एक समय की बात है. इजरायल के एक बड़े भू-भाग पर राजा सुलैमान का राज था. राजा अपनी बुद्धिमता और न्याय के लिए जाने जाते थे. एक रोज उनके दरबार में दो महिलाएं आपस में झगड़ते हुए पहुंचीं. झगड़ा एक बच्चे को लेकर था. जिस पर दोनों मांओं का दावा था कि वे उस बच्चे की मां हैं. दोनों महिलाएं समाधान की तलाश में राजा के पास आई थीं. यह बहस काफी देर तक चलती रही. लेकिन राजा के पास यह जानने का कोई तरीका नहीं था कि बच्चे की मां कौन है. राजा ने बुद्धि दौड़ाई और अपने मंत्री को आदेश दिया, “एक तलवार लाई जाए और इस बच्चे को दो टुकड़ों में काट दिया जाए. इसके बाद प्रत्येक महिला को एक-एक टुकड़ा दे दिया जाए.”
एक मेमने को दो महिलाएं अपना बता रहीं, मामला पहुंचा थाने, अंत में मेमने ने ही सुलझाई गुत्थी!
Kanpur: यहां दो महिलाएं एक मेमने को लेकर आपस में भिड़ गईं. दोनों ने दावा किया कि ये मेमना उनकी बकरी का है. फिर पुलिस इंस्पेक्टर ने अपनी सूझ-बूझ से इस मामले को सुलझाया. मेमने के जरिए ही निर्णय निकला.
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ये सुनकर एक महिला हैरान रह गई. वो रोने लगी. उसने राजा से विनती की कि ऐसा न किया जाए. वहीं, दूसरी महिला ने राजा के न्याय को स्वीकार कर लिया. राजा ने ये देखकर तुरंत अपना फैसला वापस ले लिया और कहा कि बच्चा रो रही महिला को सौंप दिया जाए. यही बच्चे की असली मां है. क्योंकि, एक मां अपने बच्चे को मरता हुआ कभी नहीं देख सकती.
बचपन में इस तरह की कहानियां इसलिए सुनाई जाती थीं, जिससे हम सबक ले सकें कि जीवन में जब कभी इस तरह की मुश्किल आए तो सही फैसला लिया जा सके. कहानी का जिक्र बस यूं ही किया था. अब खबर पर आते हैं. उत्तर प्रदेश से एक ऐसी ही तस्वीर सामने आई. मामला कानपुर के कल्याणपुर थाने का है. मौका था- शनिवार, 12 अप्रैल को समाधान दिवस का. यहां दो महिलाएं एक मेमने को लेकर आपस में भिड़ गईं. दोनों ने दावा किया कि ये मेमना उनकी बकरी का है.
आजतक से जुड़े रंजय सिंह की रिपोर्ट के मुताबिक, गोवा गार्डन इलाके की रहने वाली चंद्रा देवी के पास एक सफेद रंग की बकरी थी. 20 दिन पहले ही बकरी को एक बच्चा हुआ था. जिसकी तबीयत खराब थी, इसलिए उसका इलाज कराने के लिए वे डॉक्टर के पास गई हुई थीं. रास्ते में उन्हें मीना कुमारी नाम की एक महिला ने रोक लिया और बोली यह मेमना तो उसकी बकरी का है. विवाद धीरे-धीरे बढ़ता चला गया. किसी ने पुलिस को सूचना दी. मौके पर पहुंची पुलिस सबको लेकर थाने आ गई. थाने में उस वक्त समाधान दिवस चल रहा था.
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फिर किसे मिला बकरी का बच्चा?इंस्पेक्टर सुबोध कुमार ने दोनों पक्षों को सुना. दोनों महिलाएं दावा कर रही थीं कि मेमना उनकी बकरी का है. चंद्रा देवी की बकरी सफेद रंग की थी और मीना कुमारी की बकरी काले रंग की थी. जबकि, मेमने का रंग काला और सफेद दोनों था. कन्फ्यूजन यहीं से शुरु हुआ. इंस्पेक्टर सुबोध ने दोनों की बकरियां मंगवाईं. बकरियों को अलग-अलग कोेने में बंधवा दिया. इसके बाद जमीन पर मेमना छोड़ दिया गया. बकरी का बच्चा जमीन पर उतरते ही पहले इधर-उधर कुछ देर देखता रहा फिर दौड़कर सीधे जाकर सफेद बकरी से लिपटकर दूध पीने लगा. यह देखकर सभी ताली बजाने लगे.
तय हुआ कि मेमना चंद्रा देवी की बकरी का है. मीना कुमारी ने भी माना कि उन्हें गलतफहमी हो गई थी. इसके बाद मेमना चंद्रा देवी को सौंप दिया गया.
इसके बाद इंस्पेक्टर सुबोध कुमार ने कहा, ‘मेरे पास कोई रास्ता नहीं था. क्योंकि, दोनों महिलाएं उस पर अपना दावा कर रही थीं.’ उन्होंने आगे कहा कि बकरी हो या इंसान, उसे अपनी मां की पहचान जरूर होती है. इसलिए उन्होंने ये उपाय किया, जो निर्णायक साबित हुआ.
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