पंजाब (Punjab) के चर्चित मोगा सेक्स स्कैंडल (Moga Sex Scandal) में मोहाली स्थित CBI कोर्ट ने 4 पुलिस अधिकारियों को सजा सुनाई है. इस फैसले को आने में 18 साल लग गए. सजा पाए अधिकारियों में तत्कालीन SSP दविंदर सिंह गरचा, पूर्व SP हेडक्वार्टर मोगा परमदीप सिंह संधू, मोगा सिटी थाने के पूर्व SHO रमन कुमार और मोगा के पूर्व सिटी पुलिस स्टेशन इंस्पेक्टर अमरजीत सिंह शामिल हैं.
मोगा सेक्स स्कैंडल केस में SSP और SP समेत 4 पुलिस अधिकारियों को सजा, रेप के फर्जी मामले में फंसाकर वसूली करते थे
Moga Sex Scandal साल 2007 में सुर्खियों में आया. उस समय Punjab में अकाली-बीजेपी गठबंधन की सरकार थी. इस स्कैंडल में कई हाई प्रोफाइल राजनेता और सीनियर पुलिस अधिकारी शामिल थे. ये सब मिलकर अमीर लोगों को देह व्यापार में फंसाते थे.

CBI कोर्ट ने SSP दविंदर सिंह गरचा और पूर्व SP हेडक्वार्टर मोगा परमदीप सिंह संधू को 5-5 साल की सजा सुनाई है. वहीं पूर्व SHO रमन कुमार को 8 साल और पूर्व इंस्पेक्टर अमरजीत सिंह को साढ़े छह साल की सजा दी है. इसके साथ ही भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दविंदर सिंह गरचा और परविंदर सिंह संधू को 2-2 लाख और अमरजीत सिंह पर ढाई लाख का जुर्माना लगाया गया है.
मोहाली की CBI कोर्ट ने 29 मार्च को चारों आरोपियों को दोषी ठहराया था. जबकि इस मामले में अन्य आरोपी अकाली दल के नेता और पूर्व मंत्री तोता सिंह के बेटे बरजिंदर सिंह उर्फ मक्खन बराड़ और सुखविंदर सिंह को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया.
CBI कोर्ट ने देविंदर सिंह गरचा और पीएस संधू को भ्रष्टाचार निवारण (PC) अधिनियम की धारा 13(1)(d) के साथ धारा 13 (2) के तहत दोषी पाया. वहीं रमन कुमार और अमरजीत सिंह को PC अधिनियम और भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 384 (जबरन वसूली) के प्रावधानों के तहत सजा सुनाई गई. अमरजीत सिंह को इसके अलावा IPC की धारा 511 (किसी भी अपराध करने के प्रयास के लिए सजा) के अंतर्गत भी दोषी ठहराया गया है.
क्या है मोगा सेक्स स्कैंडल केस?मोगा सेक्स स्कैंडल साल 2007 में सुर्खियों में आया. उस समय पंजाब में अकाली-बीजेपी गठबंधन की सरकार थी. इस स्कैंडल में कई हाई प्रोफाइल राजनेता और सीनियर पुलिस अधिकारी शामिल थे. ये सब मिलकर अमीर लोगों को देह व्यापार में फंसाते थे.
18 अप्रैल 2007 को मोगा थाना सिटी वन में मनजीत कौर नाम की एक महिला एक नाबालिग लड़की को लेकर पहुंची. नाबालिग लड़की ने आरोप लगाया कि एक अन्य महिला उससे देह व्यापार करवाती है. और 50 लोगों ने उसके साथ रेप किया है. नाबालिग लड़की की शिकायत पर पुलिस ने गैंगरेप का मामला दर्ज किया. धारा 164 के तहत पीड़ित लड़की का बयान दर्ज किया गया. इसमें उसने करीब 50 अज्ञात लोगों पर रेप करने का आरोप लगाया.
इस केस की जांच के बहाने पुलिस अधिकारियों ने ब्लैकमेलिंग शुरू कर दी. उन्होंने इस केस में मनमाने ढंग से कई व्यापारियों और राजनेताओं के नाम शामिल करने शुरू कर दिए. मोगा के आसपास के रईसों को फोन जाने लगे की लड़की आपका नाम ले रही है. कई नामी कारोबारियों को इस मामले में फंसाया गया.
इसी दौरान मोगा के भागी गांव के रंजीत सिंह ने SHO अमरजीत सिंह का ऑडियो रिकॉर्ड कर लिया. इस ऑडियो में वो रंजीत से 50 हजार रुपए की मांग कर रहे थे. और नहीं देने पर रेप का केस दर्ज करवा कर गिरफ्तारी की धमकी दी. रंजीत ने एडिशनल डीजीपी (लॉ एंड ऑर्डर) से इस मामले की शिकायत की. इस घटना के बाद यह मामला चर्चा में आ गया. और मीडिया में यह केस सुर्खियां बटोरने लगा. इसके बाद 12 नवंबर 2007 को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने खुद से इस मामले का संज्ञान लिया. साथ ही पुलिस से इस मामले की रिपोर्ट मांगी. इसके बाद कोर्ट ने इस मामले की जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंप दिया.
हाईकोर्ट के आदेश पर दिसंबर 2007 में CBI ने मामले की जांच शुरू की. मोगा निवासी रंजीत सिंह की शिकायत को इसका आधार बनाया गया. जांच में पता चला कि देविंदर सिंह गरचा, परमदीप सिंह संधू, अमरजीत सिंह और रमन कुमार ने दूसरे लोगों के साथ मिलकर गैरकानूनी तरीके से पैसा कमाने की साजिश रची थी
इन लोगों ने दो महिलाओं के साथ मिलकर दुष्कर्म की झूठी FIR दर्ज की. और कई कारोबारियों को अपने जाल में फंसाया. गिरफ्तारी का डर दिखाकर इनसे मोटी रकम वसूली जाती थी. और फिर उन्हें क्लीनचिट दे दी जाती थी. फरवरी 2008 में CBI ने इस मामले में दविंदर सिंह गरचा और परमजीत सिंह को गिरफ्तार किया था.
आरोपी वकील बने सरकारी गवाहइस केस में दो वकील रणवीर सिंह उर्फ राणू सिंह और करमजीत सिंह बाठ को भी नामजद किया गया था. इन पर आरोपियों के साथ मिलकर व्यापारियों को ठगने का आरोप था. हालांकि केस की सुनवाई के दौरान दोनों सरकारी गवाह बन गए. इसके अलावा इस केस में एक नाबालिग लड़की को भी नामजद किया गया था. वह व्यापारियों से मिलने जाती थी. और उसके बाद आरोपी पहले से सेट प्लान के तहत उनसे डराकर पैसे वसूलते थे. इस नाबालिग को सरकारी गवाह बनने पर माफी दे दी गई थी. लेकिन बाद वो गवाही से पलट गई. जिसके बाद उस पर अलग से एक केस चल रहा है.
मुख्य आरोपी की पति सहित हत्याइस मामले की मुख्य आरोपी मनजीत कौर भी सरकारी गवाह बन गई थी. इसके चलते साल 2013 में उनको जमानत मिल गई. इसके बाद उसने राजप्रीत सिंह नाम के एक शख्स से शादी कर ली. और अपना नाम बदलकर उसके साथ रहने लगी. साल 2018 में उन दोनों की गोली मारकर हत्या कर दी गई. हत्या के समय वह प्रेग्नेंट थी.
इस केस में चार FIR दर्ज की गई थी, जबकि नौ लोगों के खिलाफ चार्जशीट फाइल किया गया था. इस मामले में कुल 112 गवाह थे. जिसमें से 95 लोगों को एक्जामिन किया गया. मुकदमे की सुनवाई के दौरान पंद्रह गवाह मुकर गए. जिसके चलते ये मामला करीब 18 साल तक खिंच गया.
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