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आरोपी को कब तक हिरासत में रखें? BNSS की इस धारा पर हाई कोर्ट की ये बात जानने लायक है

पूर्व कांग्रेस विधायक बीए मोहिउद्दीन बावा के भाई बीएम मुमताज़ अली ने कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी. कर्नाटक हाई कोर्ट के जस्टिस एम नागप्रसन्ना इसी मामले की सुनवाई कर रहे हैं. इसी दौरान उन्होंने धारा 187 को लेकर स्पष्टीकरण दिया.

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कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में जांच पूरी करने या पुलिस हिरासत की अवधि में कोई बदलाव नहीं. (तस्वीर:कर्नाटक हाईकोर्ट की वेबसाइट)

कर्नाटक हाई कोर्ट ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 187 को लेकर स्पष्टीकरण दिए हैं. कोर्ट ने साफ किया है कि इस धारा के तहत 10 साल की सजा वाले आपराधिक मामलों में 15 दिनों की पुलिस कस्टडी जांच के शुरुआती 40 दिनों में हासिल करनी होगी. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि BNSS की धारा 187 और CrPC की धारा 167(2) में भाषा के मामूली बदलाव के बावजूद, आपराधिक मामलों में जांच पूरी करने या आरोपी व्यक्तियों की पुलिस हिरासत की अवधि में कोई बदलाव नहीं किया गया है.

'भाषा में बदलाव, उद्देश्य में नहीं'

पूर्व कांग्रेस विधायक बीए मोहिउद्दीन बावा के भाई बीएम मुमताज़ अली ने कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी. कर्नाटक हाई कोर्ट के जस्टिस एम नागप्रसन्ना इसी मामले की सुनवाई कर रहे हैं. इसी दौरान उन्होंने धारा 187 को लेकर स्पष्टीकरण दिया.

दरअसल, ट्रायल कोर्ट ने मुमताज अली को कथित तौर पर आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में कुछ आरोपियों की पुलिस हिरासत खारिज कर दी थी. कर्नाटक हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा.

पुलिस ने मंगलुरु की एक अदालत में आरोपियों की हिरासत देने की याचिका को खारिज करने के आदेश पर सवाल उठाया था. इस संबंध में पुलिस की तरफ से याचिका दायर की गई थी. दलील दी गई कि आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में 10 साल की सजा का प्रावधान है, इसलिए जांच पूरी करने की अवधि 90 दिन है. ऐसे में आरोपी की हिरासत अपराध दर्ज होने के 60 दिनों तक ली जा सकती है. यानी आरोपियों की हिरासत बढ़ाई जाए. 

कोर्ट ने कहा कि CrPC की धारा 167(2) में 'दस वर्ष से कम नहीं' का मतलब यह है कि आरोपित की जाने वाली सजा 10 साल होगी. धारा 187(3) में 'दस वर्ष या उससे अधिक' का मतलब भी केवल दस साल की सजा है.

हाई कोर्ट ने कहा,

“पुरानी व्यवस्था के तहत CrPC की धारा 167(2) की तुलना में BNSS की धारा 187(3) की नई व्यवस्था में थोड़ा बदलाव किया गया है, लेकिन प्रावधान का उद्देश्य नहीं बदला है. जिन आपराधिक मामलों में 10 साल तक की सजा है, उनकी जांच 60 दिनों में पूरी करनी होगी. केवल उन्हीं मामलों में जांच 90 दिनों तक हो सकती है, जहां यह जीवन, मृत्यु या दस वर्ष या उससे अधिक से संबंधित है.”

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हिरासत बढ़ाने की याचिका खारिज
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि इस मामले में जांच की अवधि 60 दिन थी और BNSS की धारा 187 (3) के तहत ऐसे मामलों में पुलिस हिरासत 40 दिनों तक की है. वे 40 दिन बीत चुके हैं, इसलिए अब आरोपियों की पुलिस हिरासत और नहीं बढ़ाई जा सकती.

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