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'इस हमले ने सब बरबाद कर दिया... ', पहलगाम का हाल 2 दिन में ऐसा हो जाएगा, किसने सोचा था!

Pahalgam Terror Attack: हमले वाले दिन शाम तक पहलगाम के होटल लगभग खाली हो गए थे. अगले दिन 23 अप्रैल की सुबह करीब 200 प्राइवेट गाड़ियों ने टूरिस्टों को पहलगाम से बाहर निकाला. पर्यटकों की चहल-पहल वाली इस जगह पर हमले के बाद से अजीब-सी शांति और मायूसी पसर गई. हमले में जान गंवाने वाले परिवारों पर तो दुख का पहाड़ टूटा ही, लोकल के लोग भी काफी परेशान हैं.

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श्रीनगर की डल झील. (फाइल फोटो- इंडिया टुडे)

“धरती का स्वर्ग” कश्मीर (Tourism In Kashmir) के बारे में यह ‘क्लीशे’ लाइन अक्सर कही जाती है. हवाला दिया जाता है यहां के खूबसूरत पहाड़ी नज़ारों का, डल झील में तैरती शिकारा का, कश्मीरी कहावा का, केसर की ख़ुशबू और ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों के बीच से बहती ‘शांत हवा’ का. लेकिन 22 अप्रैल, 2025 (Pahalgam Terror Attack) के रोज़ यहां सब कुछ बदल गया. पर्यटकों की चहल-पहल वाली इस जगह पर हमले के बाद से अजीब-सी शांति और मायूसी पसर गई. रातों-रात यह शहर एक भुताह शहर में तब्दील हो गया. हमले में जान गंवाने वाले परिवारों पर तो दुख का पहाड़ टूटा ही, लोकल के लोग भी रोजगार को लेकर काफी चिंतित और परेशान हैं.   

हमले वाले दिन उमर मजीद पहलगाम के एंट्री पॉइंट पर मौजूद अपने रेस्त्रां के सामने खड़े थे. टाइम्स ऑफ इंडिया को वह बताते हैं, “22 अप्रैल के नरसंहार ने शहर में कैसे सब कुछ बरबाद कर दिया है.” ऐसे ही एक ग्रैजुएट युवा उमर ने पिछले साल ही अपना रेस्त्रां खोला था. वह कहते हैं,

मैं हर दिन सैकड़ों कस्टमर को सर्व करता था. अपने काम में इतना बिज़ी था कि मैं अक्सर लंच भी नहीं कर पाता था. जो कुछ हुआ हम उससे स्तब्ध हैं.

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घाटी के लोगों को रोज़गार की चिंता. (फोटो- एजेंसी)

22 अप्रैल को पहलगाम में एक अलग ही नज़ारा था. बैसरन मैदान में आतंकवादी हमले की ख़बर मिलते ही उमर के रेस्त्रां और आसपास की दूसरी खाने-पीने की दुकानों में डरे हुए चेहरे दिखाई दिए. इन चेहरों को याद करते हुए उमर कहते हैं, 

हम भी उतने ही सदमे में थे जितने वे थे. हमने उन्हें सांत्वना देने की कोशिश की और फ्री में खाना दिया.

शाम तक यह साफ हो चुका था कि हमला कितना बड़ा और भयावह था. इसके बाद शाम तक पहलगाम के होटल लगभग खाली हो गए थे. हाल के वर्षों में, खासकर 2019 में धारा 370 हटने के बाद घाटी में कंस्ट्रक्शन के काम में काफी तेज़ी आई थी. होटलों की संख्या में इज़ाफा हुआ. लेकिन इस हमले ने न सिर्फ घाटी की अंतरात्मा पर बल्कि टूरिज़्म, कारोबार और रोज़गार पर भी गहरी चोट की है.

TOI की रिपोर्ट में एक पुलिस अधिकारी के हवाले से बताया गया कि बुधवार 23 अप्रैल की सुबह क़रीब 200 प्राइवेट गाड़ियों ने टूरिस्टों को पहलगाम से निकाला. UAE में रहने वाली इंजीनियर संदाना सिल्वम अपने 14 दोस्तों के साथ पहलगाम आए थे. उन्होंने कहा,

हम कश्मीरी लोगों के लिए भी दुखी हैं. हम हर साल यात्रा करते हैं. इस बार हमने कश्मीर को चुना. घटना के बारे में सुनने के बाद बहुत से कश्मीरी लोग हमें सुरक्षित महसूस कराने के लिए आगे आए.

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J&K के GDP का काफी हिस्सा टूरिज़्म पर निर्भर है. (फोटो- एजेंसी)

देखा जाए तो कश्मीर की इकॉनमी का काफी हिस्सा टूरिज़्म पर बेस्ड है. आउटलुक बिज़नेस के मुताबिक, टूरिज़्म यहां के GDP में 7.4 पर्सेंट कंट्रीब्यूट करता है. इसकी वजह से लगभग 10 लाख लोगों को रोज़गार मिलता है.

हमले के बाद बिज़नेस और रोज़गार पर चिंता जताते हुए जम्मू यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. दीपांकर सेनगुप्ता ने आउटलुक बिज़नेस से कहा,

पीक सीजन के दौरान इस तरह की घटनाओं से टूरिज़्म पर बुरा असर पड़ता है. यह काफी दिक्कत पैदा करेगा, न सिर्फ फॉरेन रेवेन्यू के मामले में बल्कि रोज़गार के मामले में भी.

2023 में जम्मू-कश्मीर में टूरिज़्म को बढ़ावा देने के लिए श्रीनगर में G20 वर्किंग ग्रुप की बैठकें भी हुई थीं. इससे पहले 2020 में सरकार ने पांच साल के लिए एक टूरिज़्म पॉलिसी भी पेश की थी. इसमें सालाना आधार पर 50 हज़ार से ज़्यादा नौकरियां और लगभग 2000 करोड़ रुपये के प्राइवेट इन्वेस्टमेंट का ज़िक्र था.

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