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'क्या अब केंद्र सरकार पर FIR होगी... ' पेगासस पर अमेरिका में जो हुआ, उसे देख सुरजेवाला ने दागे सवाल

Pegasus News: अमेरिकी कोर्ट ने पेगासस को लेकर NSO ग्रुप पर फैसला सुनाया है. जिससे साफ़ हुआ है कि इसके जरिए बड़ी गड़बड़ी की गई है. आरोप है कि भारत में भी इसका इस्तेमाल हुआ था और करीब 300 लोगों के फोन में इसे डाला गया था. अमेरिकी कोर्ट के फैसले के बाद अब कांग्रेस नेता Randeep Surjewala ने इसे लेकर कई गंभीर सवाल पूछे हैं.

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रणदीप सुरजेवाला ने तीखे सवाल पूछे हैं. (फ़ोटो - PTI/इंडिया टुडे)

कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने ‘पेगासस स्पाइवेयर पर अमेरिकी कोर्ट के फ़ैसले’ के बाद केंद्र सरकार पर हमला बोला है. उनके मुताबिक कोर्ट के फ़ैसले से उन आरोपों को बल मिलता है कि भारत में 300 वॉट्सऐप नंबरों को निशाना बनाया गया. उन्होंने केंद्र सरकार से कई तीखे सवाल पूछे हैं (Randeep Surjewala on US court Pegasus verdict).

Randeep Surjewala ने की सवालों की बौछार

अमेरिकी कोर्ट ने सुनवाई के दौरान NSO ग्रुप को हैकिंग और कॉन्ट्रैक्ट के उल्लंघन के लिए ज़िम्मेदार पाया था. कोर्ट का कहना था कि अब मामला सिर्फ़ हर्जाने के मुद्दे पर ही आगे बढ़ेगा. अमेरिकी कोर्ट के इस फ़ैसले पर रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि ये फ़ैसला साबित करता है कि कैसे अवैध स्पाइवेयर रैकेट में भारतीयों के 300 वॉट्सऐप नंबरों को निशाना बनाया गया था. उन्होंने केंद्र सरकार से सवाल पूछते हुए सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X पर लिखा,

टारगेट किए गए 300 नाम कौन हैं! दो केंद्रीय मंत्री, तीन विपक्षी नेता, संवैधानिक पद पर बैठे अधिकारी, पत्रकार और बिज़नेस से जुड़े लोग कौन हैं? BJP, सरकार और एजेंसियों को कौन सी जानकारी मिली थी? इसका इस्तेमाल या दुरुपयोग कैसे हुआ और इसका क्या नतीजा निकला? क्या अब वर्तमान सरकार और NSO के स्वामित्व वाली कंपनी के राजनीतिक एक्जिक्यूटिव/अधिकारियों के ख़िलाफ़ उचित आपराधिक मामले दर्ज किए जाएंगे?

रणदीप सरजेवाला का कहना है कि देश इन सब सवालों के जवाब जानना चाहता है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की बात करते हुए आगे लिखा,

क्या सुप्रीम कोर्ट मेटा बनाम NSO में अमेरिकी कोर्ट के फ़ैसले पर ध्यान देगा? क्या सुप्रीम कोर्ट 2021-22 में पेगासस स्पाइवेयर पर तकनीकी विशेषज्ञों की समिति की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने के लिए आगे बढ़ेगा? क्या सुप्रीम कोर्ट अब पेगासस मामले में न्याय की पूर्ति के लिए मेटा को 300 नाम सौंपने के लिए कहेगा?

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US court Pegasus पर क्या बोला?

अमेरिका में कैलिफोर्निया के ओकलैंड डिस्ट्रिक्ट जज फिलिस हैमिल्टन ने वॉट्सऐप (अब मेटा) बनाम NSO ग्रुप की याचिका स्वीकार की थी. वही NSO ग्रुप, जो पेगासस सॉफ्टवेयर बनाता है. 2019 में दायर इस याचिका में NSO ग्रुप पर हैकिंग और कॉन्ट्रैक्ट के उल्लंघन का आरोप लगाया गया. साथ ही, मनाही और हर्जाने की मांग की गई. 20 दिसंबर 2024 को मामले पर फ़ैसला आया. इस फ़ैसले में जज हैमिल्टन ने NSO ग्रुप को दोषी पाया.

NSO ग्रुप को कंप्यूटर फ़्रॉड एंड एब्यूज एक्ट (CFAA) का उल्लंघन करने का दोषी भी पाया गया है. CFAA साइबर सिक्योरिटी से जुड़ा अमेरिका का एक सरकारी क़ानून है. कोर्ट के फ़ैसले के बाद वॉट्सऐप के प्रमुख विल कैथकार्ट की भी प्रतिक्रिया आई है. उन्होंने इसे ‘गोपनीयता की जीत’ बताया. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X पर लिखा,

हमने इस मामले में फ़ैक्ट रखते हुए 5 साल दे दिए. क्योंकि हमारा विश्वास है कि स्वाइवेयर कंपनियां अपनी ज़िम्मेदारी से नहीं भाग सकतीं या वो अपने गैरकानूनी कामों के लिए जवाबदेही से बच नहीं सकतीं.

बताते चलें कि भारत में भी समय-समय पर NSO ग्रुप के पेगासस स्पाइवेयर पर सवाल उठते रहे हैं. इस सॉफ्टवेयर से भारत के भी कुछ लोगों को निशाना बनाए जाने का आरोप है. इनमें कई पत्रकार, राजनेता, केंद्रीय मंत्रियों और सिविल सोसाइटी के लोगों के नाम शामिल हैं. इस ख़बर के सामने आने के बाद राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मच गया था.

वीडियो: जासूसी वाले पेगासस केस की जांच के लिए बनाए गए पैनल ने सुप्रीम कोर्ट में क्या बड़ी जानकारी दी?