झारखंड हाई कोर्ट ने प्राइवेट सेक्टर की नौकरियों को लेकर बड़ा आदेश दिया है. अदालत ने राज्य सरकार के उस कानून पर रोक लगा दी है, जिसके तहत प्राइवेट सेक्टर में 40,000 रुपये प्रति माह तक के वेतन वाली नौकरियों में स्थानीय लोगों को 75 प्रतिशत आरक्षण की गारंटी दी गई थी. ये कानून झारखंड की विधानसभा में सितंबर 2021 में पारित हुआ था.
प्राइवेट नौकरियों में आरक्षण पर रोक, झारखंड हाई कोर्ट ने किस वजह से सुनाया ये फैसला?
Jharkhand News: झारखंड विधानसभा में साल 2021 में एक कानून पारित किया गया था. इसके मुताबिक राज्य के प्राइवेट सेक्टर की कुछ नौकरियों में स्थानीय लोगों को 75 फीसदी आरक्षण की गारंटी दी गई. अब हाई कोर्ट ने इस कानून पर रोक लगा दी है.
PTI की खबर के मुताबिक ‘झारखंड राज्य के निजी क्षेत्र में स्थानीय उम्मीदवारों का नियोजन कानून, 2021’ के प्रावधानों के खिलाफ एक याचिका दायर की गई थी. ये याचिका इंदर अग्रवाल, अध्यक्ष आदित्यपुर लघु उद्योग संघ द्वारा दायर की गई थी. झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव और जस्टिस दीपक रोशन की पीठ ने बुधवार, 12 दिसंबर को इस मामले पर सुनवाई की.
झारखंड लघु उद्योग संघ के वकील एके दास ने पीठ को बताया कि राज्य सरकार के बनाए इस कानून से राज्य के उम्मीदवारों और झारखंड से बाहर के उम्मीदवारों के बीच स्पष्ट विभाजन पैदा हो गया है. उन्होंने दावा किया कि इस कानून के प्रावधान संविधान के उन सिद्धांतों के विरुद्ध भी हैं, जो रोजगार में समानता की गारंटी देते हैं. एके दास ने दलील दी कि ऐसे में राज्य सरकार निजी कंपनियों को केवल एक निश्चित श्रेणी के लोगों को रोजगार देने के संबंध में निर्देश नहीं दे सकती.
ये भी पढ़ें:- हादसे रोकने के लिए ऐसा स्पीड ब्रेकर बनाया, अब ताबड़तोड़ एक्सीडेंट हो रहे, वीडियो वायरल
वकील एके दास ने इस दौरान कोर्ट को ये भी बताया कि ऐसे ही मुद्दों पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट काफी पहले अपना निर्णय सुना चुका है. तब कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा की सरकारों द्वारा लाए गए इसी प्रकार के कानून को खारिज कर दिया था. इसके बाद झारखंड हाई कोर्ट ने इस कानून पर स्टे लगा दिया. साथ ही मामले की सुनवाई के बाद राज्य सरकार को इस याचिका पर जवाब दाखिल करने का भी आदेश दिया. अब 20 मार्च, 2025 को इस पर पुनः सुनवाई की जाएगी.
वीडियो: पड़ताल: क्या झारखंड चुनाव में बाबूलाल मरांडी ने मोदी की आलोचना की?