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हंसने पर फंसा अधिकारी, नौकरी पर बन आई, अपर कलेक्टर ने नोटिस थमाकर पूछा हंसे क्यों थे?

Madhya Pradesh News: अपर कलेक्टर ने एक जूनियर अधिकारी के हंसने पर उसके खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया. आखिर ऐसा क्या हुआ, जो बड़े अफसर को बुरा लग गया?

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मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में एक अधिकारी को हंसना भारी पड़ गया. (सांकेतिक तस्वीर-AI)

मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में एक अधिकारी को अपने से बड़े अधिकारी के सामने हंसना भारी पड़ गया. अपर कलेक्टर ने अधिकारी को अनुशासनहीनता और कार्य के प्रति लापरवाही को लेकर कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया. नोटिस की प्रतिलिपि सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है.

NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक ये मामला 29 अक्टूबर का है. छतरपुर के जिला पंचायत भवन में जनसुनवाई की जा रही थी. इस दौरान अपर कलेक्टर मिलिंद नागदेवे भी मौजूद थे. बताया जाता है कि वहां ई-गवर्नेंस के सहायक प्रबंधक केके तिवारी किसी बात पर हंस दिए. इस घटना के अगले दिन अपर कलेक्टर ने इसे अनुशासनहीनता बताते हुए उन्हें कारण बताओ नोटिस थमा दिया.

अपर कलेक्टर ने 30 अक्टूबर को केके तिवारी को एक नोटिस जारी करते हुए लिखा,

‘इस प्रकार का कृत्य अनुशासनहीनता, कर्तव्य के प्रति उदासीनता और लापरवाही को दर्शाता है. यह सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के तहत गंभीर कदाचरण है. वहीं नियम 1966 के नियम 10 के तहत ये दंडनीय भी है. अत: आप 4 नवंबर को शाम 4 बजे लिखित उत्तर अधोहस्ताक्षरकर्ता के समक्ष उपस्थित होकर प्रस्तुत करें. आप बताएं कि इस कृत्य के लिए क्यों न आपके विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए? यदि आपका उत्तर सही नहीं पाया गया या दी गई समयावधि में प्राप्त नहीं हुआ तो मान लिया जाएगा कि आपके द्वारा जान-बूझकर लापरवाही की गई है, जिसके उत्तरदायी आप स्वयं हैं.’

नोटिस
कारण बताओ नोटिस

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अधिकारी ने दिया जवाब

इस मामले में ई-गवर्नेंस के सहायक प्रबंधक कृष्णकांत तिवारी ने कहा कि उनकी कोई गलती नहीं थी. उन्होंने आगे कहा कि जनसुनवाई के समय वो किसी बात पर दूसरे व्यक्ति से चर्चा कर रहे थे. इस दौरान अपर कलेक्टर को लगा कि वो हंस रहे हैं. जिसके बाद उन्होंने नोटिस दिया था.

अधिकारी ने आगे कहा कि उन्होंने समय पर उसका जवाब भी दे दिया था. उसके बाद उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. वहीं अपर कलेक्टर मिलिंद नागदेवे ने इस घटना पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.

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