The Lallantop

'FIR की जगह ट्ववीट क्यों किया... ' नरसिंहानंद का वीडियो डालने पर HC ने मोहम्मद जुबैर से पूछे तीखे सवाल

ALT NEWS के संस्थापक Mohammed Zubair के खिलाफ गाजियाबाद पुलिस ने FIR दर्ज की थी. ये FIR यति नरसिंहानंद के एक विवादित भाषण को पोस्ट करने पर कराई गई थी. इसे ख़ारिज करवाने के लिए जुबैर ने Allahabad High Court में याचिका दाखिल की. अब इसकी सुनवाई करते हुए कोर्ट ने मोहम्मद जुबैर से कई सवाल पूछे हैं.

post-main-image
पोस्ट करने को लेकर मोहम्मद जुबैर पर कई गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया गया है | फाइल फोटो: इंडिया टुडे

ऑल्ट न्यूज (ALT NEWS) के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर (Mohammed Zubair) से इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कई सवाल पूछे हैं. अदालत ने पूछा कि यति नरसिंहानंद के भाषण को लेकर ट्वीट करने के बजाय उन्होंने FIR क्यों नहीं दर्ज कराई. कोर्ट ने मौखिक रूप से टिप्पणी करते हुए कहा कि जुबैर के ट्वीट को देखकर लगता है कि वो अशांति पैदा करने की कोशिश कर रहे थे.

लाइव लॉ की एक रिपोर्ट के मुताबिक बुधवार, 18 दिसंबर को जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की. पीठ ने कहा,

अगर यह व्यक्ति (यति नरसिंहानंद) अजीब व्यवहार कर रहा है तो क्या पुलिस के पास जाने के बजाय आप और भी अजीब व्यवहार करेंगे? क्या आपने उनके खिलाफ FIR दर्ज कराई है? मैं आपके आचरण को देखूंगा. अगर आपको उनका (यति का) भाषण पसंद नहीं आया तो आपको उनके खिलाफ FIR दर्ज करानी चाहिए.

इसके बाद मोहम्मद जुबैर के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल, यति नरसिंहानंद के कथित भाषण का हवाला देकर और उनके आचरण को उजागर करके अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का इस्तेमाल कर रहे थे. वकील ने आगे कहा कि जुबैर ने कुछ भी अलग नहीं कहा, जो उन्होंने किया वो तो कई लेखों और सोशल मीडिया अकाउंट में भी पोस्ट किया गया. उन्होंने ये भी बताया कि जुबैर के ट्वीट से 3 घंटे पहले यति नरसिंहानंद के खिलाफ FIR दर्ज की गई थी, हालांकि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी.

मोहम्मद जुबैर के वकील के इन तर्कों को सुनने के बाद जस्टिस वर्मा ने मौखिक रूप से टिप्पणी करते हुए कहा कि जुबैर का 'X' पर जाकर भाषण के बारे में पोस्ट करना सही नहीं था. वो आगे बोले,

तो आपको कोर्ट में आना चाहिए… आप सोशल मीडिया हैंडल पर जाएंगे?… सामाजिक वैमनस्य पैदा करेंगे?… वह (यति नरसिंहानंद) जो भी कहें, आप सोशल मीडिया पर नहीं जा सकते… ट्विटर का इस्तेमाल करने से आपको कोई मना नहीं करता, लेकिन आप इसका इस्तेमाल अशांति फैलाने के लिए नहीं कर सकते. आपके ट्वीट पर नजर डालने से पता चलता है कि आप अशांति पैदा करने की कोशिश कर रहे थे.

इसके बाद जस्टिस वर्मा ने यह भी पूछा कि क्या ऐसा कोई कानून है, जो किसी व्यक्ति को कोर्ट जाने के बजाय ट्विटर का सहारा लेने की अनुमति देता है. इसके जवाब में जुबैर के वकील ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह के इस्तेमाल की अनुमति दी है.

आपको बताते चलें कि साल 2022 में उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा मोहम्मद जुबैर के ट्वीट्स पर दर्ज सभी FIR में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अंतरिम जमानत दे दी थी. तब कोर्ट ने यह शर्त लगाने से इनकार किया था कि जुबैर ट्वीट नहीं करेंगे.

तत्कालीन जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने जुबैर को ट्वीट करने से रोकने की मांग पर कहा था,

यह एक वकील से यह कहने जैसा है कि आपको बहस नहीं करनी चाहिए. हम एक पत्रकार से कैसे कह सकते हैं कि वह कुछ भी नहीं लिखेगा या नहीं बोलेगा?

ये पूरा मामला क्या है?

ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर के खिलाफ 8 अक्टूबर को गाजियाबाद पुलिस ने एक FIR दर्ज की. इस FIR में जुबैर पर धार्मिक समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया. जुबैर के खिलाफ ये FIR यति नरसिंहानंद सरस्वती ट्रस्ट की महासचिव उदिता त्यागी ने दर्ज कराई. जिसमें दावा किया गया कि जुबैर ने 3 अक्टूबर 2024 को नरसिंहानंद के पुराने कार्यक्रम का वीडियो क्लिप पोस्ट किया, जिसका उद्देश्य मुसलमानों को उनके खिलाफ हिंसा के लिए भड़काना था.

शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया कि जुबैर ने यति नरसिंहानंद की एडिटेड क्लिप को पोस्ट किया. इसमें यति के खिलाफ कट्टरपंथी भावनाओं को भड़काने के लिए पैगंबर मुहम्मद पर उनकी कथित भड़काऊ टिप्पणी भी शामिल थी.

जुबैर के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 196 (धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 228 (झूठे साक्ष्य गढ़ना), 299 (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य), 356 (3) (मानहानि) और 351 (2) (आपराधिक धमकी के लिए सजा) के तहत FIR दर्ज की गई थी. इसके बाद FIR में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 152, (एकता और अखंडता को खतरे में डालने) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के उल्लंघन का आरोप जोड़ दिया गया.

इसके बाद मोहम्मद जुबैर ने ये FIR रद्द करने और बलपूर्वक कार्रवाई से सुरक्षा की मांग को लेकर हाई कोर्ट का रुख किया था. याचिका में उन्होंने बताया कि उनके एक्स पोस्ट में यति नरसिंहानंद के खिलाफ हिंसा का आह्वान नहीं किया गया. उन्होंने पोस्ट के माध्यम से केवल पुलिस अधिकारियों को नरसिंहानंद की हरकतों के बारे में सचेत किया. और कानून के मुताबिक कार्रवाई की मांग की. उनके मुताबिक यह दो वर्गों के लोगों के बीच वैमनस्य या दुर्भावना को बढ़ावा देने के बराबर नहीं हो सकता.

उन्होंने BNS के तहत मानहानि के प्रावधान को भी इस आधार पर चुनौती दी है कि नरसिंहानंद के खिलाफ उनके खुद के वीडियो पहले से सार्वजनिक डोमेन में हैं. इन्हें साझा करके कार्रवाई की मांग करना मानहानि नहीं हो सकती है.

याचिका में यह भी बताया गया कि पैगंबर के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के दौरान नरसिंहानंद हेट स्पीच के एक दूसरे मामले में जमानत पर थे. और उनकी जमानत की शर्त यह थी कि वह ऐसा कोई बयान नहीं देंगे जिससे सांप्रदायिक विद्वेष को बढ़ावा मिलेगा.

अब इलाहाबाद हाई कोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार, 20 दिसंबर को होगी.

वीडियो: मुज्जफरनगर का वायरल वीडियो शेयर करने पर मोहम्मद जुबैर पर किस धारा में केस दर्ज हुआ?