भारतीय सेना, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) और जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवान साथ मिलकर पहलगाम के आसपास के जंगलों में घेराबंदी कर रहे हैं. तलाशी अभियान चला रहे हैं. ताकि पहलगाम के चार आतंकवादी हमलावरों को पकड़ा जा सके.
'पहलगाम हमलावरों को चार बार ढूंढा, एक बार तो गोलीबारी भी हुई', फिर हाथ से कैसे फिसल गए?
Forces located Pahalgam attackers: सेना के एक अधिकारी ने बताया- 'जंगल बहुत घने हैं और किसी को स्पष्ट रूप से देखने के बाद भी उसका पीछा करना आसान नहीं है. लेकिन हमें यकीन है कि हम उन्हें पकड़ लेंगे. ये सिर्फ़ कुछ दिनों की बात है.'
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सुरक्षा बलों ने पिछले पांच दिनों में अलग-अलग जगहों पर पहलगाम के हमलावरों को कम से कम चार बार ढूंढा है. जवान दक्षिण कश्मीर के जंगलों में उन्हें घेरने के बहुत क़रीब पहुंच गए थे और एक बार तो उनके साथ गोलीबारी भी हुई.
इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से ये जानकारियां दी हैं. बताया है कि स्थानीय निवासियों से मिली जानकारी, ख़ुफ़िया सूचनाओं और तलाशी अभियानों के ज़रिए आतंकवादियों का पता लगाया जा रहा है. सेना के एक अधिकारी ने अख़बार से बात करते हुए कहा,
'धर लिये जाएंगे, बस...'ये बिल्ली और चूहे का खेल है. कई बार ऐसा हुआ है कि उन्हें स्पष्ट रूप से देखा गया. लेकिन जब तक उनसे निपटा जाता, वो भाग गए. जंगल बहुत घने हैं और किसी को स्पष्ट रूप से देखने के बाद भी उसका पीछा करना आसान नहीं है. लेकिन हमें यकीन है कि हम उन्हें पकड़ लेंगे. ये सिर्फ़ कुछ दिनों की बात है.
सूत्रों ने बताया कि आतंकवादियों को पहले अनंतनाग के पहलगाम तहसील के हापत नार गांव के पास जंगलों में देखा गया था. लेकिन वो घने इलाक़े का फ़ायदा उठाकर भागने में सफल रहे. बाद में उन्हें कुलगाम के जंगलों में देखा गया, जहां उनकी सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ हुई. लेकिन वो फिर भागने में कामयाब हो गए.
इसके बाद आतंकवादियों के ग्रुप को त्राल पर्वतमाला और उसके बाद कोकेरनाग में देखा गया. वर्तमान में उनके इसी इलाक़े में घूमने का संदेह है. सूत्रों ने बताया कि आतंकवादी खाने-पीने की चीज़ें जुटाने में बहुत सावधानी बरत रहे हैं, जिससे तलाशी अभियान और भी मुश्किल हो गया है. एक अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया,
आम तौर पर आतंकवादियों को भोजन की व्यवस्था करनी पड़ती है. तभी वो गांवों में पहुंचते हैं. कभी-कभी वो जंगलों में भोजन की आपूर्ति के लिए अपने स्थानीय संपर्कों को बुला लेते हैं. इससे खुफिया जानकारी मिलती है और सुरक्षा बलों को उन्हें घेरने का मौक़ा मिल जाता है. हालांकि, ये आतंकवादी काफी सावधानी से काम कर रहे हैं.
अधिकारी ने आगे कहा,
हमें एक घटना के बारे में पता चला है, जहां वे रात के खाने के समय एक गांव में गए, एक घर में घुसे और खाना लेकर भाग गए. जब तक सुरक्षा बलों को सूचना मिली और हम वहां पहुंचे. तब तक काफी समय बीत चुका था और आतंकवादी भाग चुके थे.
किश्तवाड़ रेंज पहलगाम की ऊंची चोटियों से जुड़ी हुई है. एक और चुनौती ये है कि यहां इस मौसम में कम बर्फबारी हुई है. अधिकारी ने आगे बताया,
इससे आतंकवादियों को रेंज का इस्तेमाल करके जम्मू की तरफ जाने का विकल्प मिल जाता है. जहां जंगल घने हैं और उस इलाक़े में निपटना मुश्किल है. वे इधर-उधर जाने के लिए किश्तवाड़ रेंज का इस्तेमाल कर रहे हैं. लेकिन अभी तक हमारा मानना है कि वे अभी भी दक्षिण कश्मीर में हैं.
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सुरक्षा बलों को उम्मीद है कि आतंकवादी आख़िरकार गलती करेंगे और उन्हें मार गिराया जाएगा. उदाहरण के लिए आतंकवादी बैसरन में मारे गए पर्यटकों के दो मोबाइल फोन ले गए. उम्मीद है कि इन फोन का इस्तेमाल स्थानीय और सीमा पार संचार स्थापित करने के लिए किया जाएगा. खुफिया नेटवर्क की टेक्निकल टीम सुराग के लिए इन फोन की जांच कर रहा है.
इस बीच, जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ रोकने के तंत्र को मजबूत कर दिया गया है तथा सीमा बलों को हाई अलर्ट पर रखा गया है. ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि आतंकवादी सीमा पार न कर सकें. जम्मू-कश्मीर पुलिस अपनी ओर से दक्षिण कश्मीर में आतंकी संगठनों के सस्पेक्टेड वर्कर्स से पूछताछ कर रही है. ताकि सुराग मिल सके और ये पता लगाया जा सके कि हमले में और लोग शामिल थे या नहीं.
जांच का फोकस इस बात पर भी है कि हमले की योजना बनाने और उसे अंजाम देने में आतंकवादियों को किस तरह की रसद सहायता मिली होगी.
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