किसी जमाने में शरद पवार के बेहद खास रहे छगन भुजबल अब अपनी NCP के मुखिया अजित पवार से भी नाराज़ चल रहे हैं. वजह? कथित तौर पर मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलना. छगन भुजबल ने अजित पवार से अपनी नाराजगी सार्वजनिक कर दी है. 77 साल के ओबीसी नेता ने कहा कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल करने को इच्छुक थे, लेकिन इसके बावजूद उन्हें तरजीह नहीं दी गई.
अजित पवार को भी छोड़ने वाले हैं छगन भुजबल? बोले- "जहां नहीं चैना, वहां नहीं रहना.”
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने रविवार को नागपुर में अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया. इसमें 39 नए सदस्य शामिल हुए. बीजेपी के 19, शिंदे और अजित पवार गुट से 9-9 मंत्री शामिल किए गए. छगन भुजबल उन 10 पूर्व मंत्रियों में से थे जिन्हें नई सूची में जगह नहीं मिली.
महाराष्ट्र विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले दिन यानी 16 दिसंबर को छगन भुजबल नागपुर से अपने गृहनगर नासिक के लिए रवाना हुए. इस दौरान उन्होंने संवाददाताओं से बातचीत की. उन्होंने कहा कि मराठा सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जारांगे-पाटिल को टक्कर देने और ओबीसी समुदाय के लिए खड़े होने के कारण उन्हें कैबिनेट में जगह नहीं मिली.
जब पत्रकारों ने भुजबल से भविष्य की राह पूछी तो उन्होंने किशोर कुमार के गाने की लाइन का इस्तेमाल करते हुए कहा, “देखते हैं. जहां नहीं चैना, वहां नहीं रहना.”
आगे अपने इस बयान को उन्होंने थोड़ा समझाते हुए खुलकर बताया. भुजबल ने नासिक में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा, “मैं आपके (NCP) हाथ का खिलौना नहीं हूं जो हर चीज़ आंख मूंद कर मानता चला जाऊंगा. छगन भुजबल इस तरह का आदमी नहीं है.”
इसके बाद उन्होंने कहा,
“मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस मुझे अपने मंत्रिमंडल में शामिल करना चाहते थे. मैंने इस बात का पता लगाया और यह भी मालूम पड़ा कि वे मुझे मंत्रिमंडल में शामिल करने के लिए ज़ोर भी दे रहे थे. लेकिन तब भी मेरा नाम ड्रॉप कर दिया गया. अब, मैं यह पता लगाऊंगा कि किसने मेरा नाम किसने रिजेक्ट कराया”
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने रविवार को नागपुर में अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया. इसमें 39 नए सदस्य शामिल हुए. बीजेपी के 19, शिंदे और अजित पवार गुट से 9-9 मंत्री शामिल किए गए.
आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक, छगन भुजबल उन 10 पूर्व मंत्रियों में से थे जिन्हें नई सूची में जगह नहीं मिली. इसके बाद उन्होंने इशारों-इशारों में कहा कि उन्हें कैबिनेट में जगह नहीं दिए जाने के पीछे अजित ही हैं. छगन ने कहा,
राज्यसभा जाने को लेकर सफाई“लेकिन एक बात तो तय है कि ऐसे मामलों को लेकर पार्टी के मुखिया ही निर्णय लेते हैं. जैसे बीजेपी के लिए देवेंद्र फडणवीस और शिवसेना के लिए एकनाथ शिंदे, वैसे ही हमारी पार्टी के लिए अजित पवार निर्णय लेते हैं.”
सीनियर एनसीपी नेता ने कहा कि मंत्री पद नहीं मिलने से उन्हें कोई ‘दिक्कत नहीं है’, लेकिन जिस तरह से पार्टी ने उनके साथ व्यवहार किया है, उससे वे दुखी हैं.
छगन ने इसको थोड़ा विस्तार से बताते हुए कहा, “उन्होंने (अजित पवार) मुझसे लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए कहा. केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने भी कहा. मैंने सारी तैयारी पूरी कर ली, लेकिन एक महीने से अधिक समय बीत जाने के बाद भी जब मेरा नाम घोषित नहीं किया गया तो मैंने बाहर रहने का विकल्प चुना.”
उन्होंने आगे कहा, “जब मैं राज्यसभा जाना चाहता था, तो मुझसे विधानसभा चुनाव लड़ने को कहा गया. मुझे अभी आठ दिन पहले राज्यसभा की पेशकश की गई थी, जिसे मैंने अस्वीकार कर दिया. विधायक के रूप में चुने जाने के बाद मैं राज्यसभा कैसे स्वीकार कर सकता हूं? मैं कैसे इस्तीफा दे सकता हूं? अब यह मेरे मतदाताओं के साथ विश्वासघात होगा.”
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, भुजबल ने कहा कि फिलहाल तो नहीं, लेकिन वो एक या दो साल बाद राज्यसभा जाना चाहेंगे. वहीं भुजबल की नाराजगी के बारे में एनसीपी के वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि वे राज्यसभा जाना चाहते हैं. बकौल पटेल, ''हमने छगन भुजबल को राज्यसभा भेजने का मन बनाया है.”
इसी पर प्रतिक्रिया देते हुए भुजबल ने कहा,
भविष्य को लेकर क्या बताया?''मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि क्या मैं आपके हाथ का छोटा खिलौना हूं? आप मुझसे कह सकते हैं कि जब चाहो राज्यसभा जाओ, मुझसे कहोगे कि जब चाहो बैठो, जब चाहो खड़े रहो, जब चाहो चुनाव लड़ो.”
येओला सीट से विधायक बने छगन भुजबल ने कहा कि 18 दिसंबर को राज्य भर से उनके समर्थक नासिक में इकट्ठा होंगे. वहां सभी से राय-मशविरा करने के बाद वह अपना भविष्य पर फैसला लेंगे. मीडिया रपटों के मुताबिक, मंत्रिमंडल का विस्तार होने के बाद से छगन भुजबल ने अजित पवार से कोई बात नहीं की है. अब 18 दिसंबर का इंतजार है.
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