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15 महीने का गर्भ, रहस्यमय डिलीवरी, संतान के नाम पर सबसे बड़ा फ्रॉड नाईजीरिया में हो रहा

नाइज़ीरिया विश्व में सबसे अधिक जन्म दर वाले देशों में से एक है. जहां महिलाओं को गर्भधारण करने के लिए अक्सर सामाजिक दबाव का सामना करना पड़ता है और यदि वे गर्भधारण नहीं कर पाती हैं तो उन्हें बहिष्कार या दुर्व्यवहार का भी सामना करना पड़ता है.

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चिओमा को आठ साल तक बच्चा नहीं हो पा रहा था. (फ़ोटो/Unsplash.com)

चिओमा (Chioma) नाम की एक महिला हैं. उनके बेटे का नाम होप (Hope) है. चिओमा ने होप को गोद में लिया हुआ है. अपनी बाहों में पकड़ा हुआ है. चिओमा को आठ साल तक बच्चा नहीं हो पा रहा था. लेकिन आठ महीने बाद जब होप हुआ तो वो उन्हें किसी ‘चमत्कार’ से कम नहीं लगा. उसी कमरे में चिओमा के पति आइके (Ike) और उनका परिवार भी मौजूद है. उनके परिवार का कहना है कि होप चिओमा और आइके की जैविक संतान नहीं है. लेकिन कपल इस बात का दावा करता है कि वो उनका ही बच्चा है. चिओमा यह भी दावा करती हैं कि उन्होंने बच्चे को लगभग ‘15 महीनों’ तक अपने गर्भ में रखा है. 

BBC Africa Eye की रिपोर्ट के मुताबिक चिओमा यह सारी बातें नाइज़ीरियाई सरकारी अधिकारी के ऑफिस में बता रही हैं. नाईजीरिया के अनाम्ब्रा राज्य में महिला मामलों और सामाजिक कल्याण कमिश्नर इफी ओबिनाबो (Ify Obinabo ) कपल से पूछताछ कर रही हैं. कमिश्नर और आइके के परिवार ने 15 महीने गर्भ की बात को बेतुका बताया. चिओमा का कहना है कि उसे आइके के परिवार से गर्भधारण करने के लिए दबाव का सामना करना पड़ा. उन्होंने उनके पति से दूसरी महिला से शादी करने के लिए भी कहा. जिससे घबराकर वो एक ऐसे 'क्लिनिक' में गईं, जो एक गैर-पारंपरिक 'ट्रीटमेंट' की पेशकश कर रहा था. हालांकि असल में ये एक विचित्र और परेशान करने वाला घोटाला है, जिसमें मां बनने की प्रबल इच्छा लेकर आई महिलाओं को शिकार बनाता है. इस काले धंधे में शिशुओं की तस्करी भी शामिल है.

15 महीने का गर्भ, स्कैम और बच्चों की तस्करी

BBC Africa Eye ने इसी स्कैम के बारे में एक साल से ज्यादा समय तक इन्वेस्टिगेशन की. इसे "गुप्त गर्भावस्था" (cryptic pregnancy) स्कैम का नाम दिया गया है. नाइज़ीरिया विश्व में सबसे अधिक जन्म दर वाले देशों में से एक है. जहां महिलाओं को गर्भधारण करने के लिए अक्सर सामाजिक दबाव का सामना करना पड़ता है. और अगर वे गर्भधारण नहीं कर पाती हैं तो उन्हें बहिष्कार या दुर्व्यवहार का भी सामना करना पड़ता है. इस दबाव में, कुछ महिलाएं मातृत्व के अपने सपने को साकार करने के लिए चरम सीमा तक चली जाती हैं.

इस स्कैम में डॉक्टर या नर्स बनकर ठगी करने वाले लोग महिलाओं को यह विश्वास दिलाते हैं कि उनके पास एक चमत्कारी ट्रीटमेंट है. जो उन्हें गर्भवती होने की गारंटी देता है. ट्रीटमेंट में आमतौर पर सैकड़ों डॉलर खर्च होते हैं और इसमें योनि में एक इंजेक्शन, एक पेय- कोई पदार्थ डाला जाता है. रिपोर्ट में यह नहीं पता चल पाया है कि इन दवाओं में क्या है. लेकिन कुछ महिलाओं ने बताया कि इन दवाओं की वजह से उनके शरीर में बदलाव आए - जैसे पेट में सूजन आना, जिससे उन्हें और भी यकीन हो जाता कि वे गर्भवती हैं.

जिन महिलाओं को यह ट्रीटमेंट दिया जाता है, उन्हें चेतावनी दी जाती है कि वे किसी भी 'पारंपरिक' (या सामान्य) डॉक्टर या अस्पताल में न जाएं. क्योंकि कोई भी स्कैन या गर्भावस्था परीक्षण 'बच्चे' का पता नहीं लगा पाएगा. जब बच्चे को जन्म देने का समय आता है, तो महिलाओं को बताया जाता है कि प्रसव तभी शुरू होगा जब उन्हें एक ‘दुर्लभ और महंगी दवा’ दी जाएगी, और इसके लिए अतिरिक्त भुगतान करना होगा.

‘प्रसव’ कैसे होता है?
इसके बारे में अलग-अलग बातें सामने आई हैं. जांच में पता चला कि कुछ महिलाओं को बेहोश कर दिया जाता है. जब वह उठती हैं तो उनके पेट पर सिजेरियन जैसा चीरा होता है. वहीं कुछ का कहना है कि उन्हें एक इंजेक्शन दिया जाता है जिससे उन्हें नींद आती है. उन्हें लगता है कि वे जन्म दे रही हैं.

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चिओमा ने कमिश्नर ओबिनाबो को बताया कि जब उनके प्रसव का समय आया, तो तथाकथित डॉक्टर ने उनकी कमर में इंजेक्शन लगाया और उन्हें पुश करने के लिए कहा. यह पढ़ने में ही अजीब है, लेकिन चिओमा के लिए नहीं. वह यह तो नहीं बतातीं कि वह होप के साथ कैसे पहुंचीं, लेकिन कहती हैं कि प्रसव ‘दर्दनाक’ था.

BBC की टीम इन गुप्त ‘क्लिनिकों’ में से एक में गई. यहां महिलाओं से बात की. दर्जनों महिलाएं डॉक्टर का इंतजार करती हैं. इनमें से कई महिलाओं के पेट बाहर निकले हुए दिखाई देते हैं. क्लिनिर में यहां ‘डॉ. रूथ’ नाम की एक महिला बैठती है. उन्होंने क्लाइंट बनकर पहुंची रिपोर्टर को एक इंजेक्शन लगवाने के लिए कहा. साथ ही पूछा कि वो बच्चे का लिंग चयन कर सकती हैं. रिपोर्टर ने इंजेक्शन लेने से इनकार कर दिया तो ‘डॉ. रूथ’ ने उन्हें पाउडर के रूप में कुछ दवाइयां दीं. ‘डॉ. रूथ’ ने पूछा कि उन्हें बच्चे के लिए प्रजनन कब करना है, और इसके भी निर्देश दिए. साथ ही चार सप्ताह बाद मिलने के लिए कहा. इस ट्रीटमेंट की पहली किस्त 350,000 नाइरा (17,281 रुपये) है.

महीने भर बाद जब रिपोर्टर ‘डॉ. रूथ’ से वापस मिलने गई तो उन्हें अल्ट्रासाउंड स्कैनर जैसी दिखने वाली एक डिवाइस के पास ले जाया गया. इसे पेट पर चलाने पर दिल की धड़कन जैसी आवाज सुनाई दी और कह दिया गया कि वो गर्भवती हैं. रिपोर्ट के मुताबिक आगे ‘डॉ. रूथ’ बताती हैं कि उन्हें बच्चे के जन्म के लिए आवश्यक ‘दुर्लभ’ और महंगी दवा का भुगतान करना होगा, जिसकी लागत 1.5 से दो मिलियन नाइरा (99,473 रुपये ) के बीच होगी. रूथ ने दावा किया कि इस दवा के बिना, गर्भावस्था नौ महीने से अधिक बढ़ सकती है, या फिर ‘बच्चा कुपोषित हो जाएगा - हमें उसे फिर से पोषण देने की आवश्यकता होगी.’

अधिकारी बताते हैं कि इस ट्रीटमेंट को पूरा करने के लिए, स्कैमर्स को नवजात शिशुओं की आवश्यकता होती है. ऐसा करने के लिए वे ऐसी महिलाओं की तलाश करते हैं जो हताश और कमजोर होती हैं. उनमें से कई युवा और गर्भवती होती हैं, ऐसे देश में जहां गर्भपात अवैध है. ये लोग उनसे नवजात बच्चे खरीद लेते हैं. बाद में इन बच्चों को उन महिलाओं को नवजात के रूप में सौंप दिया जाता है, जो संतान के लिए कथित ट्रीटमेंट ले रही होती हैं.

कमिश्नर ओबिनाबो अपने राज्य में इस स्कैम को रोकने के प्रयासों का हिस्सा रही हैं. वो कहती हैं कि स्कैमर्स बच्चों को हासिल करने के लिए महिलाओं को अपना शिकार बनाते हैं.

बीबीसी ने लिखा है कि उसने इन आरोपों को लेकर डॉ. रूथ से बात की थी, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया.

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