्द उन व्यक्तियों या संस्थानों के लिए इस्तेमाल होता है, जिनके पास क़र्ज़ चुकाने के लिए संसाधन होते हैं. लेकिन, फिर भी वो अपना क़र्ज़ नहीं चुकाते हैं. उदाहरण के लिए विजय माल्या को ही ले लीजिए. एक तरफ उनका कहना था कि वो बैंको का क़र्ज़ चुकाने में सक्षम नहीं हैं. और दूसरी तरफ वो अपने निजी जीवन में खूब पैसे खर्च कर रहे थे.
ढाई हजार कंपनियों पर बैंकों का करीब 2 लाख करोड़ उधार, पैसा पास में है फिर भी वापस नहीं दे रहे
RBI ने 2,664 कंपनियों को विलफुल डिफ़ॉल्टर्स (Wilful Defaulters) की कैटेगरी में डाला है. आंकड़े बताते हैं कि इन कंपनियों पर 1,96,441 करोड़ रुपये बैंकों के उधार हैं. लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती, इन कंपनियों के ऊपर जो असल क़र्ज़ और देनदारी बकाया है, वो इस आंकड़े से कहीं ज़्यादा है.
रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया (RBI) ने इन विलफुल डिफ़ॉल्टर्स कंपनियों के बारे में खुलासा किया है. RBI ने 2,664 कंपनियों को विलफुल डिफ़ॉल्टर्स की कैटेगरी में डाला है. मार्च 2024 तक के आंकड़े बताते हैं कि इन कंपनियों पर 1,96,441 करोड़ रुपये बैंकों के उधार हैं. इंडियन एक्सप्रेस के द्वारा दाखिल RTI के जवाब में RBI ने 100 विलफुल डिफ़ॉल्टर्स कंपनियों की सूची दी है. इस लिस्ट में गीतांजलि जेम्स सबसे पहले स्थान पर है. जून 2024 तक के आंकड़ों के मुताबिक़ इस कंपनी पर बैंकों का 8,516 करोड़ रुपये का क़र्ज़ बकाया है. इस लिस्ट में किसी व्यक्ति या विदेशी कर्ज़दारों को शामिल नहीं किया गया है.
इंडियन एक्सप्रेस में छपी जॉर्ज मैथ्यू की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ बीते चार सालों में विलफुल डिफ़ॉल्टर्स कंपनियों की संख्या में इज़ाफ़ा हुआ है. मार्च 2020 तक इस लिस्ट में 2,154 कंपनियों के नाम थे. मार्च 2024 में ये संख्या बढ़कर 2,664 हो गई है. बीते 4 सालों में इन विलफुल डिफ़ॉल्टर्स के द्वारा लिए गए क़र्ज़ में भी बढ़ोतरी हुई है. मार्च 2020 तक इनपर 1,52,860 करोड़ रुपये बकाया था जो कि मार्च 2024 में बढ़कर 1,96,441 करोड़ रुपये हो गया.
हालांकि, इन कंपनियों के ऊपर जो असल क़र्ज़ और देनदारी बकाया है, वो इस आंकड़े से कहीं ज़्यादा है. नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) के सामने जो क़र्ज़ इन कंपनियों से मांगा गया है, वो कई हज़ार करोड़ में है. RBI ने जिस क़र्ज़ बकाये के बारे में बताया है, वो क़र्ज़ का केवल उतना हिस्सा है जो विलफुल डिफ़ॉल्ट की कैटेगरी में आता है. RBI के मुताबिक़ ‘विलफुल डिफ़ॉल्ट’ क़र्ज़ के केवल उस हिस्से को कहा जाता है जिसे देने में कर्ज़दार सक्षम हो. लेकिन, फिर भी वो उसे चुकाने से मना कर दे.
RBI की गाइडलाइन बताती है कि विलफुल डिफ़ॉल्ट किन परिस्थतियों में होती है -
- पहला, जब कर्ज़ लेने वाला किसी ख़ास काम से क़र्ज़ ले. और फिर उस पैसे को किसी दूसरे काम के लिए इस्तेमाल कर ले.
- दूसरा, जब क़र्ज़ लेने वाला क़र्ज़ के पैसों को गुप्त तरीके से गायब करके दूसरे कामों में खर्च कर दे.
- तीसरा, कर्ज़दार उन संपत्तियों को बैंक को जानकारी दिए बगैर बेच दे, जिसके एवज में उन्होंने बैंक से क़र्ज़ लिया था.
लिस्ट में जो कंपनी पहले नंबर पर है वो है ‘गीतांजलि जेम्स’. इस कंपनी के प्रमोटर या आसान भाषा में कहे तो मालिक हैं मेहुल चौकसी. इन्हीं के भतीजे हैं नीरव मोदी. जब इनकी कंपनी पर लोन फ़्रॉड की FIR दर्ज़ हुई, तो दोनों चाचा-भतीजे भारत से फरार हो गए. हाल में इस मामले से जुड़ी एक ख़बर सामने आई थी. इसमें बताया गया था कि सीरियस फ़्रॉड इन्वेस्टीगेशन ऑफिस (SFIO) ने गीतांजलि जेम्स लोन फ़्रॉड से जुड़े 60 लोगों और संस्थानों पर लगाए गए आरोप वापस ले लिए हैं.
ऑडिट में ये बात भी सामने आयी थी कि कंपनी के टॉप मैनेजमेंट अधिकारियों ने लोन के पैसों को अन्य गतिविधियों में खर्च किया. उन पर क्रिमिनल ब्रीच ऑफ़ ट्रस्ट यानी विश्वासघात करके आपराधिक गतिविधि को अंज़ाम देने का इल्ज़ाम लगा. क्योंकि उन्होंने बैंकों से लिए क़र्ज़ को अपने निजी काम के लिए इस्तेमाल किया. और संभवतः इन पैसों को टैक्स हैवन माने जाने वाले देशों में ट्रांसफर किया. टैक्स हैवन उन देशों को कहते हैं, जहां विदेशी मूल के लोगों और कंपनियों को अपने पैसों को सुरक्षित जमा रखने की सुविधा दी जाती है. और इन पैसों पर उन्हें टैक्स भी बेहद कम या न के बराबर देना होता है. साथ में उनसे इन पैसों का कोई हिसाब भी नहीं मांगा जाता. उदाहरण के लिए आप स्विज़रलैंड के स्विस बैंक को ले सकते हैं.
लिस्ट में दूसरे नंबर पर है शिपबिल्डिंग क्षेत्र की बड़ी कंपनी एबीजी शिपयार्ड. इस कंपनी के प्रमोटर हैं ऋषि अग्रवाल. एबीजी शिपयार्ड (ABG Shipyard) पर बैंकों का 4,684 करोड़ रुपये बकाया है. इस कंपनी का ऑडिट स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ने नामी ऑडिटिंग फर्म E&Y से करवाया था. ऑडिट में कंपनी के टॉप मैनेजमेंट अधिकारियों पर आरोप लगे कि उन्होंने भी क़र्ज़ के पैसों का इस्तेमाल अपने निजी फायदे के लिए किया. ऋषि अग्रवाल को CBI ने सितंबर 2022 को गिरफ़्तार किया था.
लिस्ट में तीसरी कंपनी है कॉनकास्ट स्टील एंड पॉवर (Concast Steel and Power). इस पर बैंकों का 4,305 करोड़ रुपये उधार है. इसी सप्ताह इंफोर्समेंट डायरेक्टरेट (ED) ने इस कंपनी के मालिक संजय सुरेका को बैंक फ़्रॉड केस में गिरफ़्तार किया है. रेड में उनके यहां से साढ़े चार करोड़ रुपये की ज्वेलरी और कई विदेशी लक्ज़री गाड़ी ज़ब्त की गई हैं.
RBI की लिस्ट में चौथे नंबर पर जिस कंपनी का नाम है वो है एरा इंफ़्रा इंजीनियरिंग (Era Infra Engineering). इस कंपनी ने 3,637 करोड़ रुपये का विलफुल डिफ़ॉल्ट किया है. इस कंपनी के मालिक हैं एचएस भड़ाना (HS Bharana). NCLT के बैंकरप्सी कोर्ट ने इस कंपनी के एक्वीजीशन को मंजूरी दे दी है. जून 2024 में एसए इंफ्रास्ट्रक्चर कंसल्टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड (SA Infrastructure Consultants Pvt Ltd) ने इसका अधिग्रहण कर लिया है.
पांचवे नंबर पर है आरइआई एग्रो (REI Agro). इसने 3,350 करोड़ रुपये का विलफुल डिफ़ॉल्ट किया है. ED ने इस कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर संदीप झुनझुनवाला को भी गिरफ़्तार कर लिया है. इनके ख़िलाफ़ मनी लॉन्डरिंग से जुड़े मामले की जांच चल रही है. इनके ऊपर ये आरोप है कि 2018 में इन्होंने बैंकों के पैसों का अवैध इस्तेमाल किया था. इनकी कंपनी REI Agro 2013 में दुनिया की सबसे बड़ी बासमती चावल प्रोसेस करने वाली कंपनी हुआ करती थी.
लिस्ट में छठवीं कंपनी है विनसम डायमंड्स (Winsome Diamonds). इस कंपनी का विलफुल डिफ़ॉल्ट है 2,927 करोड़ रुपये का. इसके प्रमोटर हैं जतिन मेहता. ये भी देश से फरार हैं. जैसे ही इनके कंपनी के फ़्रॉड का मामला सामने आया, ये देश छोड़कर भाग गए. इनके ग्रुप की ही एक और कंपनी है फॉरएवर प्रिसियस ज्वेलरी (Forever Precious Jewellery) इसने 1,692 करोड़ का विलफुल डिफ़ॉल्ट किया है. ये लिस्ट में सातवें नंबर पर है. लंदन की एक अदालत ने 2022 में इनकी संपत्तियों पर वर्ल्डवाइड फ्रीज़िंग आर्डर (worldwide freezing order) जारी किया था. वर्ल्डवाइड फ्रीज़िंग आर्डर जारी होने के बाद कोई व्यक्ति या कंपनी अपनी किसी भी संपत्ति को चाहे वो विश्व में कहीं भी हो, क़ानूनी तौर पर बेच नहीं सकती है. जतिन मेहता पर आरोप है कि उन्होंने 1 बिलियन डॉलर (तक़रीबन 84,95,25,00,000 रुपये) का घोटाला किया है. उन्होंने अपनी दो कंपनियों के लिए बैंकों से बहुत सारा पैसा उधार लिया और फिर उसे शेल कंपनियों के द्वारा बाहर के देश में ट्रांसफर कर दिया.
इस लिस्ट में आठवें नंबर पर है हैदराबाद की ट्रांसट्रॉय (इंडिया) लिमिटेड. ये तेलगु देशम पार्टी (TDP) के पूर्व MP रायापति संबासिवा राव (Rayapati Sambasiva Rao) की कंपनी है.
लिस्ट में नौवें नंबर है कानपुर की पेन बनाने वाली कंपनी रोटोमैक ग्लोबल (Rotomac Global). इस कंपनी ने 2,894 करोड़ रुपये का विलफुल डिफ़ॉल्ट किया है. कंपनी के मालिक विक्रम कोठारी पर आरोप है कि उन्होंने बैंक से पैसा लिया और फिर उस पैसे को दूसरे खातों में ट्रांसफर कर दिया. जबकि उन्होंने क़र्ज़ लिया था उन लोगों को देने के लिए जिनसे वो कच्चा माल खरीदते हैं.
विलफुल डिफ़ॉल्ट के मामले में दसवीं कंपनी है ज़ूम डेवलपर्स. इसके मालिक हैं विजय चौधरी. इस पर बैंक का क़र्ज़ है 2,217 करोड़ रुपये.
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RBI के द्वारा जारी 100 विलफुल डिफ़ॉल्टर्स कंपनियों की लिस्ट में से कुछ नाम ये हैं
Name of the Borrower | Amount owed as of June 2024 (Rs crore) |
GITANJALI GEMS LIMITED | 8,516 |
ABG SHIPYARD LTD | 4,684 |
CONCAST STEEL & POWER | 4,305 |
ERA INFRA ENGINEERING | 3,637 |
REI AGRO | 3,350 |
WINSOME DIAMONDS AND JEWELLERY | 2,927 |
TRANSSTROY (INDIA) | 2,919 |
ROTOMAC GLOBAL | 2,894 |
ZOOM DEVELOPERS | 2,217 |
UNITY INFRAPROJECTS | 1,987 |
DECCAN CHRONICLE HOLDINGS | 1,960 |
FROST INTERNATIONAL | 1,913 |
SHRI LAKSHMI COTSYN | 1,887 |
SVOGL OIL GAS AND ENERGY | 1,705 |
FOREVER PRECIOUS JEWELLERY AND DIAMONDS | 1,692 |
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