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दो कमरे के फ्लैट के 16 करोड़ लिए, बाथरूम में टब बनाना भूल गए, खरीदार ने केस ठोका

फ्लैट दो साल देरी से भी बनकर तैयार हुआ. जब खरीदार ने उसे देखा, तो वो नाराज हो गईं. उन्होंने फ्लैट को लेने से इनकार कर दिया.

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बाई ओर घर की तस्वीर वहीं दाई ओर 54 साल की मी सुक पार्क. (तस्वीर : डेली मेल)

सपनों का घर हर किसी का सपना होता है, लेकिन हर किसी को सपनों का घर मिलता नहीं. यहां ‘सपनों का घर’ मतलब 'अपना घर' नहीं है. हम उस ड्रीम होम की बात कर रहे हैं जिसके बारे में ज्यादातर लोग बस कल्पना भर करके रह जाते हैं. क्योंकि ये शह नोट मांगती है. ढेर सारे नोट. लाखों की नहीं, करोड़ों की बात हो रही. लेकिन पैसा लगाने के बाद भी मन की चीज ना मिले तो उसकी चमक-दमक का कोई मतलब नहीं. फिर चाहे वो मन की चीज एक बाथटब ही क्यों ना हो.

लंदन की एक चार्टर्ड अकाउंटेंट ने करोड़ों रुपये खर्च करके घर बनवाया. लेकिन उसका बाथरूम देखकर महिला ऐसा भड़की कि डेवलपर पर कोर्ट केस कर दिया. द टेलीग्राफ में छपी खबर के मुताबिक, मी सुक पार्क ने 1.5 मिलियन पाउंड (लगभग 16 करोड़ रुपये) का एक फ्लैट खरीदा था. लेकिन अब उनका कहना है कि उनका फ्लैट वादे के मुताबिक नहीं बनाया गया है.

वहीं फ्लैट के डेवलपर ‘नाइन एल्म्स प्रॉपर्टी लिमिटेड’ ने पार्क पर काउंटरक्लेम दायर किया है.

कब खरीदा था फ्लैट?

साल 2015 में मी सुक पार्क ने 'ऑफ-प्लान' (बनने से पहले का प्लॉन) देखकर घर खरीदा. ये दो बेडरूम वाला एक अपार्टमेंट है. उस दौरान डेवलपर ने उन्हें एक ब्रोशर और फ्लोर प्लान दिखाया था. ये फ्लैट लंदन के नाइन एल्म्स इलाके में था. इसे साल 2020 में बनकर तैयार होना था.

लेकिन फ्लैट दो साल देरी से बनकर तैयार हुआ. साल 2022 में जब पार्क ने उसे देखा, तो वो नाराज हो गईं. उन्होंने फ्लैट को लेने से इनकार कर दिया.

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पार्क ने कोर्ट में बताया कि उनके घर के दूसरे बाथरूम में बाथटब ही नहीं था. उसमें केवल शावर कैबिन ही था. इसके अलावा दूसरा बेडरूम अपने लेआउट से छोटा था. वहीं यूटिलिटी कपबोर्ड को लिविंग स्पेस में बना दिया गया था. अब इसे बदला नहीं जा सकता. 

पार्क ने फ्लैट की डिलीवरी में दो साल की देरी पर भी सवाल उठाए. अपने नुकसान के लिए पार्क ने डेवलपर से 7 लाख पाउंड (करीब 7 करोड़ 75 लाख) से अधिक राशि की मांग की. 

पार्क का पक्ष रखने वाले वकील नजर मोहम्मद ने कोर्ट में कहा कि ब्रोशर में 'अल्टीमेट लग्जरी' और 'पैनोरमिक व्यूज़ ऑफ लंदन' का वादा किया गया था, लेकिन असल में फ्लैट उस स्टैंडर्ड पर खरा नहीं उतरा. वहीं पार्क ने कोर्ट को बताया कि ये उनके जीवन का सबसे बड़ा फैसला था.वो अपने पति के रिटायरमेंट के बाद वहीं रहने वाली थीं.

वहीं कंपनी के वकील रूपर्ट कोहेन ने क्रॉस एग्ज़ामिनेशन के दौरान बताया कि ब्रोशर में जो दिखाया गया था, वह केवल उदाहरण के लिए था. साथ ही हर पेज की हेडिंग पर ‘Typical Layout’ लिखा गया था. इस पर पार्क ने जवाब दिया कि आप मुझे लापरवाह कह सकते हैं, लेकिन मैंने ‘Typical’ शब्द को जरूरी नहीं समझा था.

अब डेवलपर ने पार्क के दावों को खारिज करते हुए कॉन्ट्रैक्ट पूरा न करने पर उनके खिलाफ काउंटर-क्लेम दायर किया है. यह मामला अभी सेंट्रल लंदन काउंटी कोर्ट में जारी है. लेकिन इसकी डिटेल्स मीडिया की सुर्खी बन गई है.

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