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'आतंकी के बच्चे' कहे जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाराज़गी, NDPS केस में पहलगाम हमले का जिक्र किया था

NDPS मामले के आरोपी की तरफ से पेश हुए एडवोकेट ने Supreme Court को दलील दी कि आरोपी के बच्चों को स्कूल में परेशान किया जा रहा है. क्योंकि, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की तरफ से Pahalgam Terror Attack का जिक्र किया गया था.

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपी के बच्चों को परेशान नहीं किया जाना चाहिए (फोटो: आजतक)

सुप्रीम कोर्ट ने NDPS मामले के आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि आरोपी के बच्चों को परेशान नहीं किया जाना चाहिए. दरअसल, आरोपी की तरफ से पेश एडवोकेट ने कोर्ट से कहा कि आरोपी के बच्चों को स्कूल में 'आतंकवादियों के बच्चे' कहकर बुली किया जा रहा है. क्योंकि, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की तरफ से पहलगाम आतंकी हमले (Pahalgam Terror Attack) का जिक्र किया गया था.

क्या है पूरा मामला?

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, आरोपी की तरफ से पेश हुए सीनियर एडवोकेट आर्यमा सुंदरम ने कोर्ट को दलील दी कि आरोपी के बच्चों को स्कूल में परेशान किया जा रहा है. दरअसल, जांच एजेंसी की तरफ से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (ASG) ने दावा किया था कि इस मामले में ड्रग्स से मिलने वाली आय का एक हिस्सा आतंकवादी संगठन ‘लश्कर-ए-तैयबा’ को दिया गया. एडवोकेट सुंदरम ने कहा कि इस बयान के बाद अखबारों में आरोपी का नाम आतंकी हमले से जोड़ दिया गया. जिसके बाद आरोपी के नाबालिग बच्चों का सामाजिक बहिष्कार और उत्पीड़न हुआ, जिसकी वजह से परिवार को उन्हें स्कूल से वापस लाना पड़ा.

सीनियर एडवोकेट सुंदरम ने कहा कि यह मामला केवल एक सामान्य NDPS (नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस) बेल का मामला था, जिसका आतंकी हमले से कोई संबंध नहीं था. उन्होंने कहा कि स्पष्ट करना जरूरी है कि दोनों मामले आपस में जुड़े नहीं हैं. इसका जवाब देते हुए सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कहा कि ऐसे सबूत मौजूद हैं, जो बताते हैं कि कथित मादक पदार्थ तस्करी की आय लश्कर-ए-तैयबा तक पहुंचाई गई थी. हालांकि, एडवोकेट सुंदरम ने इसे चुनौती देते हुए ऐसे संबंध का दस्तावेजी सबूत मांगा और कहा कि “एक कागज़ का टुकड़ा दिखाओ जिस पर ऐसा लिखा हो”

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सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

आरोपी की जमानत याचिका पर गुरुवार, 24 अप्रैल को सुनवाई करते हुए जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा,

किसी भी व्यक्ति के परिवार के किसी भी सदस्य को, उसकी वजह से कोई कष्ट नहीं उठाना चाहिए. चाहे उसने कुछ भी किया हो या नहीं किया हो.

उन्होंने कहा कि यह ऐसा मुद्दा नहीं है जिस पर विचार किया जाना चाहिए. इसलिए इसमें अनावश्यक रूप से नहीं उलझना चाहिए. वहीं, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) ऐश्वर्या भाटी ने माना कि परिवार के सदस्यों के खिलाफ कार्यवाही की वजह से बच्चों को कष्ट नहीं उठाना चाहिए. उन्होंने कहा कि बच्चों को परेशानी नहीं होनी चाहिए. अगर ऐसा है, तो पुलिस इसका ध्यान रखेगी.

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