दिल्ली के 'सेंट्रल जेल हॉस्पिटल, मंडोली' के एक डॉक्टर को उसके रिटायरमेंट के दिन सस्पेंड कर दिया गया. डॉक्टर का नाम ‘आर राठी’ है और वो जेल हॉस्पिटल के ‘रेजिडेंट मेडिकल ऑफिसर’ (RMO) थे. दिलचस्प बात ये है कि RMO का सस्पेंशन इस बात के लिए हुआ, क्योंकि उन्होंने जेल में बंद ठग सुकेश चंद्रशेखर (Sukesh Chandrasekhar) को ‘कलाई घड़ी’ पहनने देने की सिफारिश कर दी. यानी ऐसा प्रिस्क्रिप्शन बना दिया जिसमें सुकेश को घड़ी पहनने की सलाह दी गई थी.
रिटायरमेंट के दिन सस्पेंड हो गए डॉक्टर, जेल में महाठग सुकेश को घड़ी पहनने देने की सिफारिश की थी
पता लगाया जा रहा है कि डॉक्टर ने ऐसा किया क्यों? बताया जा रहा है कि सुकेश चंद्रशेखर को घड़ी प्रिस्क्राइब करने के लिए उन्होंने अपने सीनियर अधिकारियों की अनुमति नहीं ली थी.

इंडियन एक्सप्रेस ने जेल के एक सीनियर अधिकारी के हवाले से इसे रिपोर्ट किया है. अधिकारी ने कहा है कि 28 फरवरी को राठी का रिटायरमेंट था और उसी दिन उनका सस्पेंशन भी हुआ. इसके बाद उनके खिलाफ जांच भी शुरू कर दी गई. पता लगाया जा रहा है कि डॉक्टर ने ऐसा किया क्यों? घड़ी प्रिस्क्राइब करने के लिए उन्होंने अपने सीनियर अधिकारियों की अनुमति नहीं ली थी. डॉक्टर राठी पिछले ढाई साल से मंडोली जेल में काम कर रहे थे.
सुकेश चंद्रशेखर इस समय जेल में बंद है. उस पर आरोप है कि उसने रैनबैक्सी कंपनी के पूर्व मालिक शिवेंद्र सिंह की पत्नी अदिति सिंह से 200 करोड़ रुपये की ठगी की. उसने खुद को प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) का अफसर बताकर, अदिति सिंह को फोन किया और कहा कि वो उनके पति को जेल से छुड़वाने में मदद करेगा. एक अधिकारी ने बताया कि सुकेश 2017 से जेल में बंद है. क्योंकि उस पर कई आपराधिक मामलों में शामिल होने का आरोप है. उसे 4 नवंबर 2023 को मंडोली जेल में ट्रांसफर किया गया. उसका व्यवहार भी अच्छा नहीं रहा है.
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जेल प्रशासन ने सुकेश को घड़ी दी थी क्योंकि दिल्ली की एक अदालत ने इसकी इजाजत दी थी. लेकिन शर्त ये थी कि पहले इसकी सुरक्षा जांच हो. बाद में, जेल अधिकारियों ने इस फैसले के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में अपील की. 10 जनवरी को राउज एवेन्यू कोर्ट के स्पेशल जज विशाल गोगने ने एक आदेश में कहा,
जेल के डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल (DIG) की ओर से एक रिपोर्ट मिली है. इसमें बताया गया है कि जेल नियम 1268 के मुताबिक, कुछ चीजें– जैसे सोना, चांदी, धातु, सिक्के, गहने, चश्मा, नकदी, बांड और कीमती सामान जेल में रखना मना है. इसलिए जेल में बंद कैदियों को घड़ी पहनने की इजाजत नहीं है. ये रिपोर्ट पहले भी अदालत को मिली थी. तब कोर्ट ने पाया था कि घड़ी पहनने जैसी मामूली लगने वाली चीज पर भी जेलों में अलग-अलग तरीके अपनाए जा रहे हैं.
इसके बाद कोर्ट ने जेल अधिकारियों से इस बारे में और जानकारी मंगवाई. कोर्ट ने ये भी कहा था कि DIG ये साफ करें कि क्या किसी अन्य कैदी को भी घड़ी पहनने की इजाजत दी गई है या नहीं. इसके बाद जेल प्रशासन ने कोर्ट में जवाब पेश किया.
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आरोपी सुकेश चंद्रशेखर ने कोर्ट को जेल अस्पताल के RMO की लिखी हुई सिफारिश दिखाई. इसमें कहा गया है कि उसे एक साधारण घड़ी पहनने की इजाजत दी जाए. उसने ये भी कहा है कि उसकी ही जेल में कुछ और कैदी हैं जो घड़ी पहनते हैं. हालांकि, कोर्ट ने उन कैदियों के नाम फिलहाल आदेश में दर्ज नहीं किए हैं. इसके बाद कोर्ट ने कहा कि डिप्टी सुपरिंटेंडेंट इस सिफारिश की जांच करें. वो ये पता लगाएं कि ये रिपोर्ट असली है या नहीं. कोर्ट ने जांच पूरी होने तक सुकेश को साधारण घड़ी पहनने की इजाजत दे दी.
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