पंजाब सरकार में कैबिनेट मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल 20 महीने से एक ऐसा विभाग संभाल रहे थे, जो हकीकत में था ही नहीं. उन्हें पंजाब सरकार ने प्रशासनिक सुधार विभाग दिया था. अब पता चला है कि ये विभाग सिर्फ सरकारी रिकॉर्ड में ही चल रहा था. शनिवार, 22 फरवरी को पंजाब सरकार ने एक गजट नोटिफिकेशन जारी करके प्रशासनिक सुधार विभाग के अस्तित्व में न होने का ऐलान किया है.
पंजाब में जो विभाग नहीं, उसमें 20 महीने से मंत्री, न ऑफिस मिला न स्टाफ, अब सरकार ने सुधारी गलती
कुलदीप सिंह धालीवाल के पास NRI मामलों के साथ प्रशासनिक सुधार मंत्रालय था. करीब 20 महीने बाद सरकार ने आधिकारिक तौर पर स्वीकार किया है कि इस तरह के किसी विभाग का कोई अस्तित्व ही नहीं था.
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इंडिया टुडे से जुड़ी कमलजीत संधू की रिपोर्ट के मुताबिक, कुलदीप सिंह धालीवाल के पास NRI मामलों के साथ प्रशासनिक सुधार मंत्रालय था. उन्हें जून 2023 में यह विभाग दिया गया था. इसके बाद से मंत्री जी को न कोई कार्यालय मिला और न ही कोई सचिव. इसके अलावा विभाग की कोई बैठक भी नहीं हुई. बताया गया है कि मंत्री ने यह सब मुख्यमंत्री भगवंत मान को बताया तो उन्होंने गलती सुधारी. मुख्यमंत्री की सलाह पर पंजाब के गवर्नर ने 7 फरवरी 2025 को गजट नोटिफिकेशन जारी करके कहा कि प्रशासनिक सुधार विभाग अब अस्तित्व में नहीं है. यानी अब से मंत्री धालीवाल के पास केवल NRI मामलों का विभाग ही रहेगा.

इस मामले पर सीएम भगवंत मान ने कहा कि सिर्फ विभाग का नाम बदला है. ऐसी कोई बात नहीं है. आगे कहा कि एक मंत्रालय ‘सरकार’ का था, जो अमन अरोड़ा के पास है. और एक मंत्रालय ‘प्रशासन’ के काम से जुड़ा था. अब इन दोनों को एक कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि काम एक ही है, लेकिन मंत्रालय तीन-तीन थे. इसलिए उन्हें एक किया है. सीएम ने आगे कहा कि पहले अलग-अलग विभागों से फाइलें एक-दूसरे को भेजी जाती थीं. लेकिन अब सरकारी बोझ को कम करने के लिए इन्हें एक ही विभाग में समाहित कर दिया.
उन्होंने ये भी कहा है कि विभाग का गठन पिछली सरकारों ने किया था और अब एक उचित व्यवस्था लागू हो गई है.
कुलदीप सिंह धालीवाल साल 1990 में कांग्रेस में शामिल हुए थे. उसके बाद साल 2019 में आम आदमी पार्टी जॉइन की. इसके बाद उन्होंने अमृतसर लोकसभा सीट से चुनाव भी लड़ा था. हालांकि, इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. साल 2022 में अजनाला विधानसभा सीट से AAP के विधायक बने. उन्हें कृषि मंत्री बनाया गया, लेकिन बाद में यह विभाग उनसे वापस ले लिया गया. इसके बाद उन्हें NRI मामलों के साथ प्रशासनिक सुधार मंत्रालय दिया गया.
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