मध्य प्रदेश के रीवा जिले से करोड़ों रुपये के फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है. आरोप है कि यहां फर्जी बैंक गारंटी के जरिए शराब ठेकों का आंवटन किया गया (MP Liquor Scam). शराब ठेकेदारों, जिला आबकारी अधिकारी और बैंक मैनेजर की मिलीभगत से इस घटना को अंजाम दिया गया. इस मामले में 8 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज कर ली गई है. आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने जांच में पाया कि नियमों का उल्लघंन करके शराब ठेकों का आंवटन किया गया था.
MP में शराब ठेकों के आवंटन में बड़ा घोटाला, अफसरों और ठेकेदारों ने मिलकर गटके करोड़ों रुपये
Madhya Pradesh: आरोप है कि फर्जी बैंक गारंटी के जरिए शराब ठेकों का आंवटन किया गया. शराब ठेकेदारों, जिला आबकारी अधिकारी और बैंक मैनेजर की मिलीभगत से इस घटना को अंजाम दिया गया. इस मामले में 8 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज कर ली गई है. और क्या पता चला?

मध्य प्रदेश आबकारी नीति के मुताबिक, शराब ठेकों के लिए बैंक गारंटी किसी भी सार्वजनिक क्षेत्र के अनुसूचित व्यवसायिक बैंक/निजी क्षेत्र के अनुसूचित व्यवसायिक बैंक या एमपी के क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों से ही जारी की जा सकती है. लेकिन इस मामले में जिला सहकारी केंद्रीय बैंक द्वारा जारी बैंक गारंटी को स्वीकार किया गया जो भारतीय रिजर्व बैंक के द्वारा अनुसूचित बैंक की सूची में भी शामिल नहीं है.
आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक, 28 जून, 2023 में एडवोकेट बीके माला ने EOW में एक शिकायत दर्ज कराई थी. जिसमें कहा गया था कि शराब ठेकेदारों को नियमों के विरुद्ध जाकर फर्जी बैंक गारंटी के आधार पर लाइसेंस दिए गए हैं. EOW ने मामले की जांच शुरू की और पाया कि जिला सहकारी बैंक शाखा मोरबा (सिंगरौली) के तत्कालीन प्रभारी शाखा प्रबंधक नागेन्द्र सिंह ने 14 फर्जी बैंक गारंटी जारी की थीं. जो 15 करोड़ 32 लाख 23 हजार 440 रुपये की थीं. इन 14 फर्जी बैंक गारंटियों में से 9 बैंक गारंटी शराब ठेकेदारों को दी गईं. जिनका इस्तेमाल उन्होंने रीवा, सिंगरौली, उमरिया और सतना जिलों में शराब ठेकों के लाइसेंस प्राप्त करने के लिए किया.
ये भी पढ़ें: इस राज्य के शराब प्रेमियों के साथ बहुत बुरा हुआ, कंपनी ने सप्लाई ही बंद कर दी
नियमों का किया उल्लघंनरिपोर्ट के मुताबिक, इस मामले में 8 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है. जिनमें बैंक मैनेजर और जिला आबकारी अधिकारी (रीवा) समेत शराब की दुकान के ठेकेदार शामिल हैं. आरोपियों के खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र और धोखाधड़ी की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है.
EOW ने अपनी जांच में पाया है कि पहले जिला आबकारी अधिकारी अनिल जैन ने नियमों का उल्लघंन करके इन फर्जी बैंक गारंटियों को स्वीकार किया और शराब ठेकेदारों को ठेके दिए. इसके बाद जब शिकायत हुई तो उन्होंने मामले की छिपाने के लिए अनुसूचित बैंकों की गारंटी प्राप्त की. जैसा कि मध्य प्रदेश की आबकारी नीति में कहा गया है. जांच में पता चला कि शराब ठेकेदारों ने बैंक गारंटी प्राप्त करने के लिए किसी संपत्ति/प्रतिभूति या राशि को नहीं जमा किया. सहकारी बैंक के तीन सदस्यीय जांच दल ने अपनी रिपोर्ट में भी गंभीर अनियमितता की पुष्टि की है.
वीडियो: यूपी के कई शहरों में शराब के शौकीनों की मौज, 1 पर 1 बोतल फ्री मिल रही