बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने लॉ फर्म ‘DSK Legal’ को एक विज्ञापन के लिए फटकार लगाई है. BCI ने इस ऐड पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा है कि लॉ फर्म खुद इस तरह से ऐड चलाकर पब्लिसिटी नहीं कर सकतीं. भारत में वकीलों और लॉ फर्मों को इसकी इजाजत नहीं है. काउंसिल का कहना है कि ये नियमों का उल्लंघन है.
'वकील को अपने काम का प्रचार करने की इजाजत नहीं... ', बार काउंसिल ने दी वकीलों को चेतावनी
लॉ फर्म ‘DSK Legal’ ने बॉलीवुड एक्टर राहुल बोस के साथ एक विज्ञापन बनाया था. BCI ने इस ऐड पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा है कि लॉ फर्म खुद इस तरह से ऐड चलाकर पब्लिसिटी नहीं कर सकतीं. लेकिन ‘DSK Legal’ के विज्ञापन में था क्या?

‘DSK Legal’ ने बॉलीवुड एक्टर राहुल बोस के साथ एक विज्ञापन बनाया था. इस वीडियो में दिखाया जाता है कि राहुल बिना पढ़े किसी पेपर पर साइन नहीं करते. लेकिन जब वही पेपर ‘DSK Legal’ की ओर से दिए जाते हैं, तो बिना पढ़े ही साइन कर देते हैं. और वो कहते हैं, “20 साल हो गए हैं.” इसका मतलब था कि वो अब इस लॉ फर्म पर बहुत ज्यादा भरोसा करते हैं. BCI ने इसी ऐड पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई है.
इंडियन एक्स्प्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, BCI ने ‘DSK Legal’ को विज्ञापन हटाने को कहा है. साथ ही ‘कारण बताओ नोटिस’ भी जारी किया. काउंसिल ने ये बताने को कहा है कि फर्म के खिलाफ पेशेवर कदाचार (प्रोफेशनल मिसकंडक्ट) के लिए अनुशासनात्मक कार्यवाही क्यों न शुरू की जाए.
काउंसिल ने 17 मार्च की अपनी एक प्रेस विज्ञप्ति का भी हवाला दिया. इसमें ऐसे पेशे को बढ़ावा देने के लिए बॉलीवुड हस्तियों के इस्तेमाल की निंदा की गई थी, जो “सार्वजनिक विश्वास और नैतिक मानकों” पर निर्भर हैं. और जो कमर्शियल बिजनेस से अलग हैं. BCI ने ये बात दोहराई कि वकील सोशल मीडिया या किसी भी डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अपने कानूनी काम (जैसे केस लेने या ग्राहक ढूंढने) का प्रचार नहीं कर सकते.
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ब्रिटिश काल में बना था नियमबीसीआई रूल्स के नियम 36 के मुताबिक, वकील प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से काम नहीं मांग सकते. चाहे वो परिपत्रों (सर्क्यूलर्स), विज्ञापनों, दलालों, व्यक्तिगत संचार, साक्षात्कारों के माध्यम से हो. यही नियम उनको विज्ञापन से भी रोकता है. इस नियम को ब्रिटिश औपनिवेशक काल में बनाया गया था. हालांकि, 2008 में नियमों में कुछ बदलाव किए गए. लॉ फर्म्स को अपनी वेबसाइटों पर सीमित जानकारी दिखाने की अनुमति दी गई. लेकिन BCI और अदालतें इन मामलों में सख्ती से पेश आती हैं.
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