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'सीमा पर शांति बनाना हमारी प्राथमिकता', शी जिनपिंग से मिलकर बोले PM मोदी

मई, 2020 में पूर्वी-लद्दाख में सीमा विवाद शुरू होने के बाद से यह दोनों की पहली औपचारिक बैठक थी. अभी दो दिन पहले ही दोनों देशों के बीच समझौता हुआ है कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर सेनाएं गश्त नहीं लगाएंगी.

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PM मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच पिछली बार अक्टूबर, 2019 में ऐसी औपचारिक बैठक हुई थी.

रूस के कज़ान में हो रही BRICS समिट में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग मिले. बुधवार, 23 अक्टूबर को दोनों राष्ट्रनेताओं ने सम्मेलन के दौरान ही द्विपक्षीय वार्ता की. प्रधानमंत्री मोदी ने हाल में हुए भारत-चीन सीमा समझौते का स्वागत किया और कहा कि सीमा पर शांति प्राथमिकता होनी चाहिए.

इससे पहले दोनों के बीच अक्टूबर, 2019 में ममल्लापुरम में शिखर सम्मेलन के दौरान एक औपचारिक बैठक हुई थी. मतलब यह पांच सालों बाद उनकी पहली द्विपक्षीय वार्ता और मई, 2020 में पूर्वी-लद्दाख में सीमा विवाद शुरू होने के बाद से पहली औपचारिक बैठक है. 

जैसा कि आपने कहा, यह पांच साल बाद हमारी पहली औपचारिक बैठक है. हम सीमा पर हुए समझौतों का स्वागत करते हैं. सीमा पर शांति और सौहार्द बनाए रखना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए. आपसी विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता हमारे संबंधों का आधार बने रहना चाहिए.

इसके साथ ही दोनों नेताओं ने सहमति जताई है कि सीमा क्षेत्रों में शांति और सौहार्द बनाए रखने के लिए दोनों पक्ष एक निष्पक्ष, उचित और स्वीकार्य समाधान तलाशने के लिए फिर से मिलेंगे.

इस बैठक में प्रधानमंत्री मोदी के साथ विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल उनके आजू-बाजू बैठे थे. 

अभी दो दिन पहले ही दोनों देशों के बीच समझौता हुआ है कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर आपसी सहमति से सेनाएं गश्त लगाएंगी. सुरक्षा और जियोपॉलिटिक्स समझने वालों ने ‘डिस-इंगेजमेंट’ की इस मुहर को दोनों देशों के बीच चल रहे गतिरोध को ख़त्म करने और नया डायलॉग शुरू करने की दिशा में एक बड़ी सफलता माना.

साल 2017 में भारत और चीन के बीच विवाद का विषय बना, डोकलाम. तब चीन ने भूटान के दावे वाली ज़मीन पर सड़क बनाने की कोशिश की थी. सुरक्षा चिंताओं की वजह से भारत इस विवाद में कूदा और निर्माण को रोकने के लिए क़दम उठाए. इससे दोनों देशों के सैनिकों के बीच गतिरोध पैदा हो गया. जून, 2020 में हालात और ख़राब हो गए. LAC पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प हुई. दोनों पक्षों के सैनिक हताहत हुए थे. इससे द्विपक्षीय संबंधों में तनाव पैदा हो गया. 

धीरे-धीरे तनाव तो कम हुआ, लेकिन गलवान से पहले की स्थिति (status-quo ante) वापस नहीं हुई. द्विपक्षीय संबंधों के अलावा इसकी वजह से दोनों देशों के बीच अन्य क्षेत्रों में भी तनाव हुआ. 

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नवंबर, 2022 में जी-20 नेताओं के लिए आयोजित रात्रिभोज में PM मोदी और राष्ट्रपति शी मिले थे. एक-दूसरे से हाथ मिलाया था और थोड़ी-बहुत बातचीत की थी. 

अगस्त, 2023 में भी भारतीय प्रधानमंत्री और चीनी राष्ट्रपति ने एक संक्षिप्त और अनौपचारिक बातचीत की थी. जोहान्सबर्ग में आयोजित BRICS शिखर सम्मेलन के दौरान ही. 

विदेश सचिव विक्रम मिस्री की घोषणा के मुताबिक़, कज़ान में हो रही बैठक पहली औपचारिक बैठक है. डिस-इंगेजमेंट के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा था कि तत्काल ध्यान सैनिकों की वापसी पर होगा, फिर उचित समय पर सैनिकों की वापस तैनाती की जाई. मतलब यह कि चर्चा के तहत लंबित इलाक़ों में गश्त (जहां भी लागू हो) अगस्त, 2020 से पहले की स्थिति में वापस आ जाएंगी.

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