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वक्फ बिल बना गया कानून, विवादों के बीच राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दी मंजूरी

Waqf bill gets President Murmu assent: कई नेताओं ने वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. उनका दावा है कि ये कानून धर्म के पालन के अधिकार, समानता के अधिकार समेत कई संवैधानिक सिद्धांतों का उल्लंघन करता है. इस बीच, बिल को राष्ट्रपति से मंजूरी मिल गई है.

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वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिल गई है. (फ़ोटो - PTI)

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Droupadi Murmu) ने शनिवार, 5 अप्रैल को वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को अपनी मंजूरी दे दी है. उनकी मंजूरी के बाद ये विधेयक अब कानून बन गया है. मैराथन बहस के बाद इस विधेयक को लोकसभा और राज्यसभा से मंजूरी मिली थी.

अब सरकार ने एक नोटिफिकेशन में कहा है,

संसद के इस एक्ट को 5 अप्रैल, 2025 को राष्ट्रपति की मंजूरी हासिल हुई है. इसे आम जानकारी के लिए पब्लिश किया जाता है- वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 (The Waqf (Amendment) Act, 2025).

राष्ट्रपति मुर्मू ने मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक, 2025 को भी अपनी मंजूरी दी है.

बता दें, कई नेताओं ने वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. इनमें ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद और AAP नेता अमानतुल्ला खान शामिल हैं. उनका दावा है कि ये कानून धर्म के पालन के अधिकार, समानता के अधिकार समेत कई संवैधानिक सिद्धांतों का उल्लंघन करता है.

हालांकि, सरकार ने इस दावे से स्पष्ट रूप से इनकार किया है कि संशोधित कानून ‘मुसलमानों की धार्मिक प्रथाओं में हस्तक्षेप’ करता है. 2 अप्रैल को लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि वक्फ एक धर्मार्थ संस्था है. इसका वक्फ (दाता) सिर्फ़ मुस्लिम समुदाय से ही हो सकता है.

गृह मंत्री ने कहा कि ग़ैर-मुस्लिमों को प्रशासनिक मकसद के लिए वक्फ बोर्ड या परिषद में शामिल किया गया है. ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि वक्फ से हासिल किसी भी दान का इस्तेमाल उसी मकसद के लिए किया जा रहा है, जिसके लिए वो दिया गया है.

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इससे पहले, लोकसभा में 2 अप्रैल की रात वक्फ बिल पर वोटिंग हुई. बिल को पारित करने के लिए कम से कम 272 वोटों की ज़रूरत थी. निचले सदन में बिल के समर्थन में 288, तो विरोध में 232 वोट पड़े. इसके अलावा, राज्यसभा में भी सरकार ने 3 अप्रैल को देर रात इस बिल को पास करवा लिया. यहां बिल के पक्ष में 128 वोट पड़े और विरोध में 95 वोट.

संसद में वोटिंग के दौरान भी ख़ूब हंगामा हुआ. चर्चा में विपक्षी दलों की ओर से कड़ी आपत्तियां जताई गईं. उन्होंने विधेयक को ‘मुस्लिम विरोधी’ और ‘असंवैधानिक’ करार दिया. जबकि सरकार ने जवाब दिया कि इस ‘ऐतिहासिक सुधार’ से अल्पसंख्यक समुदाय को लाभ होगा. सरकार का दावा है कि नए कानून से भारत में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और प्रशासन में सुधार होगा.

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