पिछले दिनों पंजाब से एक चौंकाने वाली खबर आई. भगवंत मान सरकार में एक मंत्री हैं, कुलदीप सिंह धालीवाल (Kuldeep Singh Dhaliwal). उनको ‘प्रशासनिक सुधार विभाग’ की जिम्मेदारी दी गई थी. कार्यभार संभालने के बाद उन्होंने इस विभाग की फाइलें मांगीं. कभी कोई फाइल भी नहीं मिली और न ही अधिकारियों से कोई स्पष्ट जवाब. वो 20 महीने तक इस विभाग के मंत्री बने रहे. फिर 21 फरवरी को राज्य सरकार को एक बड़ी गलती का एहसास हुआ. सरकार ने बताया कि ऐसा कोई विभाग अस्तित्व में ही नहीं है. लेकिन ये गलती सिर्फ 20 महीने की नहीं है.
पंजाब में जो विभाग था ही नहीं, उसके मंत्री बनते रहे, 13 साल तक किसी का ध्यान नहीं गया
साल 2017 में कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में Punjab में कांग्रेस की सरकार बनी. जब उन्होंने सरकार बनाई तो विभागों की आधिकारिक सूची में 'प्रशासनिक सुधार विभाग' का नाम नहीं था. इसके बावजूद ये उन विभागों की लिस्ट में था जिसे कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपने पास रखा. इस गलती का किसी को पता नहीं चला.

ये मामला अकाली दल सरकार के दौरान ही शुरू हुआ. कांग्रेस सरकार के दौरान एक मुख्यमंत्री ने भी इस विभाग का नेतृत्व किया. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2000 के दशक में 'कार्मिक एंव प्रशासनिक सुधार विभाग' के हिस्से के रूप में ‘प्रशासनिक सुधार विभाग’ को बनाया गया था.
अकाली दल की सरकार में क्या-क्या हुआ?हुआ यूं कि साल 2009 में तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने 'पंजाब राज्य शासन सुधार आयोग' का गठन किया. चंडीगढ़ के ‘इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट एंड कम्युनिकेशन’ के चेयरमैन प्रमोद कुमार को इसका अध्यक्ष बनाया गया. आयोग ने ‘प्रशासनिक सुधार विभाग’ (Administrative Reforms) को ‘शासन सुधार विभाग’ (Governance Reforms) में बदलने की सिफारिश की.
2012 में अकाली दल और भाजपा के गठबंधन वाली सरकार दोबारा सत्ता में आई. इसके बाद इसमें बदलाव किया गया. फिर ‘शासन सुधार विभाग’ का नया पोर्टफोलियो तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल को दिया गया. वो उस समय गृह मंत्री भी थे. जैसे-जैसे ये विभाग बड़ा हुआ, इसका असर कई अन्य सरकारी विभागों पर भी पड़ने लगा. इससे सुखबीर सिंह बादल और आदेश प्रताप सिंह कैरों के बीच टकराव होने लगे.
आदेश प्रताप कैरों, प्रकाश सिंह बादल के दामाद हैं. तब वो सूचना प्रौद्योगिकी विभाग (IT Department) संभाल रहे थे. सूत्रों के हवाले से इंडियन एक्सप्रेस ने रिपार्ट किया है कि सुखबीर सिंह बादल इस विभाग को अपने नियंत्रण में लेना चाहते थे. लेकिन प्रकाश सिंह बादल ऐसा नहीं चाहते थे. इसलिए उन्होंने बीच का रास्ता निकाला. उन्होंने ‘ई-रिफॉर्म्स’ और ‘ई-गवर्नेंस’ डिपार्टमेंट्स को ‘शासन सुधार विभाग’ के अंडर ला दिया. ये विभाग पहले से ही सुखबीर के पास था.
इससे हुआ ये कि IT विभाग का बड़ा हिस्सा सुखबीर के विभाग के अधीन आ गया, भले ही आधिकारिक रूप से IT Department नाम का विभाग अब भी कैरों के ही पास था. लेकिन बात यहीं नहीं रुकी.
30 नवंबर 2013 को कैबिनेट मीटिंग में इस मुद्दे पर खुलकर बहस हुई. सुखबीर के हाउसिंग विभाग ने एक नई भूमि आवंटन नीति (Land Allotment Policy) बनाई, जिससे IT, IT-संबंधित सेवाओं और इलेक्ट्रॉनिक डिजाइन उद्योगों को फायदा मिल सकता था. आदेश कैरों ने इस नीति का विरोध किया, क्योंकि उनके मुताबिक इस फैसले में उनसे कोई राय नहीं ली गई थी. उन्होंने आरोप लगाया कि ये नीति सिर्फ बड़ी IT कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए बनाई गई थी.
विवाद रोकने के लिए प्रकाश सिंह बादल को खुद बीच-बचाव करना पड़ा. 31 दिसंबर 2013 को सरकार ने Allocation of Business Rules के तहत 48 विभागों की लिस्ट जारी की. इस लिस्ट में शासन सुधार विभाग का जिक्र था, और प्रशासनिक सुधार विभाग का नाम हटा दिया गया था.
कांग्रेस सरकार (2017-2022)साल 2017 में कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी. जब उन्होंने सरकार बनाई तो विभागों की आधिकारिक सूची में 'प्रशासनिक सुधार विभाग' का नाम नहीं था. इसके बावजूद ये उन विभागों की लिस्ट में था जिसे कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपने पास रखा. इस गलती का किसी को पता नहीं चला.
2021 में चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया गया. उन्होंने ये विभाग अपने मंत्री विजय इंदर सिंगला को सौंप दिया. ये बदलाव चुनाव के पहले हुआ था. सिंगला के पास पहले से ही लोक निर्माण विभाग (PWD) जैसे महत्वपूर्ण विभाग थे. फिर से 'प्रशासनिक सुधार विभाग' पर किसी का ध्यान नहीं गया.
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AAP सरकार में क्या हुआ?साल 2022 में पंजाब में AAP की सरकार बनी. जुलाई 2022 में, इंदरबीर सिंह निज्जर को ये विभाग सौंपा गया. निज्जर ने अधिकारियों से विभाग की जानकारी मांगने की कोशिश की लेकिन कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला.
मई 2023 में, निज्जर ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया, और ये विभाग कुलदीप सिंह धालीवाल को सौंप दिया गया. धालीवाल ने बार-बार इस विभाग से जुड़े फाइलों की जांच की, और तब पता चला कि ये विभाग तो हकीकत में है ही नहीं!
इस गलती का खुलासा होने के बाद 27 फरवरी, 2024 को एक कैबिनेट बैठक बुलाई गई. इसमें ‘शासन सुधार विभाग’ का नाम बदलकर ‘गुड गवर्नेंस एंड इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट' कर दिया गया. सरकारी अधिकारियों ने कहा कि ये बदलाव जरूरी था क्योंकि IT विभाग पहले से ही ‘शासन सुधार विभाग’ में शामिल था, लेकिन इसका कहीं स्पष्ट जिक्र नहीं था. मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि अब ये विभाग सिर्फ नाम का नहीं रहेगा, बल्कि इसमें सुधार भी किए जाएंगे.
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