‘कौन कहता है आसमान में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों’. हिंदी के कवि दुष्यंत कुमार की इन पंक्तियों को चरितार्थ किया है केरल के मोहम्मद यासीन ने. Zomato के लिए डिलीवरी बॉय का काम करने वाले मोहम्मद यासीन ने केरल ज्यूडिशियल सर्विसेज़ एग्ज़ाम 2024 में दूसरी रैंक हासिल की है.
बचपन में बांटे अखबार, जवानी में Zomato का डिलीवरी बॉय, अब जज बने इस शख्स की कहानी कुछ अलग है
Zomato के लिए डिलिवरी बॉय का काम करने वाले मोहम्मद यासीन ने केरल ज्यूडिशियल सर्विसेज़ एग्ज़ाम 2024 में दूसरी रैंक हासिल की है.

मोहम्मद यासीन का जन्म केरल के पलक्कड़ जिले के पट्टांबी कस्बे में हुआ था. घर की आर्थिक हालत बेहद खराब थी. राज्य सरकार की आवास योजना के तहत उनके परिवार को एक छत मिल गई. बड़ा बेटा होने के नाते, यासीन का बचपन कई तरह की जिम्मेदारियों से भरा हुआ था.
‘द प्रिंट’ की रिपोर्ट के मुताबिक, यासीन ने 8वीं कक्षा में ही अखबार और दूध बांटने का काम शुरू कर दिया था. इसके अलावा, निर्माण स्थलों पर मजदूरी और पेंटिंग का भी काम वो कभी-कभी किया करते थे. स्कूली दिनों में वे औसत से भी कमतर छात्र थे.
लेकिन पढ़ाई की डोर यासीन ने हाथ से छूटने नहीं दी. 12वीं के बाद यासीन ने इलेक्ट्रॉनिक्स में डिप्लोमा किया. डिप्लोमा के बाद उन्होंने गुजरात में एक छोटी नौकरी की, लेकिन वहां से लौटने के बाद उन्होंने लोक प्रशासन (पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन) से ग्रेजुएशन किया.
यहां से यासीन के ज़हन में कानून के लिए रुचि जागी. उन्होंने लॉ कॉलेज में दाखिला लिया. Kerala के Law Entrance Exam में उन्होंने 46वीं रैंक हासिल की थी. जिसके बाद एर्नाकुलम के एक माने हुए सरकारी लॉ कॉलेज में उन्हें दाखिला मिल गया.
डिलीवरी बॉय से जज बनने का पड़ावयासीन ने पढ़ाई के साथ-साथ ज़ोमैटो के लिए डिलीवरी बॉय का काम भी शुरू कर दिया. दिन में कॉलेज की पढ़ाई और रात में ऑर्डर डिलीवरी का सिलसिला - दोनों साथ-साथ चलते रहे.
कोविड-19 महामारी के दौरान जब ज़ोमैटो का काम बंद हो गया, तो उन्होंने बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर दिया. साल 2022 में यासीन ने अपना LLB पूरा किया. पढ़ाई के बाद उन्होंने बतौर वकील - पट्टांबी मुंसिफ़-मजिस्ट्रेट कोर्ट में एक जूनियर वकील के रूप में काम करना शुरू कर दिया. यहां वो एडवोकेट शाह-उल-हमीद के अंडर काम कर रहे थे.
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक़, एडवोकेट शाहुल हमीद ने न केवल उन्हें प्रैक्टिकल ट्रेनिंग दी, बल्कि अदालत में केस लड़ने का मौका भी दिया. यासीन को याद है कि एक 2 करोड़ के प्रॉपर्टी डिस्प्यूट में उन्होंने जज के सामने बहस की थी, और केस भी जीता.
साल 2023 में यासीन ने केरल न्यायिक सेवा परीक्षा देने का फ़ैसला किया. पहली कोशिश में वो 58वीं रैंक पर रहे, मगर Mains Exam पास नहीं कर पाए थे. अपने अगले प्रयास में उन्होंने इस परीक्षा में दूसरी रैंक हासिल की.
लाइव लॉ में छपे इंटरव्यू में यासीन ने इस बारे में कहा है,
“शायद मुझे कुछ विशेषाधिकार मिले, जिनकी वजह से मैं न्यायिक सेवा में आ सका और अपनी हालत सुधार पाया. हमारे पुरुष-प्रधान समाज में पुरुष होना एक बड़ी सहूलियत है. अगर मैं इन्हीं हालात में पैदा हुई एक लड़की होता, तो शायद समाज मुझे इतनी आसानी से इन मुश्किलों को पार करने का मौका नहीं देता.”
29 साल के यासीन अब लॉ में परास्नातक की पढ़ाई करना चाहते हैं. वे सिस्टम का हिस्सा बनकर काम करना चाहते हैं.
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