नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर शनिवार, 15 फरवरी को हुई भगदड़ मामले पर दिल्ली पुलिस ने बयान दिया है. दिल्ली पुलिस ने बताया है कि दो ट्रेनों के एक जैसे नाम होने के कारण यात्रियों में भ्रम फैल गया. इससे भगदड़ मच गई. पुलिस ने आगे बताया कि ‘प्रयागराज’ नाम से दो ट्रेनें थीं. इन ट्रेनों में एक का नाम ‘प्रयागराज एक्सप्रेस’ और दूसरी ट्रेन का नाम ‘प्रयागराज स्पेशल’ था.
'दो ट्रेनों का एक जैसा नाम...' दिल्ली पुलिस ने अब बताया रेलवे स्टेशन पर क्यों मची भगदड़
New Delhi Railway Station Stampede: दिल्ली पुलिस ने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ पर बयान दिया है. पुलिस ने हादसे की वजहों के बारे में बताया है.

इंडिया टुडे से जुड़ीं श्रेया चटर्जी की रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस ने बताया कि ‘प्रयागराज स्पेशल’ के प्लेटफॉर्म 16 पर आने की घोषणा से यात्रियों में भ्रम की स्थिति पैदा हो गई. क्योंकि प्रयागराज एक्सप्रेस पहले से ही प्लेटफॉर्म 14 पर खड़ी थी. कई यात्री जो प्लेटफॉर्म 14 पर ट्रेन में चढ़ने में असमर्थ थे. उन्होंने गलती से मान लिया कि उनकी ट्रेन प्लेटफॉर्म 16 पर आ रही है. ये दो अलग-अलग ट्रेनें थीं. इस वजह से प्लेटफॉर्म 16 की ओर अचानक भीड़ उमड़ पड़ी. और भगदड़ मच गई.
चार ट्रेनें, तीन देरी से आईंदिल्ली पुलिस ने आगे बताया कि प्रयागराज की ओर जाने वाली चार ट्रेनें थीं. इनमें से तीन ट्रेनें पहले से ही लेट थीं. इस वजह से इन सभी ट्रेनों से जाने वाले यात्री एक साथ इकट्ठा हो गए. ये ट्रेनें थीं-
प्लेटफॉर्म 14 – प्रयागराज एक्सप्रेस, रात 10:10 बजे निर्धारित थी.
प्लेटफॉर्म 12 – मगध एक्सप्रेस, प्रयागराज होकर जाती है. हादसे वाले दिन यह ट्रेन लेट थी.
प्लेटफॉर्म 13 – स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस, प्रयागराज होकर जाती है. यह भी देरी से थी.
प्लेटफॉर्म 15 – भुवनेश्वर राजधानी एक्सप्रेस, प्रयागराज होकर जाती है. यह भी लेट थी.
प्लेटफॉर्म 16 – प्रयागराज स्पेशल, वीकेंड स्पेशल ट्रेन है. और प्रयागराज होकर जाती है.
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ के बाद रेलवे प्रशासन जांच में जुट गया है. हादसे के बाद RPF के IG समेत कई वरिष्ठ अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे और जानकारी ली. अधिकारियों ने बताया कि प्रारंभिक जांच में अत्यधिक भीड़, अव्यवस्थित यात्री प्रबंधन और गलत अनाउंसमेंट की बात सामने आई है. वहीं अधिकारी CCTV वीडियो और चश्मदीदों के बयानों के आधार पर जांच कर रहे हैं.
भगदड़ को लेकर मृतकों के परिजनों ने प्रशासन पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. उनका कहना है कि हादसे के वक्त स्टेशन के बाहर सिर्फ एक एंबुलेंस थी. जिससे घायलों के इलाज और उन्हें अस्पताल पहुंचाने में देरी हुई. परिजनों ने यह भी आरोप लगाया कि भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त पुलिस बल और सुरक्षाकर्मी तैनात नहीं किए गए थे. जिस हिसाब से भीड़ थी. उसके अनुसार प्रत्येक प्लेटफॉर्म पर कम से कम 30 से 40 पुलिसकर्मी तैनात होने चाहिए थे. प्रशासन हादसे के बाद सक्रिय हुआ. और रेलवे स्टेशन पर 50 से अधिक एंबुलेंस भेजी गईं.
सरकार ने इस घटना की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दे दिए हैं. अब देखना होगा कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठाए जाते हैं या नहीं.
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