वन नेशन वन इलेक्शन विधेयक को मोदी कैबिनेट (One Nation One Election) से मंजूरी मिल गई है. सूत्रों के हवाले से ये जानकारी आई है. सूत्रों ने ये भी बताया कि संसद के इसी सत्र में इस विधेयक को पेश किया जा सकता है.
'वन नेशन वन इलेक्शन' बिल को मोदी कैबिनेट की मंजूरी, संसद के इसी सत्र में पेश हो सकता है
Modi Cabinet ने One Nation One Election विधेयक को मंजूरी दे दी है.
सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव एक साथ कराए जाएं. एक चुनावी बूथ में दो मशीनें हों और वोटर एक मशीन में सांसद चुने, दूसरी में विधायक. 11 घंटे की वोटिंग में प्रधानमंत्री भी तय हो जाएगा और सारे मुख्यमंत्री भी.
इससे पहले सितंबर महीने में इस बिल के प्रस्ताव को कैबिनेट से मंजूरी मिल गई थी. तब गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि इसी सरकार के इसी कार्यकाल में इसकी घोषणा की जाएगी. कैबिनेट ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व में बनाई गई कमेटी की रिपोर्ट को मंजूरी दी थी.
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Ram Nath Kovind कमेटी की रिपोर्ट में क्या था?2 सितंबर, 2023 को केंद्र सरकार ने इसके लिए कमेटी का गठन किया था. इस कमेटी में 8 सदस्य थे. अध्यक्षता पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने की. उनके अलावा कमेटी में गृह मंत्री अमित शाह, गुलाम नबी आजाद, फाइनेंस कमीशन के पूर्व चेयरमैन एनके सिंह, लोकसभा के पूर्व सेक्रेटरी जनरल सुभाष कश्यप, सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे और पूर्व चीफ विजिलेंस कमिश्नर संजय कोठारी भी शामिल थे. केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल कमेटी के स्पेशल मेंबर बनाए गए थे.
14 मार्च 2024 में इस कमेटी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंप दी. 191 दिनों की रिसर्च के बाद कमेटी ने 18,626 पन्नों की रिपोर्ट सौंपी थी.
कोविंद कमेटी ने साल 2029 में पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की थी. इसके लिए संविधान के अंतिम पांच अनुच्छेदों में संशोधन की बात कही गई थी. लोकसभा, विधानसभा और लोकल लेवल के चुनाव के लिए एक ही वोटर लिस्ट रखने की बात कही गई.
कमेटी की सिफारिशें-- पहले चरण में लोकसभा के साथ सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव हों.
- दूसरे चरण में लोकसभा-विधानसभा के साथ स्थानीय निकाय चुनाव हों.
- पूरे देश में सभी चुनावों के लिए एक ही मतदाता सूची होनी चाहिए.
- सभी के लिए वोटर आई कार्ड भी एक जैसा ही होना चाहिए.
- सदन में अविश्वास, अविश्वास प्रस्ताव या ऐसी किसी घटना की स्थिति में, सदन के शेष कार्यकाल के लिए नई लोकसभा या राज्य विधानसभा के गठन के लिए नए चुनाव कराए जाने चाहिए.
- चुनाव कराने के लिए लॉजिस्टिक्स की आवश्यकताओं को ECI पूरा करेगा. ECI राज्य चुनाव आयोगों के साथ मिलकर इसे तय करेगा.
रिपोर्ट में ये भी बताया गया था कि वन नेशन वन इलेक्शन पर 47 राजनीतिक दलों ने कमेटी को अपनी राय दी थी. इसमें से 32 ने पक्ष में, जबकि 15 विपक्ष में वोट किया था.
आगे का रास्ता कितना आसान?कैबिनेट से पास होने के बाद इस बिल को लोकसभा और राज्यसभा से पास कराना होगा. सदन में संख्याओं का गेम होगा. क्योंकि दोनों सदनों में इसे सामान्य बहुमत से नहीं बल्कि दो तिहाई बहुमत से पास कराना होगा. भाजपा के पास लोकसभा में बहुमत नहीं है. इसके लिए उन्हें अपने सहयोगियों को मनाना होगा. अगर ये बिल दोनों सदनों से पास हो जाता है तो ये सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के पास भी जा सकता है. क्योंकि ये संविधान में बदलाव का मामला है. इसके अलावा इस बिल को राज्य की विधानसभाओं में सामान्य बहुमत से पास कराना होगा.
पक्ष और विपक्ष के तर्कइस बिल के पक्ष में इस प्रकार के तर्क दिए जाते हैं कि इससे चुनावों का खर्च कम होगा, सुविधा होगी और काम में बाधा नहीं होगी. वहीं इसके विपक्ष में तर्क दिए जाते हैं कि इससे देश के संघीय ढांचे पर सीधा असर पड़ेगा. केंद्र और राज्य के चुनाव एक साथ कराने से क्षेत्रीय मुद्दे नजरअंदाज हो जाएंगे.
वीडियो: वन नेशन वन इलेक्शन की चुनौतियों पर अब चुनाव आयोग ने क्या कह दिया?