दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन (Satyender Jain) की मुश्किलें एक बार फिर से बढ़ गई हैं. AAP के दोनों सीनियर नेताओं पर अब कथित क्लासरूम घोटाले में FIR दर्ज की गई है. इससे पहले मनीष सिसोदिया कथित शराब घोटाला और सत्येंद्र जैन मनी लॉन्ड्रिंग केस में लंबे समय तक जेल में रहे हैं.
मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन पर 2 हजार करोड़ के क्लास रूम घोटाले का आरोप, FIR दर्ज
Delhi के पूर्व उपमुख्यमंत्री Manish Sisodia और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री Satyender Jain के खिलाफ ACB ने कथित क्लासरूम घोटाले में केस दर्ज किया है. BJP सांसद Manoj Tiwari की शिकायत पर ये केस दर्ज किया गया है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन पर AAP सरकार के कार्यकाल के दौरान दिल्ली के सरकारी स्कूलों में नए क्लासरूम के निर्माण से जुड़े 2000 करोड़ रुपये के कथित घोटाले का आरोप लगा है. दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (ACB) ने दोनों के खिलाफ 30 अप्रैल को केस दर्ज किया है.
ACB चीफ मधुर वर्मा ने इसकी पुष्टि की है. उन्होंने बताया कि केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) के चीफ टेक्निकल एग्जामिनर की रिपोर्ट में कई तरह की गड़बड़ियां बताई गई थीं. लेकिन इस रिपोर्ट को तीन साल तक दबा कर रखा गया. उन्होंने आगे बताया कि इस मामले में सक्षम प्राधिकारी से 17-A POC एक्ट के तहत अनुमति मिलने के बाद मामला दर्ज किया गया.
ACB से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि कथित तौर पर यह प्रोजेक्ट AAP से जुडे़ कुछ ठेकेदारों को दिया गया था. इस प्रोजेक्ट की लागत में काफी बढ़ोतरी देखी गई. और तय समय सीमा के अंदर एक भी काम पूरा नहीं हुआ. उन्होंने आगे बताया,
मनोज तिवारी ने दर्ज कराई थी शिकायतसही प्रक्रिया को फॉलो किए बिना ही इस प्रोजेक्ट के लिए एडवाइजर और आर्किटेक्ट की नियुक्ति की गई. और उनकी मदद से लागत में हेरफेर की गई.
बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने साल 2019 में जोन 23, 24 और 28 के सरकारी स्कूलों में एडिशनल क्लासरूम के निर्माण में वित्तीय अनियमितता का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई थी. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने एक क्लासरूम बनाने में 28 लाख रुपये खर्च किए, जबकि एक क्लास के निर्माण में महज पांच लाख रुपये लगते हैं.
टेंडर के मुताबिक, एक स्कूल रूम को बनाने की एकमुश्त लागत करीब 24.86 लाख रुपये प्रति कमरा है, जबकि दिल्ली में आमतौर पर ऐसे कमरे लगभग 5 लाख रुपये में बनाए जा सकते हैं. इसके अलावा ये आरोप भी लगाया गया कि इस प्रोजेक्ट की ठेकेदारी जिन 34 ठेकेदारों को दी गई थी, उनमें से अधिकतर AAP से जुड़े हुए थे.
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