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पाकिस्तान ने शिमला समझौता सस्पेंड करने की धमकी दी, पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल का जवाब, '93000 युद्धबंदी भी वापस करो'

भारतीय सेना के रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल कंवलजीत सिंह ढिल्लों ने X पर एक पोस्ट पाकिस्तान के दावों पर तंज कसते हुए उसका मजाक उड़ाया है. शिमला पैक्ट सस्पेंड करने की पाकिस्तान की धमकी पर रिटायर्ड जनरल ने लिखा, “फिर आपको उन 93 हजार युद्धबंदियों को भी वापस करना होगा जिन्हें शिमला समझौते के तहत रिहा किया गया था.”

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1971 में पाकिस्तान के लेफ्टिनेंट जनरल नियाजी ने आत्मसमर्पण पत्र पर साइन किए. (India Today)
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शिवानी शर्मा

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान एक-दूसरे के खिलाफ के खिलाफ एक के बाद एक बड़े फैसले ले रहे हैं. इसी कड़ी में पाकिस्तान ने धमकी दी है कि वो 1972 का शिमला समझौता सस्पेंड कर सकता है. बुधवार, 23 अप्रैल को भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई कड़े कदम उठाए, जिनमें सिंधु जल समझौते पर रोक लगाना भी शामिल था. इसके जवाब में पाकिस्तान ने अपने हवाई क्षेत्र को भारत के लिए प्रतिबंधित कर दिया. साथ ही कहा कि अगर उसकी तरफ आ रहे किसी भी जल प्रवाह को रोका गया तो उसे ‘युद्ध की कार्रवाई’ माना जाएगा जिसका जवाब देने में पाकिस्तान ‘सक्षम’ है.

इसी क्रम में पाकिस्तान ने धमकी दी कि वो भारत के साथ अपने तमाम द्विपक्षीय समझौते रद्द कर देगा, जिनमें शिमला पैक्ट भी शामिल है. द डॉन के मुताबिक पाकिस्तानी कार्यालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि ये रोक तब जारी रहेगी जब तक भारत पाकिस्तान में अपने ‘आतंकी’ अभियान पर रोक नहीं लगाता.

इधर भारतीय सेना के रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल कंवलजीत सिंह ढिल्लों ने X पर एक पोस्ट पाकिस्तान के दावों और धमकियों पर तंज कसा है. शिमला पैक्ट सस्पेंड करने की पाकिस्तान की धमकी पर रिटायर्ड जनरल ने लिखा,

“फिर आपको उन 93 हजार युद्धबंदियों को भी वापस करना होगा जिन्हें शिमला समझौते के तहत रिहा किया गया था.”

इंडिया टुडे से जुड़ीं शिवानी शर्मा की रिपोर्ट के मुताबिक, गुरुवार, 24 अप्रैल को पाकिस्तान ने इस्लामाबाद में नेशनल सिक्योरिटी कमेटी की एक मीटिंग की. इसमें भारत की तरफ से की जा रही घोषणाएं के जवाब में सभी द्विपक्षीय समझौतों को सस्पेंड करने का विचार किया गया. इसके अलावा पाकिस्तान ने भारत से सभी व्यापारिक रिश्ते खत्म करने के साथ-साथ वाघा बॉर्डर को बंद करने का भी एलान किया.

क्या है शिमला समझौता?

1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद 1972 में तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो के बीच शिमला समझौता हुआ था. यह समझौता दोनों देशों के बीच स्थायी शांति की तरफ कदम बढ़ाने का एक प्रयास था.

1971 की जंग में पाकिस्तान की हार के बाद ढाका में पाकिस्तान के तत्कालीन लेफ्टिनेंट जनरल अमीर अब्दुल्ला खान नियाजी ने भारतीय लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के सामने 'इंस्ट्रूमेंट ऑफ सरेंडर' पर हस्ताक्षर किए थे. इसके तहत पाकिस्तानी सेना ने आधिकारिक तौर पर भारतीय सेना के सामने सरेंडर किया था.

शिमला समझौते के तहत भारत ने 93,000 से ज्यादा पाकिस्तानी युद्धबंदियों को रिहा करने पर सहमति जताई थी, जो इतिहास में युद्ध के बाद कैदियों की सबसे बड़ी रिहाइयों में से एक है. इस समझौते में दोनों देशों ने एक दूसरे की क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने और कश्मीर विवाद का शांतिपूर्ण हल ढूंढने का भी वादा किया था.

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