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कर्नाटक में मुसलमानों को भी OBC आरक्षण का लाभ, 4 से बढ़ाकर 8% होगा रिजर्वेशन! जाति जनगणना पर घमासान

कर्नाटक में जातीय जनगणना के आंकड़े सामने आने के बाद से सियासी तूफान मचा है. भाजपा ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह मुस्लिमों का तुष्टीकरण कर रही है. जेडीएस ने भी रिपोर्ट को समाज को बांटने वाला बताया है.

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कर्नाटक सरकार की जाति जनगणना की रिपोर्ट पर बवाल मचा है (India Today)

कर्नाटक में जातीय जनगणना सर्वे (Cast Census) की लीक रिपोर्ट ने सियासी तूफान खड़ा कर दिया है. राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की आबादी 69.6% है. आयोग ने ओबीसी के लिए मौजूदा 32% आरक्षण को बढ़ाकर 51% करने की सिफारिश की है. लेकिन इस रिपोर्ट को लेकर सत्ताधारी कांग्रेस और विपक्षी बीजेपी-जेडीएस में तीखी जंग छिड़ गई है. विपक्ष के नेता आर अशोक ने इसे मुस्लिम तुष्टीकरण बताया और कहा कि रिपोर्ट में साजिश देखिए. इसमें मुस्लिमों को सबसे बड़ी आबादी बताया गया है. वहीं, केंद्रीय मंत्री एचडी कुमारस्वामी ने कहा कि ये रिपोर्ट समाज को बांटने की साजिश है.

रिपोर्ट में क्या है?

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, कांग्रेस सरकार की ओर से कराए गए सर्वे की रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य में अनुसूचित जाति (एससी) की संख्या 1.09 करोड़ है, जो राज्य की आबादी का सबसे बड़ा हिस्सा है. इसके बाद ओबीसी की श्रेणी 2बी के तहत आने वाले मुस्लिम हैं, जिनकी संख्या 75.25 लाख है. रिपोर्ट में ओबीसी में सबसे पिछड़े वर्गों (most backward classes) की संख्या 1.08 करोड़ बताई गई है. इनमें से 34.96 लाख ओबीसी की 1ए श्रेणी के अंतर्गत आते हैं, जबकि 73.92 लाख 2बी श्रेणी में आते हैं. बिलावा, एडिगा और अन्य जातियां, जो 2ए कैटिगरी में आती हैं उनकी संख्या 77.78 लाख है. 3ए और 3बी श्रेणियों की संख्या क्रमशः 72.99 लाख और 81.37 लाख है. इनमें वोक्कालिगा और लिंगायत जैसे प्रमुख समुदाय शामिल हैं.

प्रदेश में लिंगायतों की संख्या 76 लाख है. ये भाजपा के कोर वोटर माने जाते हैं. वोक्कालिंगा समुदाय के लोगों की संख्या 76 लाख बताई गई है. ये पहले जेडीएस के वोटर होते थे लेकिन अभी इनमें से कुछ का झुकाव कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार की ओर बताया जा रहा है. सिद्धारमैया जिस समुदाय से आते हैं, ऐसे कुरुबा लोगों की संख्या राज्य में 42.71 लाख बताई गई है. वहीं, प्रदेश में साढ़े 9 लाख के आसपास ईसाई समुदाय के लोग हैं.

जातीय सर्वे में पिछड़ी कम्युनिटियों को अलग-अलग कैटिगरी में बांटा गया है. कैटिगरीवार ही उनके आरक्षण को बढ़ाने की सिफारिश की गई है. कैटिगरी 1 में आने वाली जातियों के लिए आरक्षण की सीमा 4 से बढ़ाकर 18 प्रतिशत करने की सिफारिश की गई है. 2A वर्ग के लोगों के लिए आरक्षण 15 से घटाकर 10 प्रतिशत और 2बी कैटिगरी के लोगों के लिए आरक्षण 4 से बढ़ाकर 8 प्रतिशत करने का सुझाव दिया गया है. 3A और 3B वर्ग के लोगों का आरक्षण 4 और 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 7 और 8 प्रतिशत करने की सलाह दी गई है. रिपोर्ट में एससी-एसटी समुदाय के लोगों के लिए निर्धारित 15 और 3 प्रतिशत के आरक्षण में कोई बदलाव न करने का सुझाव दिया है.

जाति जनगणना का ये काम सिद्धारमैया के पहले कार्यकाल में 2015 में कमीशन किया गया था. शुक्रवार को इसके कैबिनेट के सामने पेश होने की संभावना है. यह सर्वे आयोग के पूर्व अध्यक्ष एच कंथाराजू के नेतृत्व में किया गया था. लेकिन इसकी रिपोर्ट पिछले साल फरवरी में प्रस्तुत की गई थी, जब जयप्रकाश हेगड़े पैनल के अध्यक्ष थे.

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