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बेंगलुरु में आरोपी महिला ने की आत्महत्या, डीएसपी पर उकसाने और घूस मांगने का आरोप

DSP Kanakalakshmi बेंगलुरु के CID विभाग में पोस्टेड हैं. उन पर एक महिला कारोबारी से रिश्वत मांगने और उनको आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप है. Kanakalakshmi पर भारतीय न्याय संहिता की धाराओं के अलावा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है.

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एस जीवा अपने कमरेे में मृत पाई गई थीं. (इंडिया टुडे, सांकेतिक तस्वीर)

कर्नाटक पुलिस ने बेंगलुरु में तैनात डीएसपी कनकलक्ष्मी के खिलाफ एक महिला को आत्महत्या के लिए उकसाने और रिश्वत मांगने का मामला दर्ज किया है. आरोपी DSP की पोस्टिंग फिलहाल CID डिपार्टमेंट में है. उन पर एक महिला कारोबारी को पूछताछ के लिए दफ्तर बुलाकर उनके कपड़े उतरवाने,  25 लाख रुपये की रिश्वत मांगने और फिर उनकी दुकान पर सबके सामने उन्हें अपमानित करने का आरोप है. कनकलक्ष्मी पर भारतीय न्याय संहिता की धाराओं के अलावा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है.

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, 33 साल की एस जीवा 22 नवंबर को अपने घर पर मृत पाई गई थीं. एस जीवा बेंगलुरु के पीन्या में लकड़ी की दुकान चलाती थीं. और पेशे से वकील भी थीं. जीवा की बहन एस संगीता ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है. जिसमें उन्होंने डीएसपी कनकलक्ष्मी को उनकी मौत का जिम्मेदार बताया था.

एस जीवा कर्नाटक भोवी विकास निगम घोटाले की आरोपियों में से एक थीं. क्योंकि उ्न्होंने सामग्री की सप्लाई की थी. इस मामले की जांच CID को सौंपी गई थी. कर्नाटक हाई कोर्ट ने CID को 14 से 23 नवंबर के बीच वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए एस जीवा से पूछताछ करने की अनुमति दी थी. लेकिन CID ने उन्हें व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया.

14 नवंबर को एस जीवा CID कार्यालय में पेश हुईं. जहां कथित तौर पर उन्हें परेशान किया गया. उनकी बहन के मुताबिक उनके कपड़े उतारे गए. और चेक किया गया कि कहीं उनके पास साइनायड तो नहीं हैं. 

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इसके अलावा DSP कनकलक्ष्मी ने उनसे 25 लाख रुपये की रिश्वत मांगी. और जीवा के जमा किए गए दस्तावेजों को लेने से मना कर दिया. FIR के मुताबिक अगले कुछ दिनों तक उनका उत्पीड़न जारी रहा. और DSP ने एस जीवा की दुकान पर जाकर उनके कर्मचारियों के सामने उनका अपमान किया. भोवी विकास निगम घोटाला 2021-22 में सामने आया था. इसमें एक नौकरी योजना के तहत भोवी समुदाय के सदस्यों को दिए जाने वाले कर्ज के पैसे के दुरुपयोग का आरोप था.

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