भगोड़े हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी (Mehul Choksi) को भारत वापस लाने के लिए ED और CBI दफ्तरों में तैयारियां तेज हो गई हैं. उन अधिकारियों के नाम फाइनल किए जा रहे हैं, जो चोकसी का प्रत्यर्पण (Mehul Choksi Extradition) कराने के लिए बेल्जियम जाएंगे. इंडियन एक्सप्रेस के सूत्रों ने बताया कि सीबीआई और ईडी से दो या तीन अधिकारियों को इसके लिए चुना जाना है. इसके लिए दोनों ही जांच एजेंसियों के हेडक्वार्टर्स में अफसरों के नामों को लेकर चर्चा शुरू हो गई है.
मेहुल चोकसी का प्रत्यर्पण रोक सकती हैं ये अड़चनें! भारत-बेल्जियम की Treaty में क्या-क्या है
मेहुल चोकसी को भारत लाए जाने के लिए तैयारियां तेज कर दी गई हैं. ईडी और सीबीआई के उन अधिकारियों के नाम फाइनल किए जा रहे हैं जो बेल्जियम जाएंगे. इसके साथ ही केस से जुड़े सभी दस्तावेज भी तैयार किए जा रहे हैं क्योंकि चोकसी के वकील ने प्रत्यर्पण को चुनौती देने वाली अर्जी दाखिल करने की तैयारी कर ली है.
.webp?width=360)
इसके साथ ही, प्रत्यर्पण के लिए जरूरी सभी कागज भी तैयार किए जा रहे हैं क्योंकि इस बात की पूरी संभावना है कि चोकसी के वकील उसके प्रत्यर्पण को चुनौती देंगे. सोमवार को चोकसी के वकील ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया था कि वह चोकसी की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली अपील दाखिल करने की तैयारी में हैं. उन्होंने बताया कि वह चोकसी की रिहाई के लिए अपील दाखिल करेंगे. इसका आधार चोकसी की मेडिकल कंडीशन होगी. वह कैंसर का इलाज करा रहा है. उन्होंने कहा कि वह कोर्ट में ये दलील भी देंगे कि चोकसी के भागने के चांसेज नहीं हैं.
बता दें कि चोकसी को 12 अप्रैल को बेल्जियम में गिरफ्तार किया गया था. ईडी और सीबीआई ने इसके लिए बेल्जियम की पुलिस से आग्रह किया था. चोकसी और उसके भतीजे नीरव मोदी पर साल 2018 में पंजाब नेशनल बैंक की ब्रैडी हाउस शाखा में लोन फ्रॉड के आरोप थे. दोनों जांच एजेंसियों ने चोकसी और मोदी के खिलाफ कई चार्जशीट दाखिल किए थे. 2018 में ही चोकसी भारत से भाग गया था. भारतीय अधिकारियों को खबर मिली थी कि वह बेल्जियम में है और स्विट्जरलैंड भागने की फिराक में है. इससे पहले ही वह गिरफ्तार कर लिया गया और अब बेल्जियम के डिटेंशन सेंटर में है.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत और बेल्जियम के बीच प्रत्यर्पण की संधि है. साल 2020 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत और बेल्जियम के बीच प्रत्यर्पण संधि पर हस्ताक्षर किया था और इसे मंजूरी दी थी. दोनों देशों के बीच इस ट्रीटी ने ब्रिटेन और बेल्जियम के बीच की 1901 की प्रत्यर्पण संधि का स्थान लिया था. इस पुराने समझौते को 1958 में भारत सरकार ने भी कॉन्टिन्यू कर दिया था.
मुश्किलें और भी हैं…भारत-बेल्जियम के बीच नए समझौते के तहत दोनों देश अपने क्षेत्र में रहने वाले ऐसे किसी भी व्यक्ति के प्रत्यर्पण पर सहमत हुए, जो दोनों देशों में दंडनीय अपराध में आरोपी हो. इस अपराध की कम से कम एक साल या उससे ज्यादा की सजा हो. फाइनेंसियल फ्रॉड और भ्रष्टाचार के आरोप भी इसमें शामिल हैं. हालांकि, कुछ मामलों में बेल्जियम प्रत्यर्पण से इनकार कर सकता है. जैसे अगर कोई सैन्य अपराधी हो तो उसके प्रत्यर्पण में मुश्किलें आ सकती हैं. इसके अलावा, कोई अगर राजनैतिक मामलों में आरोपी हो. या फिर नस्ल, लिंग, धर्म, राष्ट्रीयता या फिर पॉलिटिकल ओपिनियन की वजह से कोई आरोपी बनाया गया हो.
ऐसे लोगों के प्रत्यर्पण से भी बेल्जियम इनकार कर सकता है. चोकसी के वकील ने इस मामले को राजनीतिक बताते हुए प्रत्यर्पण को चुनौती दी है. ऐसे में भारत के अफसर पूरी तैयारी में हैं कि हीरा कारोबारी के वकील की इस दलील को जैसे भी हो, खारिज करवा दिया जाए.
वीडियो: दी लल्लनटॉप शो: मेहुल चोकसी को भारत लाने में कौन सी कानूनी अड़चनें