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पीयूष मिश्रा-मनोज बाजपेयी का 33 साल पुराना गाना अब क्यों चर्चा में है?

‘सुनो रे किस्सा’. इस गाने को लिखा पीयूष मिश्रा ने है, म्यूजिक भी उन्होंने ही दिया है और गाया भी खुद उन्होंने ही है. मनोज बाजपेयी तो इसमें पहचान में नहीं आ रहे. लेकिन, ये गाना अब क्यों वायरल हुआ? इसके पीछे की पूरी कहानी क्या है?

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इसमें पीयूष मिश्रा के साथ-साथ मनोज बाजपेयी भी नजर आ रहे हैं | स्क्रीन शॉट: प्रसार भारती

पीयूष मिश्रा जितने बेहतरीन अभिनेता हैं, उतने ही अच्छे गायक और उतने ही शानदार लेखक भी हैं. उन्होंने कई फिल्मों में गीत भी लिखे हैं. लेकिन ये बात इस समय हम क्यों आपको बता रहे हैं. हो सकता है ऐसा आप सोच रहे हों! ऐसा इसलिए क्योंकि पिछले कुछ रोज से एक वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. इसमें दिख रहे हैं पीयूष मिश्रा, एकदम यंग वाले पीयूष. इस क्लिप में वो एक गीत गा रहे हैं, शीर्षक है - ‘सुनो रे किस्सा’. इस गाने को लिखा पीयूष मिश्रा ने है, म्यूजिक भी उन्होंने ही दिया है और गाया भी खुद उन्होंने ही है. लेकिन, सवाल कि अब ये गाना क्यों वायरल हुआ है? इसके पीछे की पूरी कहानी हम आपको बताएंगे.

मनोज बाजपेयी तो पहचान में नहीं आ रहे! 

ये क्लिप 1991 के एक नाटक की है, जिसे तब दूरदर्शन पर दिखाया गया था. इस नाटक के निर्देशक हैं मशहूर थियेटर निर्देशक बैरी जॉन. इसकी पटकथा और गीत-संगीत सब पीयूष मिश्रा का है. पीयूष के साथ-साथ इसमें अभिनेता मनोज बाजपेयी, दिव्या सेठ शाह और पूर्णिमा खड़गा भी नजर आ रहीं हैं. इसमें पीयूष गीत गाते हुए हारमोनियम बजा रहे हैं और अन्य एक्टर उनके साथ गीत को डिहरा रहे हैं. ये गीत इसलिए भी आपको अच्छा लगेगा क्योंकि ये एक सामाजिक बुराई को सामने ला रहा है. एक बात आपको और बताएं - नीली टी-शर्ट और ग्रे पैंट पहने यंग मनोज बाजपेयी को वीडियो में शायद पहली बार में आप पहचान न पाएं. 

अब ये क्यों वायरल है?

अब 33 साल बाद इस वीडियो को प्रसार भारती अभिलेखागार के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल द्वारा शेयर किया गया है. इस वीडियो के कैप्शन में लिखा है- 'प्रसार भारती अभिलेखागार 25 सालों के दौरान टीवी पर दिखाए गए एक नाटक 'सुनो रे किस्सा' को अब आपके लिए फिर लाया है. इसमें प्रसिद्ध थिएटर कलाकार मनोज बाजपेयी, पूर्णिमा खड़गा, पीयूष मिश्रा, दिव्या सेठ शाह और कई अन्य हैं.'

इस नाटक की इस क्लिप को इसके बाद बैरी जॉन ने भी इंस्टाग्राम पर शेयर किया है. साथ ही उन्होंने लिखा- 'क्या इस नाटक में सचमुच हम सब लोग थे? क्या हम सचमुच तब इतने जवान दिखते थे? हां, ये परिपक्वता की ओर हमारा एक और कदम था....'

इसे लेकर कुछ लोगों ने कॉमेंट भी किए हैं. एक यूजर ने लिखा है- '90 के दशक और आज के टेलीविजन के बीच अंतर देखकर मेरा दिल दुखता है. ऐसी रचनात्मकता जहां कई महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों को सामने लाती है, वहीं ये बेहद मनोरंजक भी है. आजकल मुख्य धारा के टेलीविजन और सिनेमा में कला और मनोरंजन के रूप में क्या चल रहा है, इसके बारे में मैं बात नहीं करना चाहता.'

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एक अन्य यूजर ने लिखा है- 'इतनी सरलता और इतनी खूबसूरती से गढ़ा गया नाटक. ये सभी कलाकार अब बहुत स्वाभाविक और परिपक्व हैं... ये सभी मेरे पसंदीदा एक्टर हैं, आज ये सब जहां हैं, वहां तक पहुंचने के लिए काफी लंबा समय और कड़ी मेहनत लगी है. पीयूष मिश्रा जी और मनोज बाजपेयी जी सर्वकालिक सर्वश्रेष्ठ अभिनेता हैं.'

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