जब PhD और MBA डिग्रीधारक चपरासी की नौकरी के लिए मजबूर हों, तो समझ सकते हैं बेरोजगारी के हालात कितने गंभीर हैं. इसकी ताजा बानगी देखने को मिली राजस्थान में. यहां सरकारी दफ्तरों में चपरासी बनने के लिए लाखों की तादाद में आवेदन किए गए हैं. आवेदकों में एमबीए और पीएचडी धारकों की संख्या अच्छी खासी है. बताया गया है कि कुछ हजार पदों के लिए 24 लाख 76 हजार आवेदन आए हैं.
राजस्थान में चपरासी वैकेंसी के लिए 24 लाख से ज्यादा आवेदन, PhD, MBA भी शामिल
राजस्थान सरकार ने राज्य में फोर्थ क्लास के तहत चपरासी भर्ती निकाली है. कुल 53 हजार 749 पद निकाले गए हैं. इस पर 24 लाख 76 हजार से अधिक लोगों ने आवेदन किया है, जो कुल वैकेंसी से 46 गुना अधिक है. आवेदकों में PhD, MSc, MEd, MBA और प्रशासनिक सेवा की तैयारी करने वाले छात्र शामिल हैं.
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इंडिया टुडे से जुड़े शरत कुमार की रिपोर्ट के मुताबिक कुल 53 हजार 749 पद निकाले गए हैं. इस पर 24 लाख 76 हजार से अधिक लोगों ने आवेदन किया है, जो कुल वैकेंसी से 46 गुना अधिक है. आवेदकों में PhD, MSc, MEd, MBA और प्रशासनिक सेवा की तैयारी करने वाले छात्र शामिल हैं.
अफसर का सपना, चपरासी का फॉर्मरिपोर्ट के मुताबिक जयपुर में रहकर तैयारी करने वाले कई छात्र इस मौके को बैकअप प्लान के रूप में देख रहे हैं. इनमें से कई कोचिंग और लाइब्रेरी में पढ़ने वाले छात्रों से बात की गई. पता चला कई छात्र तो प्रशासनिक सेवा समेत कई प्रतिष्ठित पदों की परीक्षा के लिए तैयारी कर रहे हैं. एक छात्र कमलकिशोर ने बताया कि वह MA, BAD और ITI की पढ़ाई कर चुके हैं. वह साल 2018 से प्रतियोगी परीक्षाओं के फॉर्म भरते आ रहे हैं. लेकिन अभी तक नौकरी नहीं मिली. कमलकिशोर ने कहा कि अगर कुछ नहीं हुआ, तो कम से कम चपरासी तो बन ही जाएंगे.
तनुजा यादव BSC और MSC करने के बाद RAS की तैयारी कर रही हैं. उनका कहना है, “सरकारी नौकरी तो मिलेगी. पद कोई भी हो, छोड़ना नहीं चाहिए.” एक और उम्मीदवार सुमित्रा चौधरी ने बताया कि वो MA और B.Ed कर चुकी हैं. उन्होंने बातचीत में कहा, “सरकारी दफ्तर में पानी पिलाना पड़े तो भी कोई दिक्कत नहीं है.”
इसके अलावा फॉर्म को भरने वालों में कई PhD स्कॉलर भी शामिल हैं. एक निजी कॉलेज में पढ़ा रहे एक अभ्यर्थी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “बच्चों को पता चल गया कि सर चपरासी की लाइन में हैं, तो इज्जत चली जाएगी.”
राजस्थान कर्मचारी चयन आयोग के सचिव डॉ. भागचंद्र बदाल ने बताया कि संख्या बढ़ने की एक वजह बेरोजगारी है. इसके अलावा इस बार पद भी अधिक हैं. 10वीं से लेकर PhD धारकों तक ने फॉर्म भरा है. उनका कहना है कि आजकल हर व्यक्ति सरकारी नौकरी चाहता है. प्राइवेट में कोई नहीं जाना चाहता. जब सारा ट्रैफिक सरकार की ओर जाएगा, तो संख्या तो बढ़ेगी ही.
भर्ती प्रक्रिया को लेकर तकनीकी अड़चनें भी देखी गईं. रिपोर्ट के मुताबिक आखिरी दिन साइट पर इतना लोड था कि हर 6 सेकेंड में एक फॉर्म भरा जा रहा था. अंतिम पांच घंटे में ही 1 लाख 11 हजार आवेदन भरे गए. कई उम्मीदवारों का कहना है कि OTP नहीं आया या दस्तावेज समय पर नहीं जुटा पाए. वहीं MA पास किरण ने बताया कि वह राजस्थान यूनिवर्सिटी में प्राइवेट नौकरी करती हैं. उनका कहना है कि सरकार को फॉर्म फिर से खोलने पर विचार करना चाहिए, क्योंकि हजारों उम्मीदवार छूट गए हैं.
राजस्थान के रोजगार कार्यालयों में 18 लाख से अधिक बेरोजगार रजिस्टर्ड हैं. जबकि गैर-आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार यह संख्या 30 से 35 लाख तक पहुंचती है. इसी वजह से जैसे ही कोई वैकेंसी निकलती है, आवेदन की संख्या लाखों में पहुंच जाती है. इससे पहले वनपाल भर्ती में 2399 पदों के लिए 22 लाख आवेदन आए थे.
अब इतनी बड़ी संख्या में परीक्षा कराना भी अपने आप में एक चुनौती है. राजस्थान में एक साथ अधिकतम तीन लाख अभ्यर्थी ही परीक्षा दे सकते हैं. ऐसे में यह परीक्षा आठ पारियों में आयोजित की जाएगी. जिसके बाद नॉर्मलाइजेशन के जरिए रिजल्ट तैयार किया जाएगा, जिसे लेकर पहले से ही विरोध और आंदोलन चल रहे हैं.
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