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"दुख मनाने का भी समय नहीं मिला..." मुस्तफाबाद बिल्डिंग हादसे के पीड़ितों का दर्द छलका

Mustafabad Building Collapsed: स्थानीय निवासियों का कहना है कि नींव पर हो रहे निर्माण कार्य की वजह से इमारत गिरी. वहीं, कुछ लोगों ने बताया कि दीवारों में सालों से सीवेज़ का पानी रिसने से इमारत की बुनियाद कमज़ोर हो गई थी.

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इस हादसे में मरने वालों की संख्या 11 पहुंच गई है (फोटो: आजतक)

शनिवार, 19 अप्रैल की एक भयानक सुबह. दिल्ली के मुस्तफाबाद में तड़के 3 बजे एक इमारत ताश के पत्तों की तरह ढह गई. जिसके बाद गली में चीख-पुकार मच गई (Mustafabad Building Collapsed). इस इमारत में कई परिवार रहते थे. हादसे के बाद नम आंखे लिए लोग मलबे के नीचे दबे अपनों को खोजते हुए नजर आए. बता दें कि अब तक इस हादसे में मरने वालों की संख्या 11 पहुंच गई है. 

पीड़ितों ने क्या बताया?

38 साल की रेशमा की इस हादसे में मौत हो गई. उनके भाई सोनू अब्बासी बताते हैं कि उनके पास दुख मनाने का भी वक्त नहीं है. द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, अब्बासी के बहनोई अहमद नवी और भतीजी आलिया इस दुर्घटना में बच गए, लेकिन कई चोटों के कारण दोनों अभी भी अस्पताल में भर्ती हैं. वे पूरे दिन गुरु तेग बहादुर (GTB) अस्पताल में भर्ती रहे. अब्बासी ने अपने आंसू रोकने की कोशिश करते हुए कहा, 

मुझे दुख मनाने का समय नहीं मिला. अगर मैं दुख मना भी लूं, तो मैं अपनी भतीजी और बहनोई का इलाज कैसे करवा पाऊंगा?

‘भूकंप जैसा महसूस हुआ’

अब्बासी शक्ति विहार की उसी गली में रहते हैं, जहां इमारत गिरी थी. घटना को याद करते हुए उन्होंने द हिंदू को बताया, 

मैं अपने घर में सो रहा था, तभी मुझे भूकंप जैसा कंपन महसूस हुआ. मैं बाहर गया और देखा कि इमारत ढह गई थी. मैं मौके पर पहुंचा और पाया कि मेरी बहन किसी तरह मलबे से बाहर निकलने में कामयाब हो गई थी और उसने अपनी बेटी और पति को भी बाहर निकाल लिया है. लेकिन कुछ मिनट बाद, वह बेहोश हो गई. उसकी सांस फूल रही थी और उसे बचाया नहीं जा सका.

वहीं, 56 साल की संजीदा ने बताया कि वे बिल्डिंग के मालिक तहसीन की बहन है. जो अपने परिवार समेत इस हादसे में मारे गए. दुखी होकर उन्होंने बताया,

मैंने अपने भाई और उसके परिवार को खो दिया, जब वे गहरी नींद में थे. मैं उन्हें जिंदा देखने की उम्मीद में सुबह से ही यहां थी. अब कहने के लिए और कुछ नहीं बचा है.

आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक, इस हादसे में सेहजाद अहमद ने अपने दो भतीजों, दानिश और नावेद को खो दिया. दोनों तीसरी मंज़िल पर अपने माता-पिता के साथ रहते थे. उन्होंने बताया कि दानिश और नावेद पूरे घर का खर्चा चलाते थे. अब दोनों नहीं रहे. जबकि उनकी बहन और बहनोई गंभीर हालत में हैं.

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इमारत गिरने की बताई वजह

स्थानीय निवासियों का कहना है कि इमारत की नींव पर हो रहे निर्माण कार्य की वजह से इमारत गिरी. वहीं, कुछ लोगों ने बताया कि दीवारों में सालों से सीवेज़ का पानी रिसने से इमारत की बुनियाद कमज़ोर हो गई थी. निवासी सलीम अली ने कहा, 

सीवर का गंदा पानी सालों से इमारतों की दीवारों में रिस रहा है और वक्त के साथ नमी ने स्ट्रैक्चर को कमजोर कर दिया है, जिससे दीवारों में दरारें पड़ गई थीं.

हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि तकनीकी रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कहा जा सकेगा. प्रशासन ने इस हादसे की जांच के आदेश दिए गए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, रेस्क्यू ऑपरेशन में कई लोगों को मलबे से निकाल लिया गया है, जिनमें 11 की मौत हो गई. चार लोग अभी भी अस्पताल में भर्ती हैं.

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