The Lallantop

केंद्र से टकराव के बीच तमिलनाडु की स्टालिन सरकार राज्य के अधिकारों की रक्षा के लिए बनाएगी कमेटी

कमेटी का नेतृत्व सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज कुरियन जोसेफ करेंगे. हाई लेवल कमेटी जनवरी 2026 के अंत तक एक अंतरिम रिपोर्ट पेश करेगी. फाइनल रिपोर्ट दो वर्षों में तैयार की जाएगी. कमेटी केंद्र सरकार के साथ कामकाजी संबंधों को बेहतर बनाने के रास्ते भी तलाशेगी.

post-main-image
तमिलनाडु के सीएम एम. के. स्टालिन (फाइल फोटो)

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने एक हाई लेवल कमेटी बनाने का ऐलान किया है. यह कमेटी राज्यों के अधिकारों की रक्षा के लिए संविधान पर शोध करेगी. साथ ही राज्यों को न्यायिक विभाग में ज़्यादा अधिकार दिलाने के लिए कार्रवाई के लिए सिफारिशें की जाएंगी. कमेटी का नेतृत्व सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज कुरियन जोसेफ करेंगे. स्टालिन सरकार का यह एलान राज्यपाल के साथ तनातनी के बीच आया है. 

इंडिया टुडे से जुड़े प्रमोद के इनपुट के मुताबिक, यह हाई लेवल कमेटी जनवरी 2026 के अंत तक एक अंतरिम रिपोर्ट पेश करेगी. फाइनल रिपोर्ट दो वर्षों में तैयार की जाएगी. कमेटी केंद्र सरकार के साथ कामकाजी संबंधों को बेहतर बनाने के रास्ते भी तलाशेगी. कमेटी यह भी देखेगी कि राज्य सरकार के जो अधिकार पहले थे लेकिन अब केंद्र सरकार के साथ बांट दिए गए हैं उन्हें कैसे वापस स्थापित किया जा सकता है. 

यह भी पढ़ेंः क्या हिंदी के बहाने CM स्टालिन तमिलनाडु में पीएम मोदी की सालों की मेहनत खराब कर देंगे?

स्टालिन ने मंगलवार, 15 मार्च को विधानसभा में इसका एलान करते हुए कहा, 

ऐसी स्थिति में जब राज्य अपनी शक्ति खो रहे हैं. मैं संविधान का पुनर्मूल्यांकन करने का अनुरोध करता हूं. जब लोगों के अधिकारों की रक्षा की बात आती है तो राज्यों की भूमिका सबसे पहले आती है. लेकिन राज्य की शक्तियां केंद्र को दी जा रही हैं. दिल्ली का कोई व्यक्ति कैसे तय कर सकता है कि राज्य के लोगों के लिए क्या किया जाना चाहिए?

स्टालिन ने कहा कि हम विविधता में एकता की रक्षा के लिए यह कदम उठा रहे हैं. हम यह सिर्फ़ तमिलनाडु के लिए नहीं बल्कि कश्मीर, केरल और नॉर्थ ईस्ट के सभी राज्यों के लिए कर रहे हैं. 

गौरतलब है कि भाषा विवाद, नीट में छूट, नियुक्त गवर्नर द्वारा बिल रोके जाने, परिसीमन विवाद आदि मुद्दों लेकर तमिलनाडु और केंद्र के बीच खींचतान नई नहीं है. तमिलनाडु सरकार समय-समय पर केंद्र पर भेदभाव का आरोप लगाती रही है.

स्टालिन ने किया अंबेडकर का ज़िक्र 

स्टालिन ने संविधान निर्माता भीम राव अंबेडकर का ज़िक्र करते हुए कहा,

मैं अंबेडकर की कही बात याद दिलाना चाहता हूं. संघ और राज्य संविधान द्वारा बनाए गए हैं. ये एक दूसरे के अधीन नहीं है. हमने फैमिली प्लानिंग को सही तरह से लागू करके जनसंख्या को कंट्रोल किया. लेकिन 2026 का परिसीमन इसके लिए सज़ा बन सकता है. हम अदालत गए क्योंकि विधानसभा में पारित विधेयकों को मंज़ूरी नहीं दी गई. एक ऐतिहासिक निर्णय न केवल तमिलनाडु बल्कि अन्य राज्यों के लिए भी फायदेमंद है. 

यह भी पढ़ेंः "तमिलनाडु के नेता अपनी भाषा में साइन नहीं करते...", भाषा विवाद पर पीएम मोदी ने स्टालिन पर तंज कसा

GST पर केंद्र को घेरा

स्टालिन ने कहा कि जब जीएसटी लागू किया गया था तो तमिलनाडु ने इसका विरोध किया था. लेकिन बावजूद इसके हमने इसे लागू किया. इसकी वजह से तमिलनाडु को भारी नुकसान हुआ. राज्यों के कमाई के अधिकार को छीन लिया गया. हम जो एक रुपया टैक्स के रूप में देते हैं, उसके बदले में केवल 29 पैसे वापस मिलते हैं. 

हिंदी थोपने का आरोप

स्टालिन ने नीट को लेकर भी विधानसभा में अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि नीट केवल एक सेट के लिए उपयोगी है. यह ग्रामीण छात्रों के खिलाफ है. नीट की वजह से कई छात्र अपने सपने और जान गंवा चुके हैं. हमने नीट के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया. हम ऐसे मुद्दों के खिलाफ कानून पारित करने से नहीं डरते. तीन भाषा नीति के नाम पर हिंदी थोपने का प्रयास किया जा रहा है तमिलनाडु सरकार न्यू एजुकेशन पॉलिसी को स्वीकार नहीं करेगी.

वीडियो: चेन्नई पुलिस ने कहा बैन करो Grindr App, ड्रग्स की तस्करी करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा एप