नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra). भारत में स्पोर्ट्स की फील्ड का एक जाना-पहचाना नाम. हाल ही में वे लल्लनटॉप के वीकली शो ‘गेस्ट इन दी न्यूज रूम' में आए. इस दौरान उन्होंने दिल खोल कर कई सवालों के जवाब दिए और किस्से सुनाए. इस दौरान उन्होंने स्पोर्ट्स में हरियाणा के आगे रहने की वजह भी बताई.
हरियाणा खेल में आगे क्यों है? नीरज चोपड़ा ने 'असल' वजह बताई
Neeraj Chopra ने बताया कि Haryana के लोग खेलों में क्यों आगे रहते हैं.
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नीरज चोपड़ा ने कहा,
“आमतौर पर हरियाणा के लोग आर्मी या खेती-किसानी के बैकग्राउंड से होते हैं. एक तरह से रॉ किस्म के. यहां के लोग अपने काम को लेकर थोड़ा जिद्दी भी हैं. मुझे अभी भी याद है कि गांव में बैल के थक जाने पर लोग खुद ही हल को खींचने लगते थे. एक तरह से थोड़े गरम खून मिजाज के होते हैं.”
नीरज आगे बताते हैं कि मुझे लगता है कि यही बातें स्पोर्ट्स में काफी काम आती हैं कि वे लोग अपने काम को लेकर एक प्रॉपर डेडिकेट रहते हैं. ऐसे ही काम मुझे भी मिलते थे. चाहे वह भैंस को चारा देना हो या फिर घास काटने की मशीन चलाना. वे बताते हैं,
“ये ऐसा काम है जो एक मजदूर भी कर सकता है. लेकिन अगर हमें ये काम मिल जाए तो हमें इसे प्रॉपर तरीके से करना है. इस काम को आप जैवलिन में ले आएं. यहां भी जो काम करना है तो बस करना है. इस कारण दिमाग ज्यादा इधर-उधर नहीं जाता”
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खेती के जिक्र पर सौरभ ने पूछा कि क्या वे खेती-किसानी के सारे काम कर लेते हैं? क्या आपने गेहूं-धान की फसल को काटा है? इस पर नीरज ने हंसते हुए जवाब दिया,
“कभी-कभी घर वाले मुझे स्कूल जाने से रोक लेते थे. फिर मुझे लगता कि क्या बात है आज तो सभी मुझ पर मेहरबान हैं, लेकिन कुछ ही देर बाद वे मुझे फसल काटने खेत ले जाते थे.”
नीरज आगे बताते हैं,
"खेत में सभी के बीच जल्दी फसल को काट लेने का कॉम्पिटिशन होता. मुझे याद है कि मैं घर के बच्चों में सबसे बड़ा था. मेरे साथ घर के सभी सदस्य होते थे. सभी खाने के सामान को बांधकर खेत में ले जाते जिसमें रोटी, अचार, घी और लस्सी होती. हम फसल काटने के बाद उसे खाते. जो आनंद उसे खाने में आता है वो और किसी चीज में नहीं है."
वहीं कॉम्पिटिशन वाली बात को याद करके नीरज बताते हैं कि हमें फसल काटने के लिए एक तय जगह मिलती, जिसे मैं जल्दी से काट देता. आज जैवलिन के खेल में भी मैं ऐसा ही करता हूं और उसे जल्दी खत्म कर देता हूं. आज भी घर जाने पर ये कॉम्पिटिशन याद आते हैं.
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